बिहार में अब जाकर डोमिसाइल नीति लागू हुई,क्यों?
वोट दे बिहारी और नौकरी ले बाहरी, अब ये नहीं चलेगा
श्रीनारद मीडिया स्टेट डेस्क
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एक और लोकलुभावन कदम उठाते हुए, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को सरकारी शिक्षकों की भर्ती में ‘डोमिसाइल नीति’ की घोषणा कर बड़ा चुनावी दांव खेल दिया है। इससे पहले भी नीतीश ने कई ऐलान किये हैं लेकिन नीतीश के इस दांव का काट विपक्ष के लिए खोजना मुश्किल होगा। नीतीश कैबिनेट ने फैसला लिया कि शिक्षा विभाग के अधीन अध्यापक नियुक्तियों में 98 प्रतिशत सीट बिहार के लोगों के आरक्षित होंगी। मंत्रिमंडल ने बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक नियुक्ति स्थानांतरण अनुशासनात्मक कार्रवाई एवं सेवा शर्त संशोधन नियमावली 2025 की मंजूरी दे दी।
साल 2020 के विधानसभा चुनाव में भी सीएम नीतीश कुमार ने डोमिसाइल नीति लागू करने का वादा किया था। लेकिन, जब जीत मिली और नीतीश की सरकार बनी तो सीएम नीतीश ने इसे लागू भी कर दिया। मगर ये लंबे समय तक नहीं रह पाया और ढाई साल बाद जुलाई 2023 में इसे खत्म भी कर दिया गया था।
बिहार में आरक्षण का हिसाब किताब
बिहार में जातीय तौर पर 50 प्रतिशत आरक्षण है
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए आरक्षण 10% है
बची 40 प्रतिशत अनारक्षित (सामान्य) सीटों में 35 प्रतिशत सीट बिहार मूल की महिलाओं के लिए रिजर्व हैं।
डोमिसाइल नीति लागू होने की शर्तें
नियमावली में संशोधन कर 40 प्रतिशत अनारक्षित (सामान्य) सीटों के बचे 65 प्रतिशत सीटों में से 40 प्रतिशत सीट उनके लिए आरक्षित कर दी गई जिन्होंने बिहार से मैट्रिक और इंटर की परीक्षाएं किसी भी बोर्ड से पास की हो। 40 प्रतिशत अनारक्षित (सामान्य) सीटों में अब मात्र 15 प्रतिशत सीटे बच जाएंगी जिनपर बिहार और बिहार के बाहर के सामान्य वर्ग के पुरुष महिला आवेदन कर सकेंगे। इस तरह बिहार की शिक्षक बहाली में 85 प्रतिशत सीट पर डोमिसाइल नीति लागू हो गई है।
नीतीश का बड़ा चुनावी दांव
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने युवाओं को साधने के लिए ये बड़ा चुनावी दांव चला है। मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि TRE 4 और 5 में अब डोमिसाइल नियम लागू किया जाएगा।यानी अब केवल बिहार के स्थायी निवासी ही इस परीक्षा में भाग लेने के पात्र होंगे। मुख्यमंत्री का कहना था कि राज्य के युवा काफी समय से इस मांग को लेकर आंदोलनरत थे और अब सरकार ने उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए ये निर्णय लिया है।
डोमिसाइल नीति क्या है, किसे होगा फायदा?
- इस नीति के लागू होने के बाद जो भी संबधित राज्य का वोटर होगा, वो ही नौकरियों के लिए भर्ती में अप्लाई कर पाएगा।
- केवल वही अभ्यर्थी राज्य में होने वाली परीक्षा में बैठ सकेंगे, जो बिहार के मूल निवासी हैं और जिनके पास वैध डोमिसाइल सर्टिफिकेट होगा।
- किसी राज्य में किसी भी विभाग में नौकरी के लिए भर्ती प्रक्रिया में डोमिसाइल नीति लागू होने का मतलब है कि इस भर्ती में उस राज्य के लोगों को आरक्षण मिलेगा।
- नौकरी देने में सिर्फ उस राज्य के निवासियों को ही प्राथमिकता दी जाएगी।
- अगर अभिभावक उस राज्य के निवासी हैं तो बच्चों को, या शादी होने के बाद पति उस राज्य का निवासी है तो पत्नी को, या उस राज्य में अगर आपका स्थायी घर है, तो इस तरह की शर्तों को पूरा करने पर आप डोमिसाइल की कैटेगरी में शामिल हो सकते हैं।
- डोमिसाइल नीति लागू होने से तत्काल होने वाली शिक्षक भर्ती परीक्षा में बिहार के अभ्यर्थियों को प्राथमिकता दी जाएगी।
- डोमिसाइल पॉलिसी लागू करना जरूरी क्यों
- उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से बड़ी संख्या में अभ्यर्थी बिहार में आवेदन करते थे, इससे स्थानीय युवाओं को अपने ही राज्य में नौकरी नहीं मिल रही थी।
- बिहार में बेरोजगारी से राहत मिलेगी और बाहरी अभ्यर्थियों की नियुक्ति से स्थानीय युवाओं को नौकरी में प्राथमिकता मिलेगी।
- बिहार के स्कूलों में पढ़ाने के लिए स्थानीय भाषा, बोली को जानना जरूरी है, बाहरी अभ्यर्थियों को यह समझ अपेक्षाकृत कम होती है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
- उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान जैसे राज्यों में शिक्षक भर्ती में डोमिसाइल नीति पहले से अनिवार्य है। ऐसे में बिहार में डोमिसाइल लागू करना जरूरी था।
- डोमिसाइल लागू होने से बिहार के छात्रों को राहत मिलेगी, लेकिन यह शिक्षा व्यवस्था की व्यापक सुधार प्रक्रिया का सिर्फ एक हिस्सा होगी।
- हालांकि डोमिसाइल नीति लागू होने के बाद नौकरी के लिए भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता, पाठ्यक्रम की गुणवत्ता और प्रशिक्षण तंत्र जैसे पहलुओं पर भी समान रूप से ध्यान देना जरूरी होगा।
ऐसे में कुल मिलाकर, सीएम नीतीश का ये बड़ा चुनावी दांव बिहार के युवाओं को स्थानीय अवसरों में प्राथमिकता देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है, जिसका असर आने वाले विधानसभा चुनाव में भी साफ देखा जा सकता है और जदयू नीत एनडीए को मिल सकता है।
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