भारत की विदेश नीति में G20 का महत्त्व!

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

नई दिल्ली, भारत में 9 और 10 सितंबर, 2023 को 18वें G20 शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह पहला शिखर सम्मेलन था जब भारत ने G20 देशों के शिखर सम्मेलन की मेज़बानी की।

  • इस शिखर सम्मेलन का विषय “वसुधैव कुटुंबकम” था, जिसका अर्थ है “विश्व एक परिवार है“।
  • G20 देशों की नई दिल्ली घोषणा में रूस-यूक्रेन तनाव से लेकर धारणीय विकास, खाद्य सुरक्षा और वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन शुरू करने जैसे विविध वैश्विक मुद्दों पर सर्वसम्मत सहमति बनी।

18वें G20 शिखर सम्मेलन के प्रमुख निष्कर्ष:

  • अफ्रीकी संघ को स्वीकृति (अब G21):
    • इस मंच में विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के एक महत्त्वपूर्ण कदम के रूप में G20 देशों ने अफ्रीकी संघ (African Union- AU) को स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करने का निर्णय लिया।
    • अफ्रीकी संघ को G20 में शामिल किये जाने का प्रभाव:
      • G20 में AU की सदस्यता वैश्विक व्यापार, वित्त और निवेश को नई दिशा देने का अवसर प्रदान करती है तथा G20 के भीतर ग्लोबल साउथ के प्रतिनिधित्व में वृद्धि करने में अहम भूमिका अदा करेगी।
      • इससे G20 के भीतर अफ्रीकी संघ के हितों और दृष्टिकोणों पर विचार करना और उन पर ध्यान देना संभव हो सकेगा।
  • वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन (Global Biofuels Alliance- GBA):
    • परिचय:
      • यह भारत के नेतृत्व में एक पहल है जिसका उद्देश्य जैव ईंधन अपनाने को बढ़ावा देने के लिये सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों तथा उद्योगों का गठबंधन सुनिश्चित करना है।
      • इस पहल का लक्ष्य जैव ईंधन को ऊर्जा संक्रमण के एक प्रमुख घटक के रूप में स्थापित करना तथा रोज़गार सृजन व आर्थिक विकास में योगदान देना है।
      • यह भारत के मौजूदा PM-JIWAN योजनाSATAT और GOBAR DHAN योजना जैसे जैव ईंधन कार्यक्रमों को गति देने में मदद करेगा।
        • अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार, शुद्ध शून्य लक्ष्य के परिणामस्वरूप वर्ष 2050 तक जैव ईंधन क्षमता में साढ़े तीन से पाँच गुना वृद्धि की जाएगी।
    • गठन और संस्थापक सदस्य:
      • इस गठबंधन की शुरुआत नौ आरंभिक सदस्य देशों; भारत, अमेरिका, ब्राज़ील, अर्जेंटीना, बांग्लादेश, इटली, मॉरीशस, दक्षिण अफ्रीका और संयुक्त अरब अमीरात के साथ की गई थी।
        • GBA के सदस्य देश जैव ईंधन के प्रमुख उत्पादक और उपभोक्ता हैं। इथेनॉल के उत्पादन में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा 52%, ब्राज़ील द्वारा 30% एवं भारत द्वारा 3% के साथ लगभग 85% के योगदान के साथ ही इन्हीं देशों में इसकी लगभग 81% खपत होती है।
      • इसमें शामिल होने के लिये 19 देश और 12 अंतर्राष्ट्रीय संगठन पहले ही सहमति व्यक्त कर चुके हैं।
      • वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन का समर्थन करने वाले देश जिन्हें G20 में आमंत्रित किया गया:
        • बांग्लादेश, सिंगापुर, मॉरीशस, संयुक्त अरब अमीरात।
      • वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन के गैर-समर्थक देश: 
        • आइसलैंड, केन्या, गुयाना, पैराग्वे, सेशेल्स, श्रीलंका, युगांडा और फिनलैंड।
      • अंतर्राष्ट्रीय संगठन:
        • विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक, विश्व आर्थिक मंच, विश्व एलपीजी संगठन, संयुक्त राष्ट्र-सभी के लिये ऊर्जा, UNIDO, बायोफ्यूचर्स प्लेटफाॅर्म, अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा मंच, अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी, विश्व बायोगैस एसोसिएशन।
  • भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC):
    • भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) की स्थापना के लिये भारत, अमेरिका, सऊदी अरब, यूरोपीय संघ, संयुक्त अरब अमीरात, फ्राँस, जर्मनी और इटली की सरकारों के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।
