महात्मा गांधी कें.वि.वि. मोतिहारी,बिहार में शोधार्थी मनीष कुमार एवं सुजॉय कुंदु के पीएचडी की मौखिकी परीक्षा का हुआ आयोजन
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी, बिहार के शैक्षिक अध्ययन विभाग में दिनांक 04 सितम्बर, 2025 को दो शोध छात्रों- श्री मनीष कुमार,एवं श्री सुजॉय कुंदु की पीएचडी की खुली मौखिकी परीक्षा का आयोजन किया गया, जिसमें श्री मनीष कुमार की पीएचडी की खुली मौखिकी परीक्षा में वाह्य परीक्षक के रूप में शिक्षा जगत के विद्वान आचार्य धनंजय यादव, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश ऑनलाइन शामिल हुए एवं श्री सुजॉय कुंदु की पीएचडी की खुली मौखिकी परीक्षा में वाह्य परीक्षक के रूप में विद्वान आचार्य अमित कुमार जयसवाल, श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय,उत्तराखंड शामिल हुए.
कार्यकम की शुरुआत विभागाध्यक्ष डॉ मुकेश कुमार जी के स्वागत वक्त्वा से हुई. शोधार्थी मनीष कुमार ने अपने शोध शीर्षक “शिक्षा में देखभाल के बदलते स्वरूप का नेल नोडिंग्स के दर्शन के विशेष सन्दर्भ में’ अध्ययन को प्रस्तुत किया.उन्होंने यह शोध कार्य डॉ रश्मि श्रीवास्तव, सहायक आचार्य, शैक्षिक अध्ययन विभाग के निर्देशन में पूर्ण किया है।
शोधार्थी ने शोध को पूर्ण करने हेतू प्रयागराज के सीबीएसई बोर्ड के स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों एवं छात्रों के शोध उद्देश से सम्बंधित जीवंत अनुभवों को जानने हेतु साक्षात्कार लिया था एवं शोध उद्देश्य से सम्बंधित अभिलेखों का विषयवस्तु विश्लेषण किया था. शोधार्थी ने निष्कर्ष रूप में बताया की शिक्षा में तकनिकी के ऊपर बढती निर्भरता के परिणामस्वरूप छात्र-शिक्षक के मध्य भावनात्मक संबंधो में कमी आ रही है, जिसके कारण छात्रों के प्रति शिक्षको के द्वारा किये जाने वाले देखभाल के प्रयास प्रभावित हो रहें हैं,
शोध से यह भी पता चला हैं की छात्र उस शिक्षक से भावनात्मक रूप से जल्दी जुड़ते है जो शिक्षक अपने छात्रों को उनके नाम से संबोधित करते है, उनकी तरफ देखकर पढ़ाते है एवं कक्षा में छात्रों की बातो को महत्व देते है. अतः हमे इक सुन्दर समाज के निर्माण के लिए छात्रों को देखभाल परिपूर्ण वातावरण प्रदान करना होगा जिससे छात्र भी एक-दूसरे की देख्नाभाल करना सीखेंगे.
खुली मौखिकी परीक्षा के उपरांत आचार्य धनंजय यादव जी ने अपने शोध एवं शिक्षण अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि हमें इस प्रकार नवीन शोध कार्यो को भारतीय दर्शन से जोड़कर भी अध्यन करने की आवशकता है, आदरणीय कहा कि शिक्षकों को शिक्षण-कार्य करते समय कक्षाकक्ष का वातावरण इस प्रकार निर्मित करना चाहिए जिससे कि विद्यार्थी सृजनात्मक चिंतन कर सके व स्वयं की समस्याओं का निदान करना सीख सके।
सुजॉय कुंदु जी ने अपना शोधकार्य “पश्चिम बंगाल में उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षण और सिखने की मिश्रित पध्दति पर सामाजिक संरचना: एक महत्वपूर्ण अध्ययन” शैक्षिक अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष सह-आचार्य डॉ मुकेश कुमार के निर्देशन में पूर्ण किया, सुजॉय जी ने शोध निष्कर्ष के रूप में बताया की सिखने के लिए प्रयुक्त मिश्रित पध्दति रूपरेखा (फ्रेमवर्क) का सही रूप में प्रयोग करके हम इसे प्रभावी बना सकते हैं,
सुजॉय कुंदु जी के प्रस्तुतीकरण के पश्चात् वाह्य परीक्षक के रूप में आये विद्वान आचार्य अमित कुमार जयसवाल जी के इस अध्ययन को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सन्दर्भ से महत्वपूर्ण बताया और कहा की इस अध्ययन से प्राप्त निष्कर्ष नीति नियंताओ के लिए मददगार साबित होंगे. कार्यक्रम का संचालन शोध छात्र देवव्रत यादव के द्वारा किया गया एवं धन्यवाद ज्ञापन मनीष कुमार जी के दरवा किया गया.
इस अकादमिक कार्यक्रम में शैक्षिक अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ मुकेश कुमार, कुलपति प्रतिनिधि आचार्य प्रसून दत्त सिंह, आचार्य, सुनील महावर, डॉ. मनीषा रानी, डॉ पाथलोथ ओमकार, डॉ अरुण दूबे साथ-साथ विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के शोधार्थी व विधार्थी भी उपस्थित रहे।