जिहादी अति-हिंसा से हिन्दुओं में बढ़ रही जुनूनी नफ़रत की ज्वाला’
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क:
आलेख धनंजय मिश्र, वरिष्ठ पत्रकार, सीवान :

आज सुबह-सवेरे एक अत्यंत ही इंसानियत को बेहद शर्मसार एवं अति पीड़ादायक आयोजित घटनात्मक ज्वलंत दृश्य को देखकर दिलोदिमाग अति हृदय-विदारकमय होकर विचलित एवं अति-मर्माहत द्रवित हो गया! यह अति दु:खद लोमहर्षक घटना संभवतः परसो की है! ‘फेसबुक’ पर प्रसारित-प्रचारित यह इंसानियत को दफनाती अति-हिंसक घटना ‘बंग्लादेश’ में हुई है! अत्यधिक भीड़-भाड़ वाले स्थान पर कथित आज के दौर की यह घटना दिलोदिमाग को बिल्कुल विचलित करती है!
जो कथित हुआ ऐसा है कि एक जिन्दा ‘हिंदू नवयुवक’ के गले में फांसीनुमा मोटी रस्सी बांधकर उसे एक पेड़ की मोटी शाखा में बांधकर शहर के चौड़ी सड़क किनारे लटका दिया गया है! जिसके दोनों पैर भी पेड़ में बांध दिए गए हैं! फिर वहां के समुदाय विशेष के कथित जेहादी मानसिकता के जूनीनी नवजवानों की बड़ी जमा-जमातें, उस हिंदू नवयुवक को अंधाधुंध डंड़े-लाठियों से बेरहम मनभरा पिटाई करते हैं..!
फिर उस हिंदू नवयुवक के शरीर के नीचे भयंकर आग लगाकर भीषण लपटों के सहारे उसे भस्म कर देते हैं! फिर अपनी बेहद खुशियों का इजहार करते हैं..! दरअसल, बांग्लादेश में भी तो कथित ‘लोकतंत्र’ है! वहां भी संभवतः भारत की भांति ‘मानवाधिकार संगठनों’ की छोटी-बड़ी बाढ़ ही होंगी..! तब वे तमाम मानवाधिकारी संगठनें मृतप्राय-सा क्या कर रहीं हैं..? यह ‘यक्ष-सा प्रश्न’ आधुनिक सभ्य भारत के समक्ष बेशक एवं बेहद ‘चुनौतीपूर्ण परिस्थितियां’ उत्पन्न कर रहा है..! यह सवाल सिर्फ यह नहीं है कि यह घटना एक हिन्दू नवयुवक के साथ ‘बंग्लादेश’ में हुई है! अपितु यह अति गंभीर ज्वलंत घटनात्मक परिदृश्य भारतीयों के ‘मन-मनसा’ को बेहद झकझोर दिया है..!
परंतु, मानवता को शर्मसार करने वाली इस अति दु:खदपू्र्ण घटना पर भी कथित धर्मनिरपेक्षता के छंदम् चोलाधारी ‘अंतर्देशीय गद्दारों की जमातें’ भी अब बिल्कुल- गूंगी,बहरी और नेत्रहीन हो गईं हैं! पर, सच यह कि कथित उनकी ये चुप्पियां उनकी ‘गद्दारी का सनद’ पेशकर देश-दुनिया में उनके दोगलेपन का कथित परचम भी लहरा रहीं हैं..! जबकि हमारी ‘छप्पनइंचधारी-अद्भूत बलशालीछाती’ की भी सरकार अब भी अपनी पुरानी परंपरागत ‘सहिष्णुता एवं अहिंसा’ की सुप्रवचनवादी सुसंदेश दे रही है!
.भारत की यह पुरातन ‘सहिष्णुतावादी एवं अहिंसावादी’ की सुनीति ही धीरे-धीरे सनातन और सनातनियों को समाप्त कराने में अपनी महती भूमिका निभा रही है..! इस अति हिंसक दु:खद घटना के दृष्टांत को देखकर मन में पहली जो बात प्रतिक्रियात्मक कौंधीं वह यह कि क्या सदियों प्राचीन सनातन भी उस ‘कोमल व मधुर-सुरीली कोयल’ के मानिंद नहीं है..? जो यह कि ‘कोयल नर-मादा सब मिलकर’ अपने अथक श्रम से अपने ‘घोंसलें’ बनाते हैं! मगर, कथित ‘कौओं की जमातें’ उन घोंसलों में जबरन अपनी पैठ बनाकर ‘कोमल कूकधारी कोयलों’ के ‘अंड़ों और चूज्जों-बच्चों’ को भी क्रमशः मारकर खा जाते हैं..!
इसीलिए सनातन में कौओं की फितरत को अति-दुष्टता का भी प्रतीक माना गया है! यद्यपि अब तो भारत ही नहीं,अपितु हमारा विश्व भी अब सुसभ्य-सामाजिकता के साथ बहु-शिक्षित,बहु-वैज्ञानिक और विशेष प्रबुद्धता की ओर निरंतर विकसित और विकासशील भी है! फिर देश-दुनिया का हमारा मानव समाज इतना अत्यधिक अति हिंसक ‘और खूंखार क्यों होता जा रहा है..? आखिर हमारी कट्टरतावादी अति हिंसक मजहबी पागलपन-सी सोच’ हमें किस ‘जहन्नुम की दोजख’ में अंतहीन-सा सिलसिला के माफिक जलजला और कयामत की ओर ले जा रही है..!
दरअसल, अब विश्व के सुसभ्य सर्वसमाज के सर्वसज्जनों के लिए चिंताजनक यह चिंतनीय महती मसला बन गया है! जबकि कथित अब विश्व के विशाल सनातनियों के ‘मन-मस्तिष्क’ में यह चिंतनीय मसला अति-कौंध रहा है..! जो यह कि आखिर कोयल-सी ‘सनातनी हिन्दुत्व’ की आए-दिन हो रही ऐसी दुर्गति का अब कैसे होगा-दु:खांत..? मगर, यह सच बात भी अब जाहिरी तौर पर मुकम्मल अत्यधिक मुखरित हो रही है..!
जो यह कि ऐसी जिहादी कट्टरतावादी अति-हिंसक करतूतों के सबब हिन्दुओं के जेहन में भी ‘नफ़रत की जुनूनी ज्वाला’ अब बढ़ती ही जा रही है..! जो बेशक और बेहद हमारी ‘सामाजिक-सौहार्दता’ के लिए अत्यधिक खतरनाक और दुर्भाग्यपूर्ण ही प्रतीत हो रही है..! जिसके कमोवेश सदैव तिरोहण हेतु सर्वसमाज के सर्वसज्जनों के लिए प्रसंगश: सकारात्मक ‘पहल-प्रयास’ की सार्थकता भी सदा अत्यावश्यक ही प्रतीत हो रही है..!
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