उच्च जोखिम वाली गर्भवस्था के लक्षणों की पहचान जरूरी

 

उच्च जोखिम वाली गर्भवस्था के लक्षणों की पहचान जरूरी

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गर्भवती माताओं के प्रसव पूर्व जांच तथा पोषण है महत्वपूर्ण:
मातृत्व स्वास्थ्य एवं पोषण पर किया गया कार्यशाला का आयोजन:

श्रीनारद मीडिया, गया,   (बिहार):

 


जिला में गर्भवती माताओं के प्रसव पूर्व जांच कार्यों को मजबूत किये जाने की जरूरत है। प्रखंड स्तर पर स्वास्थ्य सेवा से जुड़े पदाधिकारियों को ध्यान रखना है कि गर्भवती माताओं के प्रसव पूर्व जांच समय पर पूरा हो। निर्धारित प्रसव पूर्व जांच दिवस पर गर्भवती महिलाओं के सभी प्रकार के आवश्यक स्वास्थ्य संबंधी जांच सुनिश्चित किया जाना जरूरी है। ये बातें सिविल सर्जन डॉ कमल किशोर राय ने माताओं के स्वास्थ्य एवं पोषण तथा आरोग्य दिवस विषय पर आयोजित एक कार्यशाला के दौरान कही। सिविल सर्जन ने कहा कि स्वास्थ्य अधिकारी प्रसव पूर्व जांच कार्यों में खानापूर्ति बिल्कूल नहीं करें और जिला में माताओं के अच्छे स्वास्थ्य के लिए पोषण कार्यां को बेहतर ढंग से पूरा करें।

शहर के निजी होटल में यूनिसेफ तथा स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में जिला के 18 प्रखंडों के चिकित्सा पदाधिकारी, बीएचएम तथा बीसीएम, सीडीपीओ सहित यूनिसेफ व सहयोगी संस्थाओं के अधिकारी मौजूद रहे। यूनिसेफ से कंसल्टेंट, मातृत्व पोषण रश्मि सिंह, न्यूट्रिशन आॅफिसर डॉ संदीप घोष, पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल से प्रीवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन विभाग के डॉ रंजीत सिन्हा तथा डॉ प्रज्ञा आदि ने प्रतिभागियों को मातृत्व स्वास्थ्य एवं पोषण विषय पर उन्मुखीकरण कार्य किया।

मातृ पोषण सेवाओं के लिए 5 आवश्यक कार्य पर बल: डॉ संदीप घोष
कार्यशाला के दौरान डॉ संदीप घोष ने ग्राम स्वास्थ्य और स्वच्छता दिवस में मातृ पोषण सेवाओं के लिए 5 आवश्यक कार्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एएनएम,आशा एवं आंगनबाड़ी सेविकाओं के माध्यम से गर्भवती महिलाओं के पोषण मूल्यांकन करने, जांच के पश्चात जरूरी दवाइयां, गर्भवती माता तथा परिजनों को सुरक्षित मातृत्व के लिए माताओं का पोषण संबंधी आवश्यक सलाह, गर्भावस्था के दौरान वजन का नहीं बढ़ना, तथा गंभीर एनीमिया आदि के विषय में जानकारी दी जाये। ताकि गर्भावस्था के दौरान उच्च जोखिम को समझा जा सके। डॉ रंजीत सिन्हा ने गर्भवती महिलाओं के तीन जांच जिनमें गर्भवती महिलाओं के शुगर, यूरिन तथा हीमोग्लोबिन सहित ओरल ग्लूकोज ट्लोरेंस टेस्ट को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि शरीर में रसायनिक परिवर्तन होने के कारण प्रेग्नेंसी के समय शुगर होने की संभावना होती है। इसलिए ग्लूकोज ट्लोंरेंस टेस्ट की महत्ता बढ़ जाती है।

भोजन को लेकर भ्रम नहीं रखें गर्भवती महिलाएं: डॉ रश्मि
कार्यशाला के दौरान डॉ रश्मि ने बताया कि गर्भवती महिलाओं में भोजन को लेकर कई तरह के भ्रम मौजूद हैं। लेकिन खानपान को लेकर सही जानकारी रखना आवश्यक है। गर्भवती महिला घी, नारियल पानी, पका पपीता आदि का सेवन करें। इसके साथ ही दाल, दुग्ध उत्पाद,हरी सब्जियों, पीला और खट्टे फल, सहित साबूत मूंग, अरहर, मसूर, चना और राजमा सहित मांस मछली, अंडा, चिकेन आदि का सेवन करें। उन्होंने बताया कई बार महिलाएं गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप की शिकार हो जाती है। ऐसे में नमक सेवन से परहेज करना चाहिए। उन्होंने बताया गर्भावस्था के दौरान खतरे के 9 लक्षणों के बारे में जानकारी रखना आवश्यक है। इनमें गर्भवस्था के दौरान पैरों में अत्यधिक सूजन, सांस लेने में कठिनाई, पेशाब करने में जलन महसूस होना, बार बार बुखार आना, पेट में दर्द, योनि में रक्तस्राव, प्रसव से पहले ही पानी की थैली का फट जाना, सिरदर्द, दृष्टि में झिलमिलाहट, चक्कर आना, गर्भ में शिशु की गति को महसूस नहीं कर पाना आदि गर्भवस्था के दौरान खतरे के लक्षण हैं। इस मौके पर डीसीएम विनय कुमार, जिला अनुश्रवण एवं मूल्यांकन पदाधिकारी अखिलेश कुमार सहित यूनिसेफ के जिला न्यूट्रिशन कंसल्टेंट आशुतोष सामल, शाहिद अहमद व अन्य मौजूद थे।

 

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