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ठीक एक साल पहले ठहर गया था पूरा देश, सड़कें सूनी और शहर हो गए थे वीरान.

ठीक एक साल पहले ठहर गया था पूरा देश, सड़कें सूनी और शहर हो गए थे वीरान.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

जनता कर्फ्यू के साथ शुरू हुई कोरोना महामारी से जंग ताली व थाली बजाने से होते हुए आज टीकाकरण पर आ टिकी है। इस दौरान एक दौर ऐसा भी आया जब अदृश्य दुश्मन के डर से लोग घरों में कैद होने को मजबूर हो गए, लेकिन इसी दौर ने खाकी के पीछे छिपी इंसानियत को भी दुनिया के सामने ला दिया। इस मुश्किल घड़ी में चिकित्सक भगवान बनकर सामने आए तो वैक्सीन की खोज में विज्ञानियों ने भी जान लगा दी। समाज को कई नायक मिले और दुश्वारियां सहते हुए लोगों की जिजीविषा भी देखने को मिली। इस दौरान कई राज्यों में सफलतापूर्वक चुनाव भी हुए। रोजगार के अवसर खत्म हुए, उद्योग धंधे ठप हुए, पढ़ाई-लिखाई भी रुकी लेकिन जिंदगी चलती रही। एक समय ऐसा भी आया कि लगने लगा कि हमने कोरोना से जंग जीत ली है, पर कुछ लोगों की लापरवाही व नासमझी ने हमें फिर पाबंदियों, सख्ती, कर्फ्यू व लॉकडाउन के अंधेरे कुएं की तरफ धकेल दिया है।

यूं तो देश में कोरोना संक्रमण का पहला मामला सुदूर दक्षिण के राज्य केरल में पिछले साल 30 जनवरी को सामने आए था, जब चीन के वुहान शहर से लौटी मेडिकल की एक छात्रा को संक्रमित पाया गया था। परंतु, इस महामारी खिलाफ जंग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 22 मार्च, 2020 को घोषित जनता कर्फ्यू के साथ शुरू हुई थी। उसके दो दिन बाद यानी 24 और 25 मार्च की दरम्यानी रात से 21 दिन का राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन का एलान कर दिया गया। मॉल से लेकर मार्केट, सिनेमा हाल, स्कूल, कॉलेज, कंपनियां और कार्यालय सब कुछ बंद हो गए। हवाई जहाज जमीन पर आ गए, रेल और वाहनों के पहिया ठहर गए।

पहले लॉकडाउन को जैसे-तैसे काटते लोगों के सब्र का बांध दूसरे लॉकडाउन की घोषणा से टूट गया। देश के विभिन्न शहरों से लोग हजारों किलोमीटर दूर अपने घरों के लिए पैदल ही निकल पड़े। इस दौरान सामने आई इंसानी पीड़ा ने दिल को झकझोर कर रख दिया, लेकिन अनजान, अपरिचित व बेसहारा लोगों की मदद के लिए बढ़े अनगिनत हाथों ने इंसानियत की मिसाल कायम की।

बेरोजगार में मामूली सुधार

कोरोना संकट का सबसे बुरा असर रोजगार पर पड़ा। उद्योग धंधे बंद हुए तो लाखों की संख्या में लोग बेरोजगार हो गए। हालांकि, अब कुछ सुधार हुआ है। पिछले साल मार्च में बेरोजगारी दर 8.8 फीसद थी, जो अब 6.9 फीसद पर आ गई है।

एयरलाइंस-रेलवे को हुआ नुकसान

महामारी के चलते ट्रेनों का पहिया रुका तो रेलवे को यात्री किराये के रूप में करीब 38,017 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा, जो कुल राजस्व का 71 फीसद से ज्यादा है। इंडियन एयरलाइंस समेत सभी विमान कंपनियों को भी भारी नुकसान हुआ। हालांकि, अब घरेलू विमान सेवा में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है।

ई-कॉमर्स ने भरी उड़ान

बाजार बंद हुए, कोरोना की दहशत बढ़ी तो लोग ऑनलाइन मार्केटिंग पर निर्भर हो गए। ऑनलाइन खरीदारी करने वालों में 64 फीसद तक की वृद्धि दर्ज की गई।

ऑनलाइन शिक्षण का चलन हुआ शुरू

लॉकडाउन में स्कूल बंद हुए तो ऑनलाइन शिक्षा का चलन शुरू हो गया। स्कूली कक्षाएं हो या फिर डिग्री कालेजों और प्रतियोगी परीक्षाएं सभी ऑनलाइन ही आयोजित की गईं। अभी भी ऑनलाइन क्लास चल रही हैं।

दुनिया में भारत की जमी साख

कोरोना महामारी से जंग में दुनिया में भारत की साख एक मददगार देश के रूप में और मजबूत हुई है। भारत पूरे विश्व को कोरोना रोधी टीका दे रहा है। भारत ने वैक्सीन मैत्री शुरू की। इसके तहत भारत पड़ोसी देशों के साथ ही गरीब देशों को भी वैक्सीन उपलब्ध करा रहा है।

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