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रेखा तिवारी के निधन से भोजपुरिया संस्कृति का कोहिनूर छीन गया है  :  संजय सिंह - श्रीनारद मीडिया

रेखा तिवारी के निधन से भोजपुरिया संस्कृति का कोहिनूर छीन गया है  :  संजय सिंह

रेखा तिवारी के निधन से भोजपुरिया संस्कृति का कोहिनूर छीन गया है  :  संजय सिंह

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आलेख संजय सिंह, प्रशासनिक अधिकारी व आखर के सक्रिय सदस्‍य

श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

 

सुबह आँख खुलते ही मनहूस खबर आई । रेखा चाची नही रहीं । कल दिन भर मन उद्विग्न था । मित्र और सहकर्मी ज्ञान प्रकाश की खबर सुनकर ।

घर का कोना कोना रो रहा है । साल में एक बार चाची आती थीं । घर उनका हो जाता था । कान में घुलते भजनों की आहट सुनकर सभी जगते थे । रात में दोनों बच्चों को लोरी सुनाते हुए सुलाती थीं । भोजपुरी लोक गीतों की इनसाइक्लोपीडिया थीं । हर संस्कार के सौ गीत जबान पर । मेरे परिवार के लिए निजी क्षति है लेकिन भोजपुरिया संस्कृति का कोहिनूर छीन गया है ।

ज्ञान प्रकाश के बारे में कुछ लिखते नहीं सूझ रहा । सौम्य स्वभाव । पहाड़ जैसे काम भी हंसकर लेते थे । समय से पहले तोड़कर रेत बना देते थे । चुनाव की तैयारियों में लगातार काम । बीमारी के शुरुआती लक्षणों को थकान समझना । एक दो दिन की खुद से की गयी देरी और ज्ञान प्रकाश का हमसे छीन जाना ।

हममें से कब कौन कहां संक्रमित हो जाये कुछ कहा नहीं जा सकता । मैं खुद बारूद की ढेर पर बैठा हूँ । पिछले दस दिनों से रोज कम से कम 200 लोगों से मिल रहा हूँ । सभी प्रत्याशियों की समस्या सुननी है । समाधान बताना है । चुनाव की पूरी तैयारी करनी है । पीछे हटने की आदत नहीं । लीड ले रहा हूँ । कोशिश है कि बचा रहूं लेकिन यकीन नहीं । चाहरदीवारी में रहनेवाले लोग नहीं बच रहे, मैं तो पूरी टीम के साथ आग से खेल रहा हूँ ।

सबके लिए कठिन घड़ी है । सबने किसी न किसी करीबी को खोया है । सबके मन में दहशत है ।

ऐसे समय में मजबूत होना है । कलेजे से । अपना बचाव करने के सारे प्रयास करने है । किसी भी लक्षण को हल्के में नहीं लेना है । कोरोना की दूसरी खेप ठीक वैसे ही है जैसे कोई क्रूर सेना हारने के बाद आश्वस्त खेमे को हजार गुना तैयारी के साथ आतंकित कर देती है ।

धैर्य न टूटे । एक दूसरे के लिये मदद के हाथ कमजोर न हों ??

 

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