महामारी के दौर में गैर संचारी रोगों के प्रति सतर्क व सावधान रहना जरूरी

महामारी के दौर में गैर संचारी रोगों के प्रति सतर्क व सावधान रहना जरूरी
प्रमुख स्वास्थ्य केंद्रों के साथ कई हेल्थ वेलनेस सेंटर पर जांच व इलाज की सुविधा
रोग संबंधी किसी भी लक्षण को टाले नही

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श्रीनारद मीडिया, अररिया, (बिहार):

शुरुआती दौर में कोई भी बीमारी बेहद सामान्य दिखती है। लेकिन बीतते समय के साथ ये गंभीर रूप लेने लगता है। किसी तरह के शारीरिक समस्या को देर तक टालने का परिणाम लोगों को भुगतना पड़ सकता है। इसलिये रोग संबंधी किसी लक्षण की तत्काल पहचान कर इसका समुचित इलाज कराया जाये। आज वैश्विक महामारी कोरोना ने पूरे विश्व में परेशान कर रखा है। ऐसे में आमतौर पर होने वाली गैर संचारी रोगों के प्रति भी पर्याप्त सक्रियता जरूरी है। वैसे रोग जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में सीधे प्रसारित नहीं होते उन्हें गैर संचारी रोगों की श्रेणी में रखा गया है। ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, मोतियाबिंद, हृदय संबंधी रोग, अल्जाइमर, पार्किंगसन, सहित अन्य कई रोग गैर संचारी रोगों की सूची में शामिल हैं।

नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच जरूरी:
तीस वर्ष से अधिक आयु के लोगों को विभिन्न तरह के गैर संचारी रोगों के चपेट में आने की सम्भावना अधिक होती है। लिहाजा इससे अधिक उम्र के लोगों को नियमित रूप से अपना स्वास्थ्य जांच कराना चाहिये। इस संबंध में जिला गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ डीएनपी साह ने कहा जिले के प्रमुख स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच व इलाज की सुविधा उपलब्ध है। सदर अस्पताल अररिया व फारबिसगंज अनुमंडल अस्पताल में तो इसके लिये अलग इंतजाम उपलब्ध हैं। इसके अलावा सभी पीएचसी व जिले के दो दर्जन से अधिक हेल्थ वेलनेस सेंटर जहां ओपीडी सेवा उपलब्ध है वहां भी जांच व इलाज की सुविधा उपलब्ध है। गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ डीएमपी साह ने कहा गैर संचारी रोगों की जांच के लिए स्वास्थ्य संस्थानों को विशेष मेडिकल किट उपलब्ध कराया गया है। इसमें ब्लड प्रेशर जांच मशीन, ग्लूकोमीटर सहित अन्य जांच उपकरण शामिल हैं। जांच में रोग की पुष्टि होने पर रोगियों को संबंधित दवाएं मुफ्त में उपलब्ध करायी जाती है।

रोग के हो सकते हैं कई कारण:
विभिन्न तरह के गैर संचारी रोगों के लिये अलग-अलग कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। इसमें अनियमित दिनचर्या व खान-पान की गलत आदतें प्रमुख हैं। डॉ डीएनपी साह ने कहा नमक का अधिक सेवन, नशापान, तनाव, मोटापा गुर्दा व उच्च रक्तचाप के कारण हो सकते हैं। तो बार-बार पेशाब आना, वजन में गिरावट, ज्यदा भूख लगना डायबिटीज के लक्षण हैं। इसी तरह शरीर के किसी अंग में असामान्य सूजन, गांठ या कड़ापन, तिल, मस्से के आकार या रंग में परिवर्तन, ना खत्म होने वाला घाव, लगातार बुखार, वजन में गिरावट सहित अन्य कई लक्षण कैंसर रोग के शुरुआती लक्षणों से जुड़े होते हैं। महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान असामान्य रक्त स्राव, स्तन के आकार में परिवर्तन के रूप में भी कैंसर के लक्षण उजागर होते हैं। मोटापा, उच्च रक्तचाप, मधुमेह आगे चलकर कई अन्य बीमारियों के कारण बनते हैं। ऐसे किसी भी रोग से बचाव के लिये नियमित व्ययाम, संतुलित आहार का सेवन के साथ-साथ नशापान की आदतों से पर्याप्त दूरी बनाये रखना जरूरी होता है। बावजूद इसके नियमित रूप से लोगों को अपना स्वास्थ्य परीक्षण कराते रहना चाहिये। ताकि शुरुआती दौर में रोग का पता चल सके। इससे संबंधित रोग का उपचार आसान होता है।

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