रंगभरी दास्तान की आहट है होलाष्टक

रंगभरी दास्तान की आहट है होलाष्टक

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सनातन धर्म में पवित्र पुनीत अष्टमी तिथि को आठ पर्व का विशिष्ट मान है. इनमें श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, राधा अष्टमी, भैरव अष्टमी, अहोई अष्टमी, शीतला अष्टमी, अन्नपूर्णा अष्टमी, भीष्माष्टमी व नवरात्र महाष्टमी का विशेष नाम आता है. पर इन सबों से अलग होलिका अष्टक होली की तैयारी व साधना तत्व से परिपूर्ण है और इसी के ठीक आठवें दिन महापर्व होली का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.

पर्व से जुड़ी ये दो बातें नहीं जानते होंगे आप

होलिका अष्टक से संबंधित दो बातें ध्यान देने योग्य हैं, पहला यह कि होली के उपयोग के लिए रंगों का निर्माण और दूसरा होलिका दहन हेतु स्थान चयन व शुद्धिकरण के उपरांत उपले व अन्य सामग्री का जमाव करना. इसके अतिरिक्त पकवान व नये वस्त्र की व्यवस्था भी इसी अवधि में किये जाने की परंपरा रही है. तब जब कोई मशीनी अथवा आधुनिक रंग की व्यवस्था नहीं थी, इसी होलाष्टक से घर-घर में लोग रंग तैयार करते थे.

राक्षसी पूतना के वध से जुड़ा है होलिकोत्सव

धर्मग्रंथों में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि श्री कृष्ण ने होली के दिन ही राक्षसी पूतना का वध किया था, जिसकी खुशी में पहले-पहल होली मनायी गयी. पर इसकी तैयारी उन्होंने आठ दिन पहले ही शुरू कर दी थी और यह शुभ दिवस होलाष्टक ही था. ऐसे भी होली हिंदू माह के प्रथम मास चैत्र के पहले दिन फागुन पूर्णिमा के बाद मनाया जाता है. पूर्णिमा की रात होलिका दहन की जाती है, जिसे उत्तर भारतीय प्रदेश में ‘अगजा’ भी कहा जाता है.

साल में आठ पूर्णिमा की है विशेष प्रसिद्धि

सामान्यत: पूर्णिमा साल में बारह आते हैं, जिनमें आठ की विशेष प्रसिद्धि है. इनमें वैशाख का बुद्ध पूर्णिमा, ज्येष्ठ का कबीर पूर्णिमा, आषाढ़ का व्यास पूर्णिमा, श्रावण का दोलन पूर्णिमा, आश्विन का शरद पूर्णिमा, कार्तिक का देव पूर्णिमा, माघ का माघी पूर्णिमा और फागुन का होलिका पूर्णिमा. कहने का आशय आठ पूर्णिमा धार्मिक अनुष्ठान के वैशिष्ट के साथ हमारे सामाजिक धार्मिक संस्कार में सम्मिलित हैं.

होलाष्टक से जुड़े हैं होली के आठ मूल तत्व

विष्णु पुराण के अनुसार, भक्त प्रहलाद के रक्षार्थ देव श्रीविष्णु में नरसिंह अवतार लेकर इसी दिन हिरण्यकशिपु का संहार किया था और धर्म तत्व का संवर्द्धन किया था. पर इसके लिए भी रूपरेखा के तैयारी आठ दिनों पहले ही शुरू हुई और वह पुण्य तिथि होलिका अष्टक ही थी. इसी होलिका अष्टक के साथ होली के आठ मूल तत्व जुड़े हैं, जिन्हें प्यार, मनुहार, उमंग, उत्साह, मस्ती, रासरंग, मिलन और आनंद के रूप में प्रस्तुत किया जाता है.

कामदेव का भी किया जाता है स्मरण

पूरे देश में खासकर ब्रज मंडल में होलिका अष्टक से ही होली की तैयारी प्रारंभ हो जाती है और चंदन, तुलसी, मेहंदी, हल्दी व टेसू सहित आठ रंग बनाये जाने की पौराणिक परंपरा है. अब तो लोग घर में रंग नहीं के बराबर ही बनाते हैं, पर होली के अंक आठ के तत्व का उपयोग आज भी जानकार लोग अवश्य किया करते हैं. उमंग, उत्साह व मस्ती के इस महापर्व में कामदेव का स्मरण भी किया जाता है और यह भी जानकारी की बात है कि कामदेव के कुल आठ नाम प्रसिद्ध हैं. इनमें अनंग, मदन, रतिकांत, पुष्पवान, मन्मथ, मनसिजा, कंदर्भ व रागवृंत का नाम आता है‌. कुल मिलाकर होलिका अष्टक होली की रंगभरी दास्तान की आहट है, जिसके आगमन से समस्त मानव समस्त जीव व प्रकृति मदमस्त हो जाती है.

Leave a Reply

error: Content is protected !!