माहे रमजान में नेकियों का बढ़ जाता है अज्र- हाफिज मो एसरार

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श्रीनारद मीडिया, सीवान, (बिहार):

अल्लाह ने साल के बारह महीनों में रमजान के महीने को काफी अहमियत दी है। ये बातें जिले के बड़हरिया के नवलपुर की मस्जिद के इमाम हाफिज मो एसरार ने कहीं। उन्होंने कहा कि इस महीने के हर दिन और हर घड़ी को रोजेदार के लिए इबादत करार दिया गया है। अल्लाह ने साल के बारह महीनों में रमजान के महीने को काफी अहमियत दी है। उन्होंने कहा कि रोजा रखना इबादत है और फिर रोजे का इफ्तार करना भी इबादत है। इफ्तार के बाद रात की नमाज (तरावीह) का इंतजार इबादत है, तरावीह की नमाज पढ़ना इबादत है और तरावीह पढ़कर सुबह सहरी के इंतजार में सोना इबादत है। फिर सहरी खाना इबादत है।यानी इस महीने की हर घड़ी, हर क्षण इबादत में शुमार है। हमारे रब ने हमारे लिए कैसी रहमत-ओ-शान का महीना अता किया है। रमजान-ए-पाक का रोजा भूख की अहमियत और भूखों और असहायों की भूख की शिद्दत का पता चलता है। माहे रमजान में नेकियों का अज्र बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। लिहाजा कोशिश करके ज्यादा से ज्यादा नेकियां इस महीने में जमा कर लेनी चाहिए। इस माह में कुरान नाजिल हुआ था। इसलिए रमजान-ए-पाक की काफी अहमियत है। उन्होंने कहा कि हमें पूरी इंसानियत की रक्षा के लिए कोरोना से निजात के लिए दुआ मांगनी चाहिए।

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