Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
नई बोतल में 'पुरानी शराब' ने कैसे कर दी AAP की सेहत खराब! - श्रीनारद मीडिया

नई बोतल में ‘पुरानी शराब’ ने कैसे कर दी AAP की सेहत खराब!

नई बोतल में ‘पुरानी शराब’ ने कैसे कर दी AAP की सेहत खराब!

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

कथित दिल्ली शराब नीति घोटाले को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) मुश्किल में हैं। इस मामले में अब तक कुल 16 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, ईडी ने छह आरोपपत्र दाखिल किए हैं। यह मामला दिल्ली सरकार द्वारा 2021-2022 के लिए उत्पाद शुल्क नीति के निर्माण और कार्यान्वयन के दौरान संदिग्ध मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार से संबंधित है।

जांच एजेंसी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया है, जिससे मामले में गिरफ्तार किए गए शीर्ष नेताओं की कुल संख्या छह हो गई है। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल को संघीय जांच एजेंसी ने 21 मार्च को राष्ट्रीय राजधानी के सिविल लाइंस इलाके में फ्लैगस्टाफ रोड स्थित उनके आधिकारिक आवास पर तलाशी के बाद गिरफ्तार कर लिया। ये गिरफ्तारी दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा किसी भी एजेंसी के दबाव से छूट के लिए केजरीवाल के अनुरोध को खारिज करने के तुरंत बाद हुई।

क्या है पुरानी शराब नीति

सबसे पहले समझते हैं कि घोटाला क्या है और किस बात को लेकर आम आदमी पार्टी की सरकार पर आरोप लग रहे हैं। घोटाले के मुख्य तीन किरदार हैं। पहला दिल्ली सरकार, दूसरा- शराब विक्रेता और तीसरा- शराब खरीदार। घोटाले को समझने के लिए मान लीजिए रोहन दिल्ली में रहता है, हर महीने बीयर की दुकान से 4 बीयर पीता है। मान लीजिए 1 बीयर की कीमत 150 रुपये है तो वह हर महीने 600 रुपये पीने पर खर्च करता है।

तो यह 600 रुपये कहां जाता है? ये पैसा सीधा शराब की दुकान में जाता है। शराब विक्रेता कुछ पैसे अपने पास रखता है, कुछ पैसे दिल्ली सरकार को उत्पाद शुल्क के रूप में देता है। मान लीजिए 150 रुपये 4 बियर का थोक मूल्य है। रोहन ने 600 रुपये में खरीदा। विक्रेता को 450 रुपये का लाभ हुआ। तो उस 450 रुपये के मुनाफे में से 400 रुपये दिल्ली सरकार के पास गए और शराब विक्रेता के पास गए 50 रुपये। पुरानी नीति में ऐसा हो रहा था। (कीमतें वास्तविक नहीं हैं, केवल समझाने के लिए ली गई हैं)।

नई शराब नीति क्या थी?

फिर दिल्ली की आप सरकार नई शराब नीति लेकर आए। जब भी मंत्री के रूप में आप नई नीति लेकर आते हैं तो आपका कर्तव्य ऐसी नीति बनाना है कि जिससे शराब की खपत कम हो जाए। शराब का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है ये तो हम सभी जानते हैं। ये और बात है कि इससे राज्य का राजस्व बढ़ता है। लेकिन आप सरकार ने ऐसी नीति बनाई कि शराब की खपत आसमान छूने लगी (हमारा रोहन जो एक महीने में 4 बीयर पीता था 6 बीयर पीने लगा)। राज्य के राजस्व में भारी गिरावट आई वहीं  शराब बेचने वालों के राजस्व में भारी वृद्धि हो गई।

तो हमारे काल्पनिक उदाहरण में पहले रोहन बीयर पर 600 रुपये खर्च कर रहा था। 400 रुपये सरकार को जा रहे थे और शराब विक्रेता के पास जा रहे थे 50 रुपये। लेकिन नई नीति के बाद रोहन ने 800 रुपये खर्च करना शुरू किया। लेकिन केवल 50 रुपये सरकार के पास गए और विक्रेता की जेब में गए 550 रुपये जाने लगे। सीधी सी बात है कि कोई ऐसी नीति क्यों बनाएगा जो लोगों को अधिक पीने के लिए प्रोत्साहित करती हो।

