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अब तक युद्ध में रूस के 16,600 सैनिक मारे गए-यूक्रेन. - श्रीनारद मीडिया

अब तक युद्ध में रूस के 16,600 सैनिक मारे गए–यूक्रेन.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

रूस और यूक्रेन युद्ध का आज 32वां दिन है। युद्ध के 31वें दिन तक रूस ने यूक्रेन पर लगातार हमले किए। इन हमलों में यूक्रेन को काफी नुकसान पहुंचा है। हालांकि, यूक्रेन ने भी रूस पर जवाबी कार्रवाई की है। वहीं, युद्धग्रस्त यूक्रेन को अमेरिका 100 मिलियन डालर की नई सुरक्षा सहायता देगा। इस सहायता का उद्देश्य यूक्रेन के आंतरिक मामलों के मंत्रालय की सीमा सुरक्षा प्रदान करने, कानून प्रवर्तन कार्यों को बनाए रखने और महत्वपूर्ण सरकारी बुनियादी ढांचे की रक्षा करने की क्षमता को बढ़ाने के लिए है। साथ ही जो बाइडन ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को पोलैंड में ‘कसाई’ कहकर संबोधित किया है। बाइडन ने यह भी कहा कि रूस यूक्रेन युद्ध अब अपने दूसरे महीने में पहुंच गया है। इस युद्ध ने पश्चिम को एकजुट कर दिया है।

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को करीब पांच सप्‍ताह से अधिक का समय हो चुका है। दोनों देश पीछे हटने को राजी नहीं है। दोनों देशों के युद्ध के बीच अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने रूस को खबरदार किया है। उन्‍होंने कहा है कि रूस नाटो की सीमा में एक इंच घुसने की नहीं सोचे वरना इसके पर‍िणाम अच्‍छे नहीं होंगे। युद्ध या तीसरे विश्‍व युद्ध का नाम लिए बगैर बाइडन ने पुतिन को ललकारा है।

यह पहली बार है जब बाइडन ने रूस के खिलाफ सख्‍त चेतावनी दी है। खास बात यह है कि नाटो संगठन की बैठक के बाद बाइडन का यह बयान सामने आया है। यूक्रेन संघर्ष के दौरान यह रूस के लिए एक गाइडलाइन है। बाइडन ने साफ कर दिया है कि रूसी सेना को यूक्रेन तक ही सीमित रहना होगा। इस दौरान उन्‍होंने कहा कि नाटो एकजुट है। उसे तोड़ा नहीं जा सकता है। आखिर बाइडन के तेवर अचानक क्‍यों सख्‍त हुए? इसके पीछे बड़ी वजह क्‍या है? क्‍या रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन पर बाइडन के इस चेतावनी का असर होगा?

1- वैदेशिक मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि नाटो सदस्‍य देशों की बैठक के बाद अमेरिकी राष्‍ट्रपति बाइडन का यह बयान काफी अहम है। नाटो सदस्‍य देशों की चिंता को दूर करने के लिए बाइडन का यह बयान जारी किया है। रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन के आक्रामक तेवर ने यूक्रेन से सटे राष्‍ट्रों में एक हलचल पैदा कर दी है। वह कहीं न कहीं अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। चूंकि अमेरिका नाटो संगठन का एक प्रमुख देश है। ऐसे में बाइडन का यह बयान लाजमी है। उन्‍होंने यह बयान देकर जहां पुतिन को सावधान किया है वहीं इसका असर नाटो के सदस्‍य देशों के लिए भी विश्‍वास दिलाने वाला होगा।

