गुरु जग्गी वासुदेव बिजनेसमैन से कैसे बने आध्यात्मिक गुरु

गुरु जग्गी वासुदेव बिजनेसमैन से कैसे बने आध्यात्मिक गुरु

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सद्गुरु जग्गी वासुदेव एक आध्यात्मिक गुरु हैं. इन्हें आध्यात्मिक जगत में एक प्रमुख गुरु के रूप में पहचाना जाता है, जिन्होंने लाखों लोगों का मार्गदर्शन किया है. सद्गुरु जग्गी वासुदेव का जन्म मैसूर में 3 सितंबर 1957 की रात 11 बजकर 54 मिनट पर एक संपन्न परिवार में हुआ था. वे धार्मिक जगत के गूढ़ रहस्यों की तलाश में रहते हैं. सद्गुरु जग्गी वासुदेव बचपन से ही अत्यंत साहसी हैं. वे पहले बिजनेसमैन थे. सद्गुरु जग्गी वासुदेव का एक बार प्यार छूटा तो वे मैसूर के पास चामुंडा पहाड़ी पर चले गए. उस जगह से पूरा मैसूर शहर दिखता था, तब उनकी उम्र 25 साल की थी.

जगदीश वासुदेव से बन गए आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव

सद्गुरु जग्गी वासुदेव चामुंडा पहाड़ी के एक चट्टान पर बैठकर कहीं खो गए. तब उनको ऐसा लगा कि जीवन निराकार है. उनका मैं मर गया. वे जाग्रत थे, लेकिन अपनी चेतना खो चुके थे. वे कुछ समझ नहीं पा रहे थे. उनके भीतर कुछ बदलने लगा. उस वक़्त तक वह एक युवा थे, एक बिजनेसमैन, जो दिल बहलाने के लिए बाइक उठाकर चल पड़े थे. उस वक़्त तक वह जगदीश वासुदेव थे, सद्गुरु नहीं. उस समय उनके हिसाब से मैं का मतलब था, मेरा शरीर और मेरा दिमाग़. इसके अलावा सब कुछ बाहरी था. लेकिन, उस चट्टान पर बैठने और अपने में खो जाने के बाद उनके लिए मैं और मेरा पर टिके रहना मुश्किल हो गया. उनकी आंखें खुली थीं, वह सब कुछ देख रहे थे, लेकिन तय नहीं कर पा रहे थे कि क्या मेरा है और क्या मेरा नहीं. उन्हें लगा कि वहां की हवा, ज़मीन, जिस पर वह बैठे हैं वो चट्टान-हर चीज़ तो मैं बन चुकी थी.

बिजनेस छोड़कर पकड़ लिया अध्यात्म का रास्ता

जग्गी वासुदेव के अंदर और बाहर का भेद मिट चुका था. इसी चट्टान पर बैठे-बैठे उन्हे ज्ञान की प्राप्ति हो गई. इसके बाद वे आनंदित हो गए. वापास जब नीचे आए तो वे पूरी तरह से बदल चुके थे. पहले से कहीं ज्यादा खुश थे. जग्गी वासुदेव एक बिल्कुल नये आयाम में पहुंच गए थे, जिसके बारे में उन्हें कुछ भी पता नहीं था. उन्हें एक बिल्कुल अलग तरह का अहसास हो रहा था. उन्होंने इतना आनंदित, उत्साहित हो रहे थे कि वे कभी कल्पना भी नहीं की थी. सब कुछ इतना सुंदर था कि सद्गुरु उसे अब खोना नहीं चाहते थे. वह उस चिंतन चट्टान से उठने के बाद पूरी तरह बदल चुके थे. इसी के बाद उन्होंने बिजनेस छोड़ा और अध्यात्म का रास्ता पकड़ लिया.

 पद्मविभूषण से सम्मानित हुए

सद्‌गुरु का आश्रम कोयंबटूर में है, जहां वे लोगों को योग की शिक्षा देते हैं साथ ही वे शिक्षा और अध्यात्म से संबंधित शिक्षा भी देते हैं. सद्‌गुरु की एक किताब है -इनर इंजीनियरिंग : A Yogi’s Guide to Joy and Karma जो बेस्ट सेलर है. उन्हें 2017 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया है. सद्‌गुरु अंतरराष्ट्रीय स्पीकार हैं, वे कई मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय देते हैं और श्रोताओं का मार्गदर्शन भी करते हैं. आज हम यहां उनके विभिन्न विषयों पर केंद्रित कुछ विचार पेश कर रहे हैं, जो अनमोल हैं.

प्रेम अनमोल है

प्रेम पर सद्‌गुरु के विचार अनमोल हैं, उनका कहना है कि प्रेम अनमोल है और आपको किसी से कभी भी हो सकता है. सच्चे प्रेम के लिए यह जरूरी नहीं है कि वह आपको किसी महिला या पुरुष से ही हो, वह आपको किसी से भी हो सकता है. प्रेम वो है जो आपको खुशी देता है, जिससे आपको मानसिक शांति और सुकून मिलती है. कई बार ऐसा भी होता है कि आप किसी महिला या पुरुष से प्रेम करते हैं और बात जब शादी तक पहुंचती है, तो हमें यह ज्ञात होता है कि वो प्रेम नहीं था. इसलिए हमें प्रेम को लेकर कंफ्यूजन में नहीं रहना है. प्रेम अनमोल है और सच्चा प्रेम हमेशा खुशी देता है.

 खुशी के बिना जीवन बेकार

सद्‌गुरु कहते हैं कि जीवन के लिए खुशी सबसे जरूरी चीज है. खुशी के बिना जीवन बेकार है. किसी भी व्यक्ति का जीवन तभी सफल और सुंदर माना जाएगा जब उसमें शांति और सुकून और खुशी हो. सद्‌गुरु यह भी कहते हैं कि जीवन में अगर आप खुद में सीमित रहेंगे और आत्मकेंद्रित रहेंगे तो आपके जीवन में शांति और खुशी नहीं आएगी.

सद्‌गुरु कहते हैं कि अगर खुशी के स्रोत बन जाएंगे तो आपके रिश्ते बहुत ही खूबसूरत हो जाएंगे. इसलिए अपने जीवन में रिश्तों को संवारने के लिए यह जरूरी है कि आप खुशियों से ओत-प्रोत रहें. खुशियों रहेंगी तो सभी रिश्ते रहेंगे फिर चाहे वो पति या पत्नी, बेटा हो या बेटी या फिर दोस्त हो या पड़ोसी.

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!