इससे सरकारी लाभ कम होता है (दिल्ली सरकार को 10,000 करोड़ रुपये की उम्मीद थी लेकिन नई नीति के बाद उन्हें केवल 2000 करोड़ रुपये मिले)। जो विक्रेताओं के राजस्व और लाभ में वृद्धि करता हो। राजस्व 6500 करोड़ रुपये से 9500 करोड़ रुपये) ऐसे में सबसे बड़ा सवाल कि कोई ऐसी नीति क्यों बनाएगा जब तक कि उसमें उनका कोई निजी हित न हो?

दिल्ली सरकार की नई शराब नीति में क्या ‘झोल’ था?

अब आपको बताते हैं कि दिल्ली आप सरकार ने नई शराब नीति में क्या किया कि सरकार का राजस्व कम हो गया, विक्रेताओं का लाभ बढ़ा और शराब की खपत बढ़ गई। नई नीति लागू करने से पहले कुल लगभग 875 स्टोर थे- 60% सरकारी शराब स्टोर (देसी थेके) और 40% निजी स्टोर थे। आप सरकार ने नई नीति में सभी सरकारी स्टोर बंद कर दिए और निजी खिलाड़ियों को पूरी दिल्ली का बाजार दे दिया।

नई नीति में सरकारी स्टोर की संख्या शून्य रही जबकि निजी स्टोर  पूरे 100 प्रतिशत। दावा किया जाता है कि ऐसे नियम बनाए कि छोटे निजी खिलाड़ी भी बाहर चले गए और पूरा बाजार केवल बड़े खिलाड़ियों में चला गया। थोक विक्रेताओं के लिए 12% का निश्चित लाभ मार्जिन रखा, चाहे खुदरा विक्रेताओं की बिक्री और वास्तविक लाभ कुछ भी हो। पिछली नीति में ये 2 % (अनुमानित) था।

लेकिन 12% का निश्चित लाभ मार्जिन ने थोक विक्रेताओं को अप्रत्याशित लाभ दिया। 12% का निश्चित लाभ मार्जिन को इस तरह से समझ सकते हैं कि मैं तुम्हें 12 रुपए की छूट दूंगा और उसमें से तुम मुझे 6 रुपए दे देना। ये मोटा-मोटा इल्जाम था।

आम आदमी पार्टी की सरकार दिल्ली को पीने का नया अनुभव देना चाहती थी और उन्हें लगा कि यह अच्छी नीति रहेगी? या उनकी निजी खिलाड़ियों के साथ सेटिंग थी और इस आकर्षक नीति के लिए कुछ मुनाफा शेयर मिला था? जांच एजेंसी इसकी जांच करेगी।

ईडी-केजरीवाल और कोर्ट

3 फरवरी, 2024 ईडी ने अदालत में कंप्लेंट केस दायर कर अरविंद केजरीवाल पर अपने लगातार भेजे जा रहे समन की अनदेखी का आरोप लगाया। पहली शिकायत में शुरुआती चार समन को आधार बनाया गया।

17 फरवरी: राउज एवेन्यू कोर्ट ने ईडी की शिकायत पर केजरीवाल को समन जारी किया और 17 फरवरी को अदालत में हाजिर होने का निर्देश दिया।

7 मार्च: राउज एवेन्यू की मैजिस्ट्रेट कोर्ट ईडी की दूसरी शिकायत पर केजरीवाल को नया समन जारी किया और 16 मार्च को अदालत में हाजिर होने का निर्देश दिया। यह वही तारीख थी जो ईडी की पहली शिकायत पर केजरीवाल को जारी समन पर तामील के लिए पहले से तय थी।

16 मार्च: अरविंद केजरीवाल संबंधित मैजिस्ट्रेट कोर्ट के सामने पेश हुए और जमानत लेकर लौट गए। केजरीवाल ने अर्जी दायर कर अदालत से उन्हें ईडी से कुछ दस्तावेज दिलाने का अनुरोध किया।

19 मार्च: ईडी से लगातार मिल रहे समन के खिलाफ सीएम HC पहुंच गए।

20 मार्च: सीएम की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने उनसे समन की अनदेखी का कारण पूछा। ईडी ने याचिका की सुनवाई के लिए औचित्यता पर सवाल उठाया और जवाब के लिए समय मांगा। कार्यवाही 22 अप्रैल तक स्थगित कर दी गई।