    • IMEC वैश्विक अवसंरचना और निवेश के लिये साझेदारी (Partnership for Global Infrastructure Investment- PGII) नामक एक व्यापक पहल का हिस्सा है।
      • PGII को सबसे पहले जून 2021 में ब्रिटेन में आयोजित G7 शिखर सम्मेलन के दौरान पेश किया गया था।
        • इसका लक्ष्य सार्वजनिक और निजी निवेश के संयोजन के माध्यम से विकासशील देशों में बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को वित्तपोषित करना है।
    • IMEC भारत, मध्य-पूर्व और यूरोप को जोड़ने वाली एक महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचा परियोजना है।
    • इस परियोजना का लक्ष्य रेलवे और समुद्री मार्गों सहित परिवहन गलियारों का एक नेटवर्क स्थापित करना है।
    • इसे चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) की प्रतिक्रिया के रूप में देखा जाता है, यह एक वैकल्पिक बुनियादी ढाँचा नेटवर्क प्रदान करता है।
  • वित्तीय समावेशन दस्तावेज़ के लिये G20 ग्लोबल पार्टनरशिप:
    • विश्व बैंक द्वारा तैयार वित्तीय समावेशन दस्तावेज़ के लिये G20 ग्लोबल पार्टनरशिप ने केंद्र सरकार के तहत पिछले एक दशक में भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) के परिवर्तनकारी प्रभाव की सराहना की है।
    • यह दस्तावेज़ निम्नलिखित पहलों पर बल देता है जिन्होंने DPI परिदृश्य को आकार देने में बड़ी भूमिका निभाई:
      • तीव्र वित्तीय समावेशन:
        • भारत के DPI दृष्टिकोण ने केवल 6 वर्षों में 47 वर्षों की वित्तीय समावेशन प्रगति हासिल की।
        • जन धन-आधार-मोबाइल (JAM) ट्रिनिटी की सहायता से वित्तीय समावेशन दर को वर्ष 2008 में 25% से बढ़ाकर 6 वर्षों के भीतर 80% से अधिक किया गया।
        • विभिन्न विनियामक ढाँचे, राष्ट्रीय नीतियों और आधार-आधारित सत्यापन ने DPI की स्थापना में अहम योदगान दिया।
      • प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) की सफलता:
        • PMJDY खातों की संख्या 147.2 मिलियन (मार्च 2015) से तीन गुना बढ़कर 462 मिलियन (जून 2022) हो गई।
        • इनमें से 56% खाताधारक महिलाएँ हैं, अर्थात् इनकी संख्या 260 मिलियन से अधिक है।
        • अप्रैल 2023 तक 12 मिलियन से अधिक ग्राहकों को आकर्षित करते हुए PMJDY ने कम आय वाली महिलाओं की बचत को बढ़ावा दिया।
      • सरकार से व्यक्ति (G2P) भुगतान:
        • भारत के डिजिटल G2P आर्किटेक्चर ने 53 मंत्रालयों के 312 योजनाओं के माध्यम से लाभार्थियों को 361 बिलियन अमेरिकी डॉलर के अंतरण की सुविधा प्रदान की।
        • इसके माध्यम से मार्च 2022 तक 33 बिलियन अमेरिकी डॉलर की कुल बचत की गई, जो GDP के 1.14% के बराबर है।
      • एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) के उपयोग में उत्तरोत्तर वृद्धि:
        • मई 2023 में 9.41 बिलियन से अधिक UPI लेन-देन हुए, जिनकी कीमत 14.89 ट्रिलियन रुपए थी।
        • वित्त वर्ष 2022-23 में UPI लेन-देन भारत की नॉमिनल GDP के 50% के करीब पहुँच गया।
      • निजी क्षेत्र की दक्षता:
        • DPI ने जटिलता, लागत और समय को कम करते हुए निजी संगठनों के संचालन को सुव्यवस्थित किया।
        • कुछ NBFCs ने 8% अधिक SME ऋण रूपांतरण दर, मूल्यह्रास लागत में 65% बचत और धोखाधड़ी का पता लगाने में 66% लागत की कमी हासिल की।
        • DPI उपयोग के साथ भारत में बैंकों की ग्राहक ऑनबोर्डिंग लागत 23 अमेरिकी डॉलर से घटकर 0.1 अमेरिकी डॉलर हो गई।
      • KYC की अनुपालन लागत में कमी:
        • अनुपालन लागत को 0.12 अमेरिकी डॉलर से घटाकर 0.06 अमेरिकी डॉलर किये जाने से कम आय वाले ग्राहक अधिक आकर्षित हुए।
      • सीमा पार भुगतान:
        • UPI-PayNow लिंकेज के कारण सिंगापुर के साथ सीमा पार से त्वरित और सस्ते भुगतान सुनिश्चित हुए।
      • अकाउंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क:
        • 13.46 मिलियन सहमति के साथ डेटा साझा करने के लिये 1.13 बिलियन खातों को सक्षम किया गया।
      • डेटा एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन आर्किटेक्चर (DEPA):
        • यह व्यक्तियों को उनके डेटा पर नियंत्रण प्रदान करता है, नवाचार और प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देता है।

