क्या हमारी लापरवाही के कारण कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर आई है?

क्या हमारी लापरवाही के कारण कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर आई है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

कामवाली शहर और अपने गांव की मिली-जुली भाषा में कह रही थी, मैडम, लोग कईसी लापरवाही कर रहे, मास्क तक न लगा रहे। लोगन का समझ नहीं आ रहा कि कईसी खराब बीमारी आई है। गांव मा तो लोग न सेनिटाइजर जानें, न ही बार-बार हाथ धोवें। जाने कईसे जाई या बीमारी। मैंने उसकी बात से सहमति व्यक्त की और सोचने लगी कि यह महिला बेशक पढ़ी-लिखी नहीं है, लेकिन कितनी तर्कपूर्ण बातें कर रही है। फिर आम लोग क्यों नहीं समझ रहे मास्क लगाने और हाथ धोते रहने की महत्ता।

गाड़ी में भी रखती हूं मास्क: अधिकतर महिलाएं प्रोटोकोल निभा रही हैं। दफ्तर, फैक्ट्री व अन्य कार्यस्थलों तक सार्वजनिक वाहन में जाना, शारीरिक दूरी न बना पाना, उनकी मजबूरी हो सकती है, लेकिन वे सजग हैं इस महामारी को और नहीं फैलाने के प्रति। वैसे तो यह साबित किया जा रहा है कि सतह की वजह से कोरोना नहीं फैलता है। फिर भी महिलाएं घर में आई फलों-सब्जियों को भली प्रकार धोती हैं। चाहे कितनी भी मेहनत करनी पड़े वे घर में आई हर चीज को सेनिटाइज करती हैं। बच्चों से हाथ धोते रहने और सेनिटाइजर साथ रखने के लिए कहती रहती हैं। इतना ही नहीं, पति व बच्चों को हर वक्त मास्क लगाने के लिए भी टोकती हैं। एक जिम्मेदार नागरिक की तरह वे कोरोना को फैलाने में लापरवाही न बरतने का संदेश देती रहती हैं। काव्या सैनी को तो बहुत तेज गुस्सा आ जाता है जब वे किसी को बिना मास्क के घूमते-फिरते देखती हैं। काव्या कहती हैैं कि मैं अपनी गाड़ी में मास्क का पैकेट और ग्लव्स आदि रखती हूं। कोई मेरे सामने बिना मास्क लगाए आता है या फिर मास्क को नाक के नीचे लटकाकर रखता है तो पहले उसे टोकती हूं और फिर अपने पास से उसे मास्क देकर हमेशा अपना जीवन बचाने की प्रेरणा देती हूं। कोई माने तो उसका भला, लेकिन मैं अपना कर्तव्य पूरा करती हूं।

ड्यूटी के साथ जागरूकता की कोशिश: भारतीय मूल की सौम्या स्वामीनाथन वल्र्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की चीफ साइंटिस्ट हैं। इस समय वह यूके लेड पैंडेमिक प्रीपेयर्डनेस पार्टनरशिप के 20 विशेषज्ञों में शामिल किए जाने से चर्चा में हैं। सौम्या ने लोगों को सचेत करते हुए कहा है कि अभी कोरोना की कई लहरें आ सकती हैं। उन्होंने देश के लोगों से कोरोना महामारी की दूसरी लहर से बचने की अपील भी की है। नागौर जिले के एक छोटे से गांव की संतोष जाट अजमेर के सरवाड़ थाने में पिछले दो साल से सेवारत हैं। उन्होंने संक्रमण के खतरे के बीच गर्भवती होने के बावजूद पुलिस की ड्यूटी की और कड़ी धूप में कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लोगों को जागरूक किया। कोरोना काल में ड्यूटी के साथ-साथ 31वीं वाहिनी पीएसी, रुद्रपुर की महिला कांस्टेबल लोगों को कोरोना संक्रमण के प्रति जागरूक करने के लिए दीवारों पर पेंटिंग बना रही हैं।

