डॉ. राजेन्द्र प्रसाद चाँद पर से थोड़ी आये थे – मनोज भावुक
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

” डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, जय प्रकाश नारायण, चित्रगुप्त आदि चाँद पर से थोड़ी आये थे। इसी हवा-पानी-मिट्टी में पैदा हुए थे। आपको गर्व होना चाहिए कि आप इस मिट्टी से हैं और आप उन लोगों से भी आगे जाकर इस जिले का, इस प्रदेश का और इस राष्ट्र का गर्व बनें। ”
उक्त बातें भागवत विद्यापीठ, छपरा, सारण के छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए प्रख्यात साहित्यकार व फ़िल्म गीतकार मनोज भावुक ने कही।
मनोज ने आगे कहा कि ” राम राजा बनने वाले थे, उसी दिन बनवास हो गया। इससे बड़ी दुर्घटना या दुख क्या हो सकता है ? …लेकिन इस दुख ने उन्हें मर्यादापुरुषोत्तम बना दिया। अपने बिहार के लोग मजबूरी में ही सही, धोखे में ही सही, सोने के लालच में ही सही गिरमिटिया मजदूर बनें लेकिन आज मॉरिशस, फिजी, सूरीनाम में गवर्मेंट बन गए हैं, मालिकU बन गए हैं। दुख या समस्या या विपत्ति बहुत बार बहुत कुछ देने के लिए आता है। इसलिए योद्धा की तरह लड़ते रहिये। …ऑउट ऑफ सिलेबस की चीजें भी जानिए क्योंकि जिंदगी अक्सर ऑउट ऑफ सिलेबस ही होती है। ”
इस अवसर पर मनोज ने अपनी तमाम मोटीवेशनल कविताएं भी सुनाई। किशोर मन को प्रेम कविताओं से भी गुदगुदाया। विद्यापीठ के अध्यापक निर्भय नीर ने भावुक के लोकप्रिय फिल्मी गीत ” तोर बउरहवा रे माई” गाकर सुनाकर सबको भाव विभोर कर दिया। शिक्षक प्रकाश सिंह ने मनोज भावुक के सृजन संसार पर प्रकाश डाला।
संस्थान के प्रधानाचार्य डॉ. अमरेंद्र सिंह व शिक्षाविद डॉ. विकास कुमार सिंह ने मनोज भावुक को अंगवस्त्र व गुलदस्ता आदि देकर सम्मानित किया। उत्साहित बच्चों ने मनोज भावुक के साथ जम के फोटो सेशन किया।
मनोज अमनौर में आयोजित अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन के 28वें अधिवेशन में भाग लेने दिल्ली से छपरा आये थे जहां भोजपुरी सिनेमा के इतिहास पर केंद्रित उनकी किताब ‘ भोजपुरी सिनेमा के संसार ‘ के लिए उन्हें ” चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह ” पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साथ ही उन्हें कला और संस्कृति मंत्री भी बनाया गया।
अधिवेशन का आरंभ व अंत कवि-सम्मेलन से हुआ जिसका शानदार संचालन मनोज भावुक ने किया।


