किसानों को कभी बेबसी ने मारा तो कभी बेकशी ने मारा
श्रीनारद मीडिया, देवेन्द्र तिवारी, बसंतपुर, सीवान (बिहार):
किसानों की समस्याएं दिनों दिन बढ़ती जा रही
है । कभी मौसम की बेरुखी की मार तो कभी
जानवरो और पशुओं की मार ।
नीलगायों द्वारा गेहूं की फसल चरने के साथ साथ बर्बाद किया
जा रहा है । झुंड की झुंड निलगाए चवर में रहती
है , और मौका मिलते ही खेतो में पहुंच चरने के
साथ बर्बाद भी कर रही है, पहले रात्रि में इनका
फसलों पर अटैक होता था, अब दिन के उजाले
में भी हो रहा है । इसके अलावे बंदरो का उत्पात
हो रहा है।
आलू को उखाड़ कर खा जाते है ।
अरहर, मटर, सब्जी आदि के साथ मकानों को
भी क्षति पहुंचा रहे है । शेष कम बन में रहने वाले
सुकर कर रहे है ।
नीलगायों तथा बंदरो की उत्पात
से कृषि को काफी नुकसान हो रहा है ।
सरकार द्वारा बंदरो को जाल के माध्यम से
पकर कर जंगलों में छोड़ने से निजात मिल सकती
है ।
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