बिहार में शहरी जमीन के अधिग्रहण के लिए 80% जमीन मालिकों से सहमति लेने की अनिवार्यता खत्म,क्यों?

बिहार में शहरी जमीन के अधिग्रहण के लिए 80% जमीन मालिकों से सहमति लेने की अनिवार्यता खत्म,क्यों?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

 

बिहार विधानसभा में सोमवार को पांच राजकीय विधेयक पारित हो गये. नगरपालिका विधेयक के तहत अब सरकार शहरीकरण के लिए किसी भी जमीन का अधिग्रहण कर सकेगी. उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने बिहार शहरी आयोजना तथा विकास (संशोधन) विधेयक 2022 पेश कर इसके प्रमुख संशोधन के बारे जानकारी दी. उन्होंने कहा कि राज्य में तेजी से हो रहे शहरीकरण और शहरों के बढ़ते दायरे को देखते हुए नगरीय स्वरूप एवं सुविधाओं को विकसित करने के लिए अतिरिक्त भूमि की जरूरत पड़ेगी. इसके मद्देनजर राज्य सरकार अब शहरीकरण के लिए किसी स्थान पर जरूरत के मुताबिक भूमि का अधिग्रहण कर सकती है.

जमीन वाले व्यक्ति को मुआवजा दिया जायेगा

इसके एवज में संबंधित जमीन वाले व्यक्ति को मुआवजा दिया जायेगा. पहले ऐसे कार्यों के लिए जमीन एकत्र करने में कुल जमीन का 80 प्रतिशत जमीन मालिकों से सहमति लेनी पड़ती थी,परंतु इस प्रावधान के कारण जमीन अधिग्रहण में काफी समस्या आती थी. इस कारण इसमें बदलाव किये गये हैं. लैंडपुलिंग के आधार पर आधारभूत संरचनाओं के विकास और लोकोपयोग सुविधाओं सड़क, पार्क, खेल मैदान व आर्थिक रूप से कमजोर के लिए आवास समेत अन्य की व्यवस्था आसानी से की जा सकेगी. अगर किसी शहर का डेवलपमेंट प्लान या मास्टर प्लान तैयार होता है, तो इसके लिए भी जमीन का अधिग्रहण आसानी से किया जा सकेगा. इन कार्यों के लिए जमीन का अधिग्रहण करने के लिए भूमि मालिकों से सहमति के न्यूनतम प्रतिशत का कोई प्रावधान नहीं रहेगा.

अब छोटे व्यापारी साल में एक बार दायर करेंगे रिटर्न

डिप्टी सीएम सह वाणिज्यकर मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने बिहार कराधान विधि (समय-सीमा प्रावधानों का शिथिलीकरण) विधेयक-2022 पेश किया. उन्होंने कहा कि राज्य में छोटे करदाताओं के लिए रिटर्न दायर करने में छूट दी गयी है. अब वे तिमाही के बजाय वार्षिक रिटर्न दायर कर सकते हैं. डेढ़ करोड़ रुपये सालाना टर्नओवर वाले व्यापारियों के लिए कंपोजिट स्कीम शुरू किया गया है.

विश्वविद्यालय सेवा आयोग के अध्यक्ष की उम्रसीमा हुई 75 वर्ष

बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग (संशोधन) विधेयक 2022 के बारे में शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बताया कि अब इस आयोग के अध्यक्ष के लिए अधिकतम उम्रसीमा 75 वर्ष और सदस्यों के लिए 70 वर्ष तय की गयी है. पहले अध्यक्ष के लिए 72 वर्ष और सदस्य के लिए 65 वर्ष उम्रसीमा तय थी.

सरकार की सहमति से ही नियुक्त होंगे कृषि विवि में कुलपति

विधानसभा में कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने बिहार कृषि विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक-2022 के बारे में कहा कि कृषि विवि में कुलपति की नियुक्ति में अब राज्य सरकार की सहमति अनिवार्य होगी. सर्च पैनल तीन सबसे उपयुक्त लोगों के नामों का सुझाव राज्य सरकार को देगी. इसके बाद राज्यपाल की सहमति लेकर कुलपति का चयन किया जायेगा.

Leave a Reply

error: Content is protected !!