G20 शिखर सम्मेलन 2023 की अन्य मुख्य विशेषताएँ:

  • वर्ष 2030 तक वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करना:
    • G20 देशों ने वर्ष 2030 तक वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने की दिशा में काम करने का वादा किया।
      • अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के एक आकलन के अनुसार, यदि इस लक्ष्य को पूरा किया जाता है तो वर्ष 2030 तक सात अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन से बचा जा सकता है।
      • यह ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के वैश्विक प्रयासों के अनुरूप है।
    • यह जीवाश्म ईंधन से स्वच्छ ऊर्जा विकल्पों की ओर एक महत्त्वपूर्ण संक्रमण का प्रतिनिधित्व करता है।
    • यह घोषणा स्वीकार करती है कि वर्तमान जलवायु कार्रवाई अपर्याप्त है और पेरिस समझौते के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये खरबों डॉलर के वित्तीय परिव्यय की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है।
    • निर्दिष्ट पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का विस्तार करने से वर्ष 2023 और वर्ष 2030 के बीच लगभग 7 बिलियन टन CO2 उत्सर्जन से बचा जा सकता है।
  • वैश्विक खाद्य सुरक्षा और पोषण के प्रति प्रतिबद्धता:
    • G20 के नेतृत्वकर्ता खाद्य और ऊर्जा की कीमतों सहित बढ़ती कमोडिटी कीमतों, जो जीवन-यापन के दबाव में योगदान करते हैं, का समाधान करने के महत्त्व को समझते हैं।
    • वैश्विक चुनौतियाँ कमज़ोर समूहों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करती हैं, इसलिये उनका लक्ष्य भुखमरी और कुपोषण का उन्मूलन करना है।
    • G20 घोषणापत्र में मानवीय पीड़ा और यूक्रेन युद्ध के चलते वैश्विक खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा, आपूर्ति शृंखला, मुद्रास्फीति तथा आर्थिक स्थिरता पर पड़ने वाले प्रभावों पर प्रकाश डाला गया है।
    • G20 देशों ने ब्लैक सी ग्रेन पहल के समयबद्ध और पूर्ण कार्यान्वयन का आह्वान किया।
    • G20 की अध्यक्षता के दौरान कृषि कार्य समूह ने दो पहलुओं पर ऐतिहासिक सहमति प्राप्त की: खाद्य सुरक्षा और पोषण पर दक्कन G20 उच्च-स्तरीय सिद्धांत और महर्षि (MAHARISHI) नामक कदन्न पहल।
      • खाद्य सुरक्षा और पोषण पर उच्च-स्तरीय सिद्धांतों के तहत सात सिद्धांतों के अंतर्गत मानवीय सहायता, खाद्य उत्पादन एवं खाद्य सुरक्षा नेट कार्यक्रम, जलवायु-स्मार्ट दृष्टिकोण, कृषि खाद्य प्रणालियों की समावेशिता, एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण, कृषि क्षेत्र का डिजिटलीकरण तथा कृषि में ज़िम्मेदार सार्वजनिक व निजी निवेश को बढ़ाना शामिल हैं।
      • महर्षि (कदन्न और अन्य प्राचीन अनाज पर अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान पहल) का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय कदन्न वर्ष 2023 और उसके बाद के वर्षों के दौरान अनुसंधान सहयोग को बढ़ाना तथा कदन्न एवं अन्य प्राचीन अनाज के विषय में जागरूकता उत्पन्न करना है।
    • G20 कृषि, खाद्य और उर्वरक में पारदर्शी, निष्पक्ष और नियम-आधारित व्यापार को बढ़ावा देने के लिये प्रतिबद्ध है। उन्होंने निर्यात प्रतिबंध नहीं लगाने, बाज़ार की विकृतियों को कम करने और WTO नियमों के साथ तालमेल बिठाने की प्रतिज्ञा की।
