लगता है हमने भारत-रूस को खो दिया- डोनाल्ड ट्रंप
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। ट्रंप ने कहा कि लगता है हमने भारत को खो दिया है। ट्रंप की टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगा हुआ है और भारत, रूस और चीन एक-दूसरे के बेहद करीब आ गए हैं।
ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया। इसमें उन्होंने लिखा, ‘ऐसा लगता है कि हमने हमने भारत और रूस को सबसे गहरे और सबसे अंधकारमय चीन के हाथों खो दिया है। ईश्वर करे कि उनका भविष्य लंबा और समृद्ध हो।’
SCO की बैठक के बाद बोले ट्रंप
चीन के तियानजीन शहर में हुए शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी, व्लादिमिर पुतिन समेत कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष पहुंचे थे। पीएम मोदी, पुतिन और चिनफिंग की गर्मजोशी भरी मुलाकात ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। डोनाल्ड ट्रंप की भी नजर इस बैठक में थी।
उनका बयान ऐसे समय में आया है, जब भारत और अमेरिका के संबध अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं। ऐसे में भारत अपने पुराने दोस्त रूस के ज्यादा करीब दिख रहा है। साथ ही चीन के साथ भी सहयोग बढ़ाने पर चर्चा जारी है। जाहिर है कि ट्रंप को इससे मिर्ची जरूर लग रही होगी।
भारत को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तल्खी एक बार फिर सामने आई है। कारोबारी समझौते पर भारत के नहीं झुकने की वजह से ट्रंप पहले से ही खार खाये हुए थे लेकिन एससीओ बैठक के दौरान पीएम नरेन्द्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन व चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच की केमिस्ट्री को देख कर लगता है कि वह अपना आपा खो चुके हैं।
ऐसे में शुक्रवार की सुबह (वाशिंगटन के समयानुसार) 6.14 मिनट पर अपने सोशल मीडिया साइट ट्रू सोशल पर लिखा है कि, “ऐसा लगता है कि हमने भारत और रूस को पूरी तरह से चीन के हवाले कर दिया है। उनके एक साथ लंबे और समृद्ध भविष्य की कामना!” ट्रंप की यह टिप्पणी भारत और अमेरिका के मौजूदा तनावपूर्ण संबंधों को और जटिल बना सकता है। वैसे भारत ने ट्रंप के इस बयान पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।
भारत को लेकर कई आपत्तिजनक बयान दिए
ट्रंप ने विगत चार-पांच हफ्तों में कई बार भारत को लेकर आपत्तिजनक बयान दिए हैं लेकिन भारत ने कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई है। ट्रंप की टिप्पणी के बारे में जब पूछा गया तो विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा कि, हमें इस बारे में कुछ भी नहीं कहना है। हालांकि जब उनसे राष्ट्रपति ट्रंप के कारोबारी मुद्दे पर सलाहकार पीटर नवारो की तरफ से भारत के खिलाफ की गई टिप्पणियों के बारे में पूछा गया तो जवाब दिया कि, “नवारो के वक्तव्य (भारत के बारे में) पूरी तरह गलत और गुमराह करने वाले हैं। हम इसे अस्वीकार करते हैं।”
देखा जाए तो अमेरिका की तरफ से भारत पर निशाने लगाने में राष्ट्रपति ट्रंप और उनके सहयोगी नवारो ही हैं। नवारो ने पिछले कुछ दिनों के दौरान रूस से तेल खरीदने के भारत की नीति पर कई बार अवांछित टिप्पणियां की हैं। उन्होंने यहां तक कहा है कि, रूस से तेल खरीद कर भारत के ब्राह्माण फायदा उठा रहे हैं, आम भारतीयों को कुछ नहीं मिल रहा। जबकि एक बार नवारो ने कहा है कि युक्रेन युद्ध मोदी का युद्ध का है।
भारतीय आयात पर 50 फीसद का शुल्क लगाया है
ट्रंप का भारत को लेकर यह बयान तब आया है जब अमेरिका के पूर्व एनएसए जॉन बाल्टन समेत पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपतियों के कई अहम सहयोगियों ने भारत की रूस व चीन के बीच संबंधों में सुधार होने के लिए सीधे तौर पर ट्रंप की शुल्क नीति को दोषी माना है। ट्रंप ने भारतीय आयात पर 50 फीसद का शुल्क लगाया है। हाल तक भारत, भारतीय जनता और पीएम मोदी को अपना घनिष्ठ मित्र बताने वाले ट्रंप ने भारतीय आयात पर दुनिया में सबसे ज्यादा शुल्क लगाया है। दूसरी तरफ पाकिस्तान की सैन्य सरकार के साथ वह घनिष्ठता बढ़ा रहे हैं।
ट्रंप की ताजी टिप्पणी के पीछे का कारण 31 अगस्त और एक सितंबर को तियानजिन में बैठक के दौरान पीएम मोदी, राष्ट्रपति चिन¨फग और राष्ट्रपति पुतिन के बीच बेहद सौहार्दपूर्ण माहौल में बातचीत व केमिस्ट्री को बताया जा रहा है। इस दौरान पीएम मोदी की पुतिन और चिनफिंग, दोनों से ही अलग से द्विपक्षीय बैठकें हुई जो निर्धारित समय से काफी लंबी चली। इन तीनों नेताओं के साथ साथ की तस्वीरों को अमेरिका की मीडिया में बहुत प्रमुखता से चलाया गया है।
क्वाड की बैठक पर स्पष्टता नहीं
भारत और अमेरिका के संबंधों की मौजूदा स्थिति को देखते हुए क्वाड (भारत, अमेरिका, जापान व ऑस्ट्रेलिया) संगठन की आगामी शीर्षस्तरीय बैठक को लेकर भी स्पष्टता नहीं आ पा रही। फरवरी, 2025 में जब वाशिंगटन में पीएम मोदी और ट्रंप के बीच मुलाकात हुई थी तब बताया गया था कि यह बैठक सितंबर, 2025 के करीब हो सकती है। इस बारे में पूछने पर जायसवाल ने शुक्रवार (5 सितंबर) को कहा कि, “क्वाड एक महत्वपूर्ण मंच है जहां हम साझा हितों से जुड़े मुद्दों पर बात करते हैं। शीर्ष नेताओं का सम्मेलन चारों सदस्य देशों के कूटनीतिक विचार विमर्श के जरिए तय होता है।”
बैठक की संभावित तिथि आदि को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कुछ नहीं कहा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका के साथ अपने संबंधों को आपसी हितों के आधार पर प्रगाढ़ करने को लेकर भारत प्रतिबद्ध है।