क्या जनसांख्यिकीय बदलाव से लोकतंत्र पर संकट है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत की विविधता में एकता घुसपैठियों के कारण खतरे में है, जिससे जनसांख्यिकीय बदलाव हो रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि इससे सामाजिक सद्भाव और आंतरिक सुरक्षा को खतरा है। उन्होंने लाल किले से जनसांख्यिकी मिशन की अपनी घोषणा को भी याद किया।
राष्ट्रीय राजधानी में आरएसएस के शताब्दी समारोह के दौरान बोलते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विविधता में एकता हमेशा से भारत की आत्मा रही है। अगर यह ताकत टूट गई, तो भारत कमजोर हो जाएगा… सामाजिक सद्भाव घुसपैठियों के कारण एक बड़े खतरे का सामना कर रहा है, जिससे जनसांख्यिकीय बदलाव हो रहा है।
मोदी ने कहा कि यह प्रश्न हमारी आंतरिक सुरक्षा और भविष्य से संबंधित है। इसीलिए मैंने लाल किले से जनसांख्यिकी मिशन की घोषणा की। हमें सतर्क रहने और इस चुनौती से लड़ने की जरूरत है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 100 साल पहले विजयादशमी के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना कोई संयोग नहीं था। उन्होंने इस त्योहार के बुराई पर अच्छाई, असत्य पर सत्य और अंधकार पर प्रकाश की जीत के प्रतीकवाद पर प्रकाश डाला।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज विजयादशमी है, यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत, अन्याय पर न्याय की जीत, असत्य पर सत्य की जीत और अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है… 100 साल पहले इसी महान दिन एक संगठन के रूप में आरएसएस की स्थापना कोई संयोग नहीं था। उन्होंने आरएसएस के संस्थापक केबी हेडगेवार को श्रद्धांजलि अर्पित की और राष्ट्र सेवा के प्रति उनके समर्पण की सराहना की।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह हमारी पीढ़ी के स्वयंसेवकों का सौभाग्य है कि हमें संघ के शताब्दी वर्ष जैसे महान अवसर का साक्षी बनने का अवसर प्राप्त हो रहा है। आज के इस अवसर पर, मैं राष्ट्रसेवा में समर्पित लाखों स्वयंसेवकों को हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाई देता हूँ।
संघ के संस्थापक, हमारे पूज्य आदर्श, परम पूज्य डॉ. हेडगेवार जी के चरणों में मैं अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा 1925 में नागपुर, महाराष्ट्र में स्थापित, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना एक स्वयंसेवक-आधारित संगठन के रूप में की गई थी जिसका लक्ष्य नागरिकों में सांस्कृतिक जागरूकता, अनुशासन, सेवा और सामाजिक उत्तरदायित्व को बढ़ावा देना था।
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