    • G20 देशों ने पारदर्शिता में वृद्धि करने के लिये कृषि कदन्न सूचना प्रणाली (AMIS) और पृथ्वी अवलोकन वैश्विक कृषि निगरानी समूह (GEOGLAM) को मज़बूत करने के महत्त्व पर ज़ोर दिया।
      • इसके अंतर्गत वनस्पति तेलों को शामिल करने के लिये AMIS का विस्तार करना और खाद्य कीमतों में अस्थिरता से बचने हेतु प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों के साथ सहयोग बढ़ाना शामिल है।
        • छोटे हथियार और आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकाने:
          • वर्ष 2023 की नई दिल्ली घोषणा पिछली G20 घोषणाओं, विशेष रूप से वर्ष 2015 के तुर्किये घोषणा, पर आधारित है, जिसमें आतंकवाद की कड़ी निंदा की गई थी। वर्ष 2022 के G20 बाली नेतृत्वकर्ताओं की घोषणा (जो मुख्य रूप से आतंकवाद के वित्तपोषण और वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) को मज़बूत करने पर केंद्रित थी) के विपरीत नई दिल्ली घोषणा में आतंकवाद से संबंधित विभिन्न चिंताएँ शामिल हैं।
          • नई दिल्ली घोषणा में G20 देशों ने स्पष्ट रूप से आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की निंदा की है।
          • यह घोषणापत्र वैश्विक परिसंपत्ति पुनर्प्राप्ति नेटवर्क को बढ़ाने और आपराधिक गतिविधियों से अर्जित धन की रिकवरी के लिये FATF के प्रयासों का समर्थन करता है।
        • स्वास्थ्य देखभाल में लचीलापन और अनुसंधान:
          • G20 नई दिल्ली नेतृत्वकर्ताओं की घोषणा में स्वास्थ्य देखभाल पर काफी बल दिया गया है और एक लचीली स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के निर्माण की आवश्यकता को प्राथमिकता दी गई है।
          • यह अधिक लचीला, न्यायसंगत, सतत् और समावेशी स्वास्थ्य प्रणाली बनाने के लिये वैश्विक स्वास्थ्य व्यवस्था को मज़बूत करने हेतु प्रतिबद्ध है। इस प्रयास में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की केंद्रीय भूमिका है।
          • इसका लक्ष्य आगामी दो से तीन वर्षों के अंदर प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल, स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्यबल और आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं को महामारी से पहले के स्तर से बेहतर स्तर तक बढ़ाना है।
          • तपेदिक और AIDS जैसी मौजूदा महामारियों का समाधान करने के अतिरिक्त G20 विस्तारित कोविड पर शोध के महत्त्व को रेखांकित करता है।
          • भारत की G20 अध्यक्षता ने आधुनिक चिकित्सा के साथ साक्ष्य-आधारित पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के एकीकरण पर भी ज़ोर दिया।
          • इसमें वन हेल्थ दृष्टिकोण (जो रोगाणुरोधी प्रतिरोध से निपटने पर विशेष ध्यान देने के साथ एक ही तंत्र के अंदर पशुओं, पादपों और मनुष्यों में बीमारियों को ट्रैक करता है) अपनाने पर ज़ोर दिया गया है।
        • वित्त ट्रैक (Finance Track) समझौते:
          • भारत की G-20 की अध्यक्षता ने क्रिप्टोकरेंसी के लिये एक समन्वित और व्यापक नीति एवं नियामक ढाँचे की नींव रखी है।
          • इसमें क्रिप्टो परिसंपत्ति विनियमन हेतु वैश्विक सहमति पर ज़ोर दिया गया।
          • G-20 देशों ने विश्व स्तर पर उच्च विकासात्मक मांगों को पूरा करने के लिये अधिक मज़बूत और प्रभावी बहुपक्षीय विकास बैंकों (MDB) की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया।
