सीवान के सुरैला चंवर और कमलदाह सरोवर का दिन अब फिरेगा,कैसे?

सीवान के सुरैला चंवर और कमलदाह सरोवर का दिन अब फिरेगा,कैसे?

जिले में प्रवासी पक्षियों को देखने की सुविधा बढ़ाने से ईको टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा-जिला पदाधिकारी

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जिले के सुरैला चंवर और कमलदाह सरोवर में हुई पक्षियों की गणना-जिला वन पदाधिकारी

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क


जिला पदाधिकारी सीवान, डॉ आदित्य प्रकाश की अध्यक्षता में जिला में इको टूरिज्म बढ़ाने से संबंधित महत्वपूर्ण बैठक समाहरणालय कार्यालय कक्ष में आहूत की गई।

बैठक में जिला वन पदाधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि जिले में हर साल ठंड के मौसम की शुरुआत होने पर हर साल प्रवासी पक्षियों का आगमन बड़ी संख्या में होता है। इसको देखते हुए वन विभाग ने इनके संरक्षण ओर सवर्द्धन को लेकर कार्य करना शुरू कर दिया है। ताकि इको टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा सके।

इसी क्रम में को सीवान जिले के दो स्थलों पचरुखी प्रखंड के सुरैला चंबर और सिसवन प्रखंड के मेंहदार में स्थित कमलदाह सरोवर में एशियाई जल पक्षियों की गणना की गई है। इनकी अच्छी खासी संख्या पाई गई है।

जिला पदाधिकारी  डॉ आदित्य प्रकाश ने इस पूरे कार्य की सराहना करते हुए बैठक में बताया कि जिला के इन क्षेत्रों को इको टूरिज्म के रूप में विकसित करने हेतु हर संभव प्रयास किया जाएगा।

सर्वप्रथम कमलदाह सरोवर में इको टूरिज्म को विकसित करने हेतु तत्काल प्रयास प्रारंभ करने का निर्देश जिला वन पदाधिकारी गोपालगंज सह- प्रभारी जिला वन पदाधिकारी सिवान को दिया गया।

प्रभारी जिला वन पदाधिकारी, सिवान ने बैठक में जानकारी देते हुए बताया कि करीब 130 एकड़ में फैले सुरैला चंवर में लगभग सालोंभर पानी जमाव रहता है। इसको लेकर यहां पर इन प्रवासी पक्षियों के आगमन को देखते हुए यह कदम उठाया गया है।

वहीं, कमल दाह सरोवर में भी बराबर पानी रहने के कारण ऐसे पक्षियों का आगमन होता है। इन प्रवासी पक्षियों की गणना की गई। मालूम हो कि सीवान जिले में वन विभाग की ओर से इस तरह की गणना पहली बार कराई जा रही है। इसके पहले से कोई ऐसा आंकड़ा जिले में उपलब्ध नहीं है,

जिससे यह पता चल सके कि किस तरह के प्रवासी पक्षी सीवान जिले में हर साल आते हैं। इन पक्षियों की कितनी प्रजातियां जिले में आती हैं। कितने पक्षी लगभग हर साल इस जिले में आते हैं और कितनी की संख्या में फिर मार्च में ये लौट जाते हैं। इनके आने के साथ ही इनकी प्रजातियों और संख्या के बारे में पता लगाने के लिए मूल रुप से यह गणना की गई।

अगर इनका सही आकलन हो जाएगा तो इको टूरिज्म को भी बढ़ावा मिल सकेगा।

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