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कोरोना अभी भी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है,कैसे? - श्रीनारद मीडिया

कोरोना अभी भी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

कोरोना महामारी से जूझते हुए 14 महीना बीतने को है, लेकिन यह जानलेवा वायरस अभी भी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है. पहली लहर के बाद मजबूती से आयी दूसरी लहर में राज्य के लाखों लोग इसकी चपेट में आये. हालांकि कोरोना को हरा चुके कई लोगों को कुछ समस्याओं का सामना भी करना पड़ा है. रिकवरी के बाद ‘पोस्ट कोविड’ की समस्या आम हो गयी है. ऐसे में रिकवर हो चुके लोग किन बातों का ध्यान रखें,

हल्के लक्षण वाले

कोरोना महामारी में एसिम्टोमैटिक संक्रमितों की संख्या राज्य में ज्यादा रही है. ऐसे संक्रमितों में कोई लक्षण नहीं रहता है या हल्का लक्षण दिखता है. एसिम्टोमैटिक संक्रमितों को ज्यादा चिंता की बात नहीं होती है. वह अगर नियमित ब्रीदिंग एक्सरसाइज (सांस वाले व्यायाम) करें और संतुलित भोजन व पौष्टिक भोजन लें, तो पोस्ट कोविड की समस्या नहीं होगी. कमजोरी धीरे-धीरे चली जायेगी. अगर स्वाद व गंध चला गया है, तो वह दाे से तीन सप्ताह में वापस चला आयेगा.

सांस की दिक्कत हुई हो

कोरोना काल में वैसे संक्रमित जिनको सांस की समस्या रही हो, सामान्य या हाइफ्लो ऑक्सीजन थेरेपी और वेंटिलेटर पर रखकर इलाज किया गया हो. ऐसे संक्रमितों में फेफड़ा के नुकसान की संभावना ज्यादा रहती है. कोरोना की रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी इनको अगले 15 दिनों तक ऑक्सीजन का स्तर मापना चाहिए. डॉक्टर के निर्देश पर ही ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें. एक्सरसाइज का समय भी उनकी सलाह पर तय करें.

चलने पर सांस की तकलीफ

कोरोना से स्वस्थ होने के बाद अगर व्यक्ति को कुछ कदम चलने के बाद सांस फूलने लगे या सांस लेने में तकलीफ हो, लेकिन ऑक्सीजन का स्तर ठीक है, तो समझना चाहिए कि आपके हार्ट पर कोरोना ने असर डाला है. ऐसी समस्या होने पर घबराना नहीं चाहिए. हृदय रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेकर इसीजी व इका जांच करायें.

कोरोना संक्रमण में जिनको पहले से गंभीर व लाइफ स्टाइल जैसे : बीपी, शुगर व हार्ट की बीमारी है, तो उनको ज्यादा खतरा रहता है. ऐसे लोगों को पोस्ट कोविड की समस्या जारी रहती है यह ध्यान देना चाहिए कि उनके घर में किसी को हार्ट अटैक हो चुका है, तो डॉक्टर के संपर्क में रहें. डॉक्टर की सलाह पर खून पतला होने की दवा कुछ दिन तक ले सकते हैं. हालांकि खून पतला होने की दवा खुद से कभी नहीं लेनी चाहिए.

खड़े होने पर चक्कर की समस्या आती हो, तो

कोरोना वायरस तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) को भी प्रभावित करता है. एेसे लोगों को कोरोना से स्वस्थ होने के बाद चक्कर आने की समस्या होती है. ब्लड प्रेशर सामान्य रहता है, लेकिन चक्कर की शिकायत रहती है. एेसे संक्रमितों को ब्लड प्रेशर की जांच लेटकर व खड़े होकर करानी चाहिए. अगर खड़े होने पर ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव हो रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से दिखाना चाहिए.

पेट की समस्या होने पर

कोरोना संक्रमितों को डायरिया का लक्षण भी रहता है, जिससे पेट कमजोर हो जाता है. वहीं एंटीबायोटिक दवाएं भी चलती हैं, जिससे पेट के अच्छे बैक्टीरिया मर जाते हैं. इससे व्यक्ति की पाचन क्रिया प्रभावित हो जाती है. पाचन तंत्र को ठीक करने के लिए फाइबर युक्त खाना चाहिए. हरी साग-सब्जी व फल के अलावा दही को शामिल करना चाहिए.

हाथ-पैर में ऐंठन हो, तो

कोरोना संक्रमितों में पोस्ट कोविड के बाद यह समस्या आम देखी जाती है. 14 दिन या उससे अधिक समय तक आइसोलेशन मेें रहने पर वायरस का दुष्प्रभाव कुछ समय तक परेशान करता है. ऐसी समस्या होने पर डॉक्टर के परामर्श पर विटामिन ए, बी कॉम्पलेक्स व विटामिन सी लेना चाहिए. फोलिक एसिड की दवा भी कारगर होती है. समस्या के हिसाब से डॉक्टर दवा का समय निर्धारित करते हैं.

कमजोरी की समस्या है, तो

कोरोना वायरस मांसपेशियों को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाता है. ऐसे में ठीक होने के बाद भी अधिक कमजोरी महसूस होती है. कमजोरी को दूर करने के लिए हाइ प्रोटीन खाना को दिनचर्या में शामिल करें. प्रोटीन कोशिकाओं को दुरुस्त करता है, जिससे मांसपेशियां ठीक होने लगती है.

शुगर के मरीजों के लिए…

कोरोना संक्रमण के गंभीर मरीजों को स्टेराॅयड देना पड़ता है, जिससे शुगर अनियंत्रित हो जाता है. अगर संक्रमित पहले से शुगर का मरीज है, तो समस्या दोगुनी बढ़ जाती है. अगर कोरोना से ठीक होने के बाद भी शुगर अनियंत्रित है, तो डॉक्टर की सलाह पर दवा का डोज निर्धारित करें. शुगर के मरीजों की इम्युनिटी कमजोर होती है, इसलिए शुगर का स्तर नियंत्रित करना ज्यादा जरूरी होता है. तीन महीने तक नियमित शुगर की जांच करायें.

याददाश्त का कमजोर होना

कोरोना संक्रमण के दौरान लोगों को सबसे ज्यादा मानसिक समस्या से गुजरना पड़ता है. बीमारी को लेकर मानसिक तनाव के अलावा आइसोलेशन में रहने के अकेलापन महसूस होने लगता है. ऐसे लोग जब ठीक होकर घर आते हैं, तो चिड़चिड़ापन व क्रोध में रहने लगते हैं. ऐसे लोगों को अच्छी व प्रेरक पुस्तकें पढ़नी चाहिए. संगीत सुनना चाहिए व पेंटिंग करनी चाहिए. ध्यान व योग करने से भी इससे निजात मिलता है.

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