21 मार्च: हाई कोर्ट ने केजरीवाल के अनुरोध को ठुकरा दिया और ईडी को उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने से रोके जाने का तत्काल निर्देश पारित करने से मना कर दिया। कोर्ट ने ईडी को अर्जी पर जवाब देने की छूट दी और इस अर्जी को मुख्य याचिका के साथ 22 अप्रैल को सुनवाई के लिए लगा दिया।

सिसोदिया 13 महीने व जैन 23 महीने से सलाखों में हैं

संजय सिंहः दिनेश अरोड़ा की गवाही पर अक्टूबर 23 में ईडी ने गिरफ्तार किया। संजय सिंह के जरिए ही अरोड़ा की मुलाकात मनीष सिसौदिया से हुई थी।

मनीष सिसोदियाः डिप्टी सीएम थे। 26 फरवरी 23 को सीबीआई ने गिरफ्तार किया। कथित शराब नीति का मसौदा तैयार करने और सबूत मिटाने का आरोप।

सत्येंद्र जैनः स्वास्थ्य मंत्री थे। मई 22 में कथित हवाला में गिरफ्तार हुए। शराब नीति में भी पूछताछ। इनके अलावा, अमानतुल्ला खान, सोमनाथ भारती, संदीप कुमार, नरेश यादव, दिनेश मोहनिया, जगदीप सिंह, सुरिंदर सिंह, प्रकाश जरवाल समेत 14 और आप नेता जेल जा चुके।

केजरीवाल को क्यों किया गया गिरफ्तार

12 सदस्यों की प्रवर्तन निदेशालय की टीम 21 मार्च को शाम के सात बजे के करीब अरविंद केजरीवाल के निवास पर पहुंची थी। तभी से इस बात की आशंका जताई जाने लगी थी कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी हो सकती है। दरअसल, दिल्ली में नई शराब नीति नवंबर 2021 में आई थी उसे जुलाई 2022 में समाप्त कर दिया गया था। पूरे मामले को संक्षेप में समझें तो इल्जाम ये है कि इस तरह ठेके दिए गए और लाभ दिया गया कि उससे पैसे रिकवरी हो और चुनाव प्रभावित किए जाए। इसमें अनेक एजेंसियां इनवॉल्व है।

इल्जाम है कि 580 करोड़ का खजाने को नुकसान हुआ और इससे 292 करोड़ रुपए उठाया गया। उसे जेब में रखा गया या चुनाव में लगाया गया। उस दौर में बहुत सस्ती शराब बेची जा रही थी और एक पर एक फ्री या दो पर दो मुफ्त जैसे ऑफर दिए जा रहे थे। अब ये ऑफर कहां से आ रहे थे। दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार ने एक रिपोर्ट कंपाइल करके लेफ्टिनेंट गवर्नर विनय सक्सेना को जुलाई 2022 में सौंपी थी। उसमें उन्होंने कहा था कि जिस तरह से नई शराब नीति आई है उसक अंदर विधिक प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ है।

उसके अंदर उन्होंने कई सारे तथ्यों को उजागर किया। कहा गया कि जो फैसला दिल्ली सरकार ने लिया उसमें एक तरफा फैसले की झलक नजर आई। जिस तरह फैसले लिए गए उससे सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचा। अनुचित लाभ की वजह से 580 करोड़ रुपए का राजस्व का नुकसान हुआ। शराब के व्यापारियों को अनुचित लाभ दिए जाने की एवज में क्या मिला?

उनसे धन मिला और उसका इस्तेमाल आपने गोवा और पंजाब के 2022 चुनाव में किया। इस रिपोर्ट में ये सारे इल्जाम लगाए गए। इस रिपोर्ट को एलजी ने सीबीआई को रेफर कर दिया। सीबीआई ने अपनी कार्रवाई शुरू की और एक के बाद एक आम आदमी पार्टी के नेता जेल जा रहे हैं। मनीष सिसोदिया, संजय सिंह के साथ ही के कविता की भी गिरफ्तारी हुई।

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!