होलोकास्ट डे: कुख्यात कैदखाना, जहां 60लाख यहूदियों को मार डाला गया.

होलोकास्ट डे: कुख्यात कैदखाना, जहां 60लाख यहूदियों को मार डाला गया.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

आज 27 जनवरी है।यह दिवस इजराइल में होलोकॉस्ट डे के रूप में मनाया जाता है। होलोकॉस्ट का मतलब है किसी को जलाकर मार देना। यानि वह नरसंहार जिसे हिटलर ने 1939 से 1945 तक कराया। जिसमें 60 लाख यहूदियों को विभिन्न प्रकार के यातना शिविर में क्रुर यातना के साथ मार डाला गया।उस समय पूरे यूरोप में 90लाख यहूदी रहते थे और उसमें से 60लाख यहूदियों को मार डाला गया, इन 60लाख में 15लाख तो केवल बच्चे थे।

जर्मनी का शासक एडोल्फ हिटलर 30 जनवरी 1933 को सत्ता पर काबिज हुआ। प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी की हार के बाद वह मानसिक और आर्थिक रूप से टूट चुका था। हिटलर ऐसा मानता था कि “जर्मनी के हार में यहूदियों का बड़ा हाथ है, यह जनसंख्या में छोटे हैं लेकिन सभी तरह के रणनीतिक क्षेत्रों में इनकी पैठ है, इनका दबदबा था,ये आर्थिक रुप से सुदृढ है।यह दुश्मन देश से मिलकर देश को हराने का काम करते हैं”।

उस समय पूरे यूरोप में 90लाख यहूदी रहा करते थे, वहीं जर्मनी में इनकी संख्या लगभग 5लाख थी। हिटलर अपनी सीमा का विस्तार करते हुए 1939 में पोलैंड देश पर कब्जा किया और वहां पर एक शिविर बनाया, जिसमें पहला कैंप BELEZC था, साथ ही एक अन्य शिविर बनाया,जिसमें अगले 4 साल में 11लाख यहूदियों को मार डाला गया यानी प्रत्येक दिन 12000 लोगों को जलाकर मार दिया जाता था। GAS chember में बड़ी यातना देकर मारा जाता था।

अपने Euthanesia programe के तहत हिटलर के जनरलों ने पोलैंड के GHETTO नामक स्थान पर पहला शिविर भी स्थापित किया जिसमें यहूदियों को रखा जाता था, जिसे कंसंट्रेशन कैंप भी कहां गया। यह कैम्प ऐसी सुनसान जगह पर था जहां से भाग पाना भी किसी के लिए मुश्किल था। आज यह कैंप संग्रहालय के रूप में अवस्थित है।इसी क्रम में हिटलर ने डेनमार्क, बेल्जियम,नीदरलैंड, लक्जमबर्ग,पर भी कब्जा किया। यहां से सारे यहूदियों को पकड़-पकड़ कर यातना शिविर लाकर यातना देकर मारा गया।


हिटलर एक बहुत अच्छा वक्ता था, यहूदियों के अलावा अन्य लोगों में इस बात को वह भर पाया कि यहूदियों लोगों की वजह से तुम्हें नौकरी नहीं मिल रही है,ये तुम्हारे सारे संसाधनों पर कब्जा जमाए हुए हैं, इसलिए भूखमरी है। मानवता, करुणा, दया, संवेदना को दरकिनार करते हुए सारे लोग हिटलर की बातों में आ गए और उन्होंने यहूदियों के खिलाफ एक मुहिम छेड़ दिया कि कहीं से भी यहूदी को पकड़ो और उसे यातना कैंप भेज दो जहां उन्हें मार डाला जाएगा। उन्हें ऐसा लगने लगा कि जब तक यहूदियों को मार नहीं डाला जाएगा तब तक हमारा कल्याण नहीं हो सकता है।

यह विश्व की सबसे बड़ी त्रासदी के रूप में आज भी याद किया जाता है। अगर इसके बारे में अगर आपको अधिक जानकारी करनी है तो ‘ऐनी फ्रैंक’ की डायरी जो हिंदी में भी उपलब्ध है, विश्व के लगभग 60 भाषाओं में इसका अनुवाद हो चुका है,आप इसे पढ सकते है। साथ ही एक फिल्म है ‘शिडंलरस लिस्ट’ (SCHINDLER’S list)जिसे स्टीवन स्पीलबर्ग ने निर्देशित किया था,उसे आप देख सकते हैं।होलोकॉस्ट दिवस को जान सकते हैं समझ सकते हैं।
आज भारत की जनता इजराइल के साथ है और इजरायल के इस दिवस को शोक दिवस के रूप में भारत के लोग भी मनाते हैं, और यह कामना करते हैं कि पूरे संसार में कहीं भी इस तरह की घटना भविष्य में ना हो।

कब खत्म हुआ यह सिलसिला
1945 में दूसरे विश्व युद्ध के खात्मे के समय जब सोवियत संघ की सेनाओं ने ऑश्वित्ज पर कब्जा किया, तब जाकर ये सिलसिला खत्म हुआ। उस समय भी इस कैंप में सात हजार कैदी थे। हालांकि सोवियत सेना के हमले के पहले ही हार का अंदेशा देख नरसंहार से जुड़े कई सबूतों को नाजियों ने मिटा दिया था।

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