सारण में प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण में भ्रष्टाचार का खुलासा, 118 आवास सहायकों पर लटका कारवाई की तलवार
अपात्र लोगों को दिया गया योजना का लाभ
सारण में पीएम आवास योजना ग्रामीण के क्रियान्यवन पर उठा सवाल
भ्रष्टाचार के घेरे में कई पंचायत और जनप्रतिनिधि
श्रीनारद मीडिया, छपरा (बिहार):
केन्द्र की मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत हर गरीबों को पक्का छत का घर की सपना साकार करने के लिए विगत दो वित्तीय वर्ष में बढ़ी संख्या में आवास दिया है, ताकि देश के कमजोर , गरीब को भी इसका लाभ मिल सके। लेकिन जब यही योजना भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े की भेंट चढ़ जाए तो इससे बड़ी नाइंसाफी गरीबों के लिए और क्या हो सकती है। सारण जिले में पीएम आवास योजना ग्रामीण को लेकर जो खुलासे हुए हैं, वो चौंकाने वाले हैं।
एक वित्तीय वर्ष के भीतर जिले में 128 ग्रामीण आवास सहायकों पर कार्रवाई की गई है या कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है। यह बताने के लिए काफी है कि कैसे इस जन-कल्याणकारी योजना में भारी गड़बड़ी हो रही है।
118 पंचायतों के सहायकों पर भ्रष्टाचार के आरोप
जानकारी के अनुसार, जिले की 318 पंचायतों में से 118 पंचायतों के ग्रामीण आवास सहायकों पर भ्रष्टाचार और अनियमितता के आरोप लगे हैं। यह दर्शाता है कि कैसे जिन कर्मचारियों पर व्यवस्था की नींव टिकी होती है, वही चंद पैसों के लालच में गरीबों का हक छीनने पर उतर आए हैं।
वही पंचायत प्रतिनिधियों की मिलीभगत का वीडियो भी वायरल हो जा रहा है इनमें से कई मामलों में अपात्र लोगों को योजना का लाभ दिया गया और इसके बदले में मोटी रिश्वत ली गई।
सबसे चिंताजनक बात यह है कि इस पूरे खेल में पंचायत प्रतिनिधि, बीडीसी और वार्ड सदस्य से लेकर मुखिया तक भी शामिल बताए जा रहे हैं। वोट बैंक की राजनीति और व्यक्तिगत स्वार्थ के चलते वे इस बात को नजरअंदाज कर अपात्र लाभुकों को लाभ पहुंचा रहे हैं,जो जरूरतमंदों के साथ अन्याय है। सूत्रों की माने तो एक आवास लाभुक से 20 से 30 हजार रूपया लिया गया है, वहीं अपात्र लाभुकों से पचास से साठ हजार रूपया लेकर उनको लाभ दिया गया है।
बताते चले कि प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण का लाभ पाने के लिए कई स्तरों पर जांच और सत्यापन की प्रक्रिया होती है। इसके बावजूद इतनी बड़ी संख्या में गड़बड़ियों का उजागर होना गंभीर चिंता का विषय है।
यह मामला केवल भ्रष्टाचार का नहीं, बल्कि गरीबों के साथ विश्वासघात का भी है।अब सवाल यह उठता है कि क्या कार्रवाई केवल कुछ कर्मचारियों तक सीमित रहेगी, या फिर इस पूरे भ्रष्टाचार में शामिल वार्ड, पंचायत के जनप्रतिनिधयों एवं अधिकारियों पर होती है या जांच के नाम पर ढाक के तीन पात कर सबको क्लीन चीट दे दिया जाएगा यह आने वाला समय ही बताएगा ।
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