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IMA ने बिहार में डॉक्टरों के हड़ताल का किया ऐलान,क्यों ?

पूर्णिया जिले में सर्जन डॉक्टर राजेश पासवान पर हुए जानलेवा हमले के विरोध में हड़ताल

IMA ने बिहार में डॉक्टरों के हड़ताल का किया ऐलान,क्यों ?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार के पूर्णिया में सर्जन डॉ राजेश पासवान पर हुए हमले के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने बिहार में मंगलवार को एकदिवसीय हड़ताल पर जाने की घोषणा की है। आईएमए की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि 21 नवंबर को बिहार के सभी सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर हड़ताल पर रहेंगे।

हालांकि इस दौरान इमरजेंसी का कामकाज चलता रहेगा।  आईएमए के एक्शन कमेटी के अध्यक्ष डॉ अजय कुमार ने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम को लेकर 22 नवंबर को पटना में संगठन की आपात बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा। आईएमए ने इस घटना को लेकर एक वीडियो भी जारी किया है जिसमें सर्जन डॉ राजेश पासवान की हालत गंभीर दिख रही है। फिलहाल राजेश पासवान को पटना रेफर किया गया है।

आईएमए से जुड़े सदस्यों के अनुसार सर्जन डॉ राजेश कुमार को मरीज के परिजनों द्वारा पुलिस की उपस्थिति में मानसिक और शारीरिक पीड़ा पहुंचाई गई है। पुलिस की अभिरक्षा में डॉक्टर की पिटाई होती रही और यह सिलसिला 4 घंटे तक चलता रहा। दरअसल सर्जन राजेश पासवान के क्लीनिक में पोस्ट एलएमएस रोगी की मृत्यु हो गई थी, जिससे नाराज परिजनों ने सर्जन पर हमला कर दिया था। पीड़ित डॉक्टर का पटना में इलाज चल रहा है।

वहीं पूर्णिया आईएमए के अध्यक्ष डॉ एके सिन्हा ने बताया कि इस घटना के विरोध में  21 नवंबर मंगलवार को राज्य के सभी चिकित्सीय संस्थानों में कार्य (सरकारी अस्पतालों में इमरजेन्सी सेवा छोड़कर) बंद रहेंगे तथा 22 नवंबर बुधवार की शाम आठ बजे बिहार आईएमए की एक्शन कमेटी की विस्तारित बैठक में आगे की कार्रवाई तय होगी। उन्होंने कहा कि दो दिन पूर्व एक चिकित्सक की रोगी के परिजनों ने जमकर पिटाई कर दी थी।

चिकित्सक को भीड़ के बीच से किसी तरह से निकाल कर अस्पताल और फिर मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें स्थिति ठीक नहीं होने के कारण पटना भेज दिया। बता दें कि घटना के विरोध में पूर्णिया में आईएमए ने सांकेतिक कामकाज बंद रखा था। आईएमए ने अपनी एक बैठक में घटना पर विरोध जताया था।

एके सिन्हा ने कहा कि ऐसी घटना होने से कोई भी चिकित्सक किसी भी गंभीर मरीज को देखना नहीं चाहेंगे। उन्होंने कहा कि प्रशासन को इस तरह की घटना पर रोक लगाना चाहिए। जब तक चिकित्सक सुरक्षित नहीं रहेंगे रोगी का उपचार करने में असहज महसूस करेंगे। उन्होंने कहा की इसी आलोक में राज्य संगठन ने काम काज बंद रखने का निर्णय लिया है। मांगे पूरी नहीं हुईं तो आगे भी राज्य इकाई आंदोलन का निर्णय ले सकती है। पूर्णिया शहर के अंदर फिलहाल 300 से अधिक निजी क्लीनिक और चिकित्सा संस्थान हैं। इन संस्थानों में कामकाज बंद रहने से चिकित्सा व्यवस्था पर अवसर पर सकता है। हालाकि संगठन ने अपनी हड़ताल में  अस्पताल की इमरजेंसी सेवा को अलग रखा है।

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