          • वित्तीय समावेशन के लिये डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे के इंडिया स्टैक मॉडल को एक आशाजनक दृष्टिकोण के रूप में स्वीकार किया गया है।
          • G-20 देशों की नई दिल्ली घोषणा क्रिप्टो-परिसंपत्ति पारिस्थितिकी तंत्र के तेज़ी से विकास से जुड़े जोखिमों की निगरानी पर ज़ोर देती है।
        • भारत-मर्कोसुर तरजीही व्यापार समझौता (Preferential Trade Agreement):
          • भारत और ब्राज़ील ने आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिये भारत-मर्कोसुर PTA के विस्तार हेतु मिलकर कार्य करने पर सहमति जताई है।
            • मर्कोसुर लैटिन अमेरिका में एक व्यापारिक समूह है, जिसमें ब्राज़ील, अर्जेंटीना, उरुग्वे और पैराग्वे शामिल हैं।
          • भारत-मर्कोसुर PTA 1 जून, 2009 को प्रभाव में आया, इसका उद्देश्य उन चुनिंदा वस्तुओं पर सीमा शुल्क को खत्म करना था जिन पर भारत और मर्कोसुर ब्लॉक के बीच सहमति बनी थी।
        • जलवायु वित्तपोषण प्रतिबद्धता:
          • इस घोषणापत्र में जलवायु वित्तपोषण में पर्याप्त वृद्धि पर ज़ोर दिया गया है, जिसमें बिलियन डॉलर से ट्रिलियन डॉलर के “क्वांटम जंप” अर्थात् काफी बड़े बदलाव का आह्वान किया गया है।
          • यह विकासशील देशों के लिये वर्ष 2030 से पहले की अवधि में 5.8-5.9 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर और वर्ष 2050 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने हेतु स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के लिये प्रतिवर्ष 4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की वित्तीय सहायता की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
        • भारत का सांस्कृतिक प्रदर्शन:
          • भारत मंडपम (अनुभव मंडपम से प्रेरित)।
          • भगवान नटराज की कांस्य प्रतिमा (चोल शैली)।
          • ओडिशा के सूर्य मंदिर का कोणार्क चक्र और नालंदा विश्वविद्यालय की छवि (प्रतिष्ठित पृष्ठभूमि के रूप में प्रयुक्त)।
          • तंजावुर पेंटिंग और ढोकरा कला।
          • बोधि वृक्ष के नीचे स्थापित भगवान बुद्ध की पीतल की मूर्ति।
          • विविध संगीत विरासत (हिंदुस्तानी, लोक संगीत, कर्नाटक, भक्ति)।
        • G20 अध्यक्षता में परिवर्तन:
          • भारत के प्रधानमंत्री ने ब्राज़ील के राष्ट्रपति लुइज़ इंसियो लूला दा सिल्वा को G20 अध्यक्ष का पारंपरिक उपहार सौंपा, जिन्हें 1 दिसंबर, 2023 को आधिकारिक तौर पर इसकी अध्यक्षता प्राप्त हो जाएगी।

        G20 शिखर सम्मेलन 2023 में नवीनतम भारत-अमेरिका सहयोग:

        • लचीली सेमीकंडक्टर आपूर्ति शृंखला और दूरसंचार बुनियादी ढाँचे पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका अपनी प्रौद्योगिकी साझेदारी को मज़बूत कर रहे हैं।
        • भारत चीनी दूरसंचार उपकरणों के उपयोग को कम करने की प्रक्रिया के साथ तालमेल बिठाते हुए अमेरिका के ‘रिप एंड रिप्लेस’ पायलट प्रोजेक्ट का समर्थन करता है।
        • भारत और अमेरिका ने अंतरिक्ष एवं कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) जैसे नए तथा उभरते क्षेत्र में विस्तारित सहयोग के माध्यम से भारत-अमेरिका प्रमुख रक्षा साझेदारी को मज़बूत और विविधतापूर्ण बनाने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
        • GE F-414 जेट इंजन समझौता:

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