नाइड ब्लड सर्वे व नियमित टीकाकरण को ले हुई जिला टास्क फोर्स की बैठक

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सुरक्षित रहने के लिए नियमित रूप से दवा का सेवन जरूरी: जिलाधिकारी
मरीज़ों की संख्या के आधार पर बनाया गया सेंटिनेल और रैंडम साइट: सिविल सर्जन
फाइलेरिया के परजीवी रात में ही मुख्य रूप से होते हैं सक्रिय: डॉ जेपी सिंह

श्रीनारद मीडिया, कटिहार, (बिहार):

जिले में फाइलेरिया के मरीजों की पहचान के लिए स्वास्थ्य विभाग अगले माह 03 से 11 नवंबर तक नाइट ब्लड सर्वे अभियान माइक्रोप्लान के तहत चलाएगा। साथ ही नियमित टीकाकरण को लेकर कार्य योजना पर चर्चा की गई। इसी दोनों अभियान को लेकर शनिवार को नाइट ब्लड सर्वे एवं नियमित टीकाकरण को लेकर जिला टास्क फोर्स की बैठक समाहरणालय सभागार में हुई। जिसकी अध्यक्षता जिलाधिकारी उदयन मिश्रा ने की। इस दौरान डीएम ने कहा कि फाइलेरिया बीमारी को देखते हुए अगले माह तीन से ग्यारह नवंबर तक जिले के 16 प्रखंडों के दो-दो गांवों में, जबकिं कटिहार शहरी क्षेत्र के दो वार्ड को चिह्नित किया गया है। जहां पर नाइट ब्लड सर्वे अभियान चलाया जाएगा। साथ ही इस दौरान लोगों के रक्त के नमूने लिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रत्येक टीम में शामिल लैब टेक्नीशियनए वीबीडीएसए बीसीएम एवं फाइलेरिया मरीज के अलावा आशा कार्यकर्ताए जीविका समूह की दीदी के अलावा स्थानीय स्तर के चयनित पंचायत प्रतिनिधियों का सहयोग मिलेगा। बैठक में सिविल सर्जन डॉ दीनानाथ झा, डीएमओ डॉ जेपी सिंह, डीआईओ डॉ मनोज चौधरी, डीपीएम डॉ किशलय कुमार, वीबीडीसीओ एनके मिश्रा, वीबीडीसी जेपी महतो, जीविका के डीपीएम इंद्र शेखर इंदु, केयर इंडिया के डीपीओं चंदन कुमार, पीसीआई के अंजनी पाण्डेय, डब्ल्यूएचओ के एसएमओ डॉ मोहम्मद सुभान अली, सीफार के डीपीसी धर्मेंद्र रस्तोगी एवं डीसी (एलएफ/वीएल) पल्लवी कुमारी के अलावा ज़िलें के सभी एमओआईसी, बीएचएम व बीसीएम सहित कई अन्य अधिकारी एवं कर्मी उपस्थित रहे।

मरीज़ों की संख्या के आधार पर बनाया गया सेंटिनेल और रैंडम साइट: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ दीनानाथ झा ने बताया कि ज़िलें के सभी प्रखंडों में दो-दो साइट बनाए गए हैं। जिसमें एक सेंटिनेल और दूसरा रैंडम साइट के माध्यम से लोगों के रक्त के नमूने लिए जाएंगे। फाइलेरिया मरीज़ों की संख्या अधिक होने की स्थिति में सेंटिनेल साइट का नाम दिया गया है, जबकि इसके अलावा रैंडम साइट के तहत वैसे स्थलों का चयन किया गया है। जहां पर फाइलेरिया के मरीज़ों की संख्या कम है। नाइट ब्लड सर्वे के दौरान एक साइट पर 20 वर्ष से अधिक उम्र के 300 लोगों की जांच करने के लिए हमारी चार सदस्यीय टीम काम करेगी। शत प्रतिशत सफ़लता के लिए चयनित स्थलों के आसपास बैनर, पोस्टर एवं माइकिंग के द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।

फाइलेरिया के परजीवी रात में ही मुख्य रूप से होते हैं सक्रिय: डॉ जेपी सिंह
ज़िला वेक्टर बॉर्न डिजीज नियंत्रण पदाधिकारी डॉ जय प्रकाश सिंह ने कहा कि नाइट ब्लड सर्वे के तहत फाइलेरिया प्रभावित क्षेत्रों की पहचान कर ली गई हैं। वहां रात्रि के 8 : 30 से लेकर 12 तक 20 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों का रक्त संग्रह किया जाएगा। इसके बाद ही इस रक्त के नमूने को प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा जाएगा। क्योंकि रक्त में फाइलेरिया के परजीवी की मौजूदगी का पता लगाया जाता है। फाइलेरिया का परजीवी रात में ही सक्रिय होते हैं, इसीलिए नाइट ब्लड सर्वे से सही रिपोर्ट की जानकारी ला पता चल पाता हैं। इससे फाइलेरिया के संभावित मरीज़ो का समुचित इलाज किया जाता है।

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