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2- उन्‍होंने कहा कि पुतिन यूक्रेन को लेकर आरपार की लड़ाई के मूड में दिख रहे हैं। इसलिए पुतिन कह चुके हैं कि इस युद्ध में जो शामिल होगा उसको रूसी मिसाइलों का सामना करना होगा। उनका इशारा साफ था कि यह जंग यूक्रेन और रूस के बीच है। इसमें नाटो और अमेरिका को बीच में पड़ने की जरूरत नहीं है। इसी को आधार मानकर अमेरिका ने भी चीन को चेतावनी दी थी अगर उसने रूस का सहयोग किया तो उसके टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे। बाइडन की इस चेतावनी को पुतिन के चेतावनी से जोड़कर देखा गया था। लेकिन रूस ने यूक्रेन के साथ जंग में जब परमाणु विंग को अलर्ट पर किया तो नाटो की चिंता बढ़ गई। नाटो सदस्‍य देश जानते हैं कि अगर रूस ने यूक्रेन पर परमाणु युद्ध शुरू किया तो इसकी आंच उन तक जरूर पहुंचेंगी।

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3- उन्‍होंने कहा कि पुतिन ने रूसी परमाणु मिसाइल विंग को अलर्ट जारी करने के बाद ही नाटो सदस्‍य देशों की बैठक शुरू हुई। इसके बाद ही नाटो सेना को यूक्रेन से सटे हुए देशों में तैनात किया गया। अब इंतजार रूस के अगले कदम का है। अगर पुतिन इस युद्ध में यूक्रेन के खिलाफ परमाणु बम का इस्‍तेमाल करते हैं तो यह युद्ध यूक्रेन और रूस के बीच तक सीमित नहीं रहेगा। ऐसे में नाटो सेना को आगे आने होगा। यदि नाटो सेना युद्ध में शामिल हुई तो अमेरिका को अनायास इस जंग का हिस्‍सा बनना होगा। हालांकि, उन्‍होंने कहा कि अब गेंद पुतिन के पाले में हैं कि वह क्‍या फैसला लेते हैं।

4- प्रो पंत ने कहा कि अमेरिकी राष्‍ट्रपति बाइडन इस जंग को वैचारिक आधार दे रहे हैं। यही कारण है कि उन्‍होंने पुतिन को हटाने का आह्वान करते हुए कहा कि वह व्यक्ति सत्ता में नहीं रह सकता। बाइडन ने पोलैंड की राजधानी वारसा में अपने भाषण का इस्तेमाल उदार लोकतंत्र और नाटो सैन्य गठबंधन का बचाव करने के लिए किया। उन्होंने यह भी कहा कि यूरोप को रूसी आक्रामकता के खिलाफ लंबे संघर्ष के लिए खुद को तैयार करना चाहिए।

उन्होंने पोलैंड में जन्मे पोप जान पाल द्वितीय के कहे शब्दों का जिक्र किया और चेतावनी दी कि यूक्रेन पर पुतिन के आक्रमण से दशकों लंबे युद्ध का खतरा है। बाइडन ने कहा कि इस लड़ाई में हमें स्पष्ट नजर रखने की जरूरत है। यह लड़ाई दिनों या महीनों में नहीं जीती जाएगी। प्रो पंत ने यह संकेत दिया कि यह जंग वैचारिक है और यह लंगी चलेगी। इसके लिए यूरोपीय देशों को तैयार रहना चाहिए।

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पुतिन के आदेश पर पनडुब्बियों की तैनाती

गौरतलब है कि पुतिन के आदेश पर रूसी नौसेना की कई परमाणु पनडुब्बियां उत्तरी अटलांटिक में तैनात की गई है। इन पनडुब्बियों में से हर एक पर 16 बैलिस्टिक मिसाइलें तैनात की जा सकती हैं। इन पनडुब्बियों को यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद पुतिन के आदेश पर भेजा गया है। नाटो देशों ने रूसी नौसेना की इन पनडुब्बियों को लगभग चार हफ्ते पहले ही ट्रैक कर लिया था। तब से नाटो देशों की निगाहें इन पनडुब्बियों पर टिकी हुई हैं। ब्रिटिश नौसेना ने रूसी पनडुब्बियों की तैनाती को खतरा न मानते हुए पुतिन की चेतावनी बताया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इन पनडुब्बियों को नाटो देशों के आसपास के इलाकों में गश्त लगाने का आदेश दिया गया है।

 

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