हम समझा सकते हैं बेहतर: हाल की एक सर्वे रिपोर्ट बताती है कि कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर महिलाओं की तुलना में पुरुष कहीं ज्यादा लापरवाह हैं। महामारी को लेकर महिलाएं काफी सजग हैं। महिलाएं जब भी घर से बाहर निकलती हैं, वे नाक और मुंह ढककर चलती हैं। वहीं, पुरुष महज औपचारिकता निभाने के लिए मास्क पहन रहे हैं। अक्सर उनके मुंह और नाक खुले रहते हैं। ऐसे में पुरुषों को बीमारी के प्रति एहतियात बरतने की सलाह दी गई। डीकैथलॉन की उत्तरी क्षेत्र की हेड रिचा शर्मा कहती हैं कि इस समय हमें बहुत सजग रहने की जरूरत है। हम महिलाएं परिवार की धुरी हैं और हम ही घरवालों से अपनी बात मनवा सकते हैं और उन्हें लापवाही नहीं बरतने के लिए समझा सकते हैं। हम कोरोना की गाइडलाइंस का पालन करवा सकते हैं। इसलिए हमें अपना फर्ज बेहतर तरीके से निभाने चाहिए।

स्वास्थ्य को दें पहली प्राथमिकता: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर की भयावहता को देखते हुए बहुत से सेलिब्रिटीज भी आगे आए हैं और लापरवाही न बरतने और अपना ध्यान रखने की अपील कर रहे हैं। अभिनेत्री सोनम कपूर जब तब वीडियो के माध्यम से बेवजह सफर नहीं करने और भीड़ से बचने की अपील करती हैं। अभिनेत्री डोनल बिष्ट कहती हैं कि मैं तो अपील करूंगी कि अगर किसी को जागरूक कर सकते हैं तो करें। अपने स्वास्थ्य को पहली प्राथमिकता दें। सोनम कहती हैं कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए और लापरवाही न करने के लिए मैं लोगों को इंटरनेट मीडिया पर लगातार जागरूक करती रहती हूं।

हम समझें खतरे को: फैशन डिजाइनर आस्था सेठी ने बताया कि जिस बंदे ने देखा है कि उसका कोई अपना अस्पताल में भर्ती है, उसको ऑक्सीजन सिलेंडर नहींं मिल रहे हैं, इंजेक्शन और अन्य दवाइयां नहीं मिल रही हैं उनको समझ में आ रहा है कि हमें लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। जिन लोगों के लक्षण गंभीर नहीं हैं या अन्य कोई लक्षण नहीं हैं, वे सोच रहे हैं कि क्या हुआ, केवल बुखार ही तो है। वे यह नहीं समझ रहे कि वे कोरोना के वाहक हैं और उन लोगों में बीमारी पहुंचा सकते हैं जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है। मेरे घर में ऐसा हुआ है कि मेरे पति को बहुत मुश्किल से इंजेक्शन मिला। अस्पताल में बेड नहीं हैं। दवाइयों की कालाबाजारी हो रही है। इस बार लॉकडाउन से पहले शराब की दुकानों पर भरी भीड़ लगी। लोग अपनी पसंद ढूंढ़ रहे हैं। यह नहीं सोच रहे कि अगर यह चीज एक बार घर में आ गई तो किसी को नहीं बख्शेगी। लोगों को यह समझना होगा कि हमें खतरा है। कोई बीमार होता है तो घर की महिलाएं सेवा में लग जाती हैं। मेरे संयुक्त परिवार में 13 लोग हैं जिनमें से नौ लोगों को कोविड-19 हुआ है। हम महिलाएं ही उनका अच्छी तरह से खयाल रख रहे हैं।

लापरवाही पचास प्रतिशत जिम्मेदार: अभिनेत्री वाबिज दोराबजी ने बताया कि मेरे हिसाब से इस गंभीर स्थिति की 50 प्रतिशत जिम्मेदारी तो लोगों की लापरवाही ही रही है। जब कोरोना से राहत मिली तो लोगों ने सोच लिया कि अब तो हम कोरोना से आजाद हो गए हैं। उन्होंने हर वह काम करना शुरू कर दिया था, जो कोरोना से पहले करते थे। यहां तक कि पाॢटयां भी जमकर हुईं। अब जब आप इस लहर की गंभीरता को देख रहे हैं तो लोगों को इंसानियत दिखानी चाहिए। मेरे घर में मां ही सबसे ज्यादा सबका ध्यान रखने वाली हैं। वैसे तो हम सभी ध्यान रखते हैं, लापरवाही नहीं बरतते, लेकिन मेरी मम्मी बार-बार कहती हैं कि बिना मास्क के बाहर मत निकलो, हाथ सेनिटाइज करते रहो। वह बहुत सजग व सतर्क हैं।

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