मानव को ईश्वर आराधना के साथ अच्छा कर्म भी करना चाहिए: अरविंद जी महाराज
श्रीनारद मीडिया, के के सिंह, सेंगर, एकमा, सारण (बिहार ):
मांझी प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत झखड़ा गांव स्थित काली मंदिर परिसर में चल रहे शतचंडी महायज्ञ के दौरान भागवत कथा सुनाते हुए आचार्य अरविंद जी महाराज ने श्रीकृष्ण के अवतार की चर्चा करते हुए कहा कि मनुष्य का पाप जब सर चढ़ कर बोलता है तब वह अपने को सर्वश्रेष्ठ घोषित कर देता है और दूसरे को तुच्छ समझने लगता है। उसके विचार अत्याचार व अधर्म के समर्थक बन जाते हैं। वह कंस की तरह तानाशाह शासक बन धरती का बोझ हो जाता है। वैसी परिस्थिति में धरती का बोझ हरण करने के लिए, जीवों व धर्म की रक्षा करने के लिए प्रभु कभी राम तो कभी कृष्ण के रूप में अवतार धारण करते हैं। मानव जीवन में प्रतिदिन जाने-अनजाने, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अनेक पाप होते हैं। जिनके लिए ईश्वर से क्षमा मांगते हुए प्रायश्चित करना हीं एक मात्र मुक्ति पाने के उत्तम उपाय है। मानव को ईश्वर आराधना के साथ अच्छे कर्म करना चाहिए। अरविंद जी महाराज ने श्रद्धालु श्रोताओं से जीवन में सत्संग व शास्त्रों के सारांश को समझने और आदर्शों को अपनाने का निवेदन किया। उन्होंने कहा कि सत्संग में वह शक्ति है जो व्यक्ति के जीवन को बदल कर सदमार्ग की ओर ले जाती है। व्यक्ति को अपने जीवन से क्रोध, लोभ, मोह, हिंसा, प्रपंच आदि का त्यागकर विवेक के साथ श्रेष्ठ कर्म करने चाहिए।
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