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अहंकार का है मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु – अनूप जी महाराज

अहंकार का है मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु – अनूप जी महाराज

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श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):


सीवान जिला के बड़हरिया प्रखंड के ऐतिहासिक यमुनागढ़ पर आयोजित श्रीरुद्र महायज्ञ के तहत चल रही श्रीराम कथा के दौरान अंतरराष्ट्रीय कथावाचक अनूप जी महाराज जी माता पार्वती के पुनः वामंगी होने और महर्षि नारद मोह की मनोहारी कथा सुनाई। महर्षि नारद मोह के कारण श्रीहरि विष्णु के त्रेता युग में राम के रूप में जन्म लेने की कथा सुनाई। कथा में श्रीराम की बाल लीलाओं का मनोहारी वर्णन सुन श्रोता झूमते रहे।

कथा व्यास अनूप जी महाराज ने श्रीराम प्राकट्य उत्सव प्रसंग से कथा को विस्तार देते हुए कहा कि कहा कि नारद जी को यह अभिमान हो गया कि उनसे बढ़कर इस पृथ्वी पर और कोई दूसरा विष्णु भगवान का भक्त नहीं है। उनका व्यवहार भी इस भावना से प्रेरित होकर कुछ बदलने लगा। वे भगवान के गुणों का गान करने के साथ-साथ अपने सेवा कार्यों का भी वर्णन करने लगे। भगवान से कोई बात छुपी थोड़े ही है। उन्हें तुरंत इसका पता चल गया।

भला वे अपने भक्त का पतन कैसे देख सकते थे। इसलिए उन्होंने नारदजी को इस दुष्प्रवृत्ति से बचाने का निर्णय किया। कथा व्यास ने कहा कि माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ जी से श्रीरामकथा का निवेदन किया और महराज जी ने बताया कि बाबा भोले नाथ ने श्री रामजन्म के कारण पर चर्चा करते हुए नारद जी ने मोह की कथा सुनाई । इस अवसर पर महराज श्री ने बताया कि व्यक्ति बड़ी से बड़ी लड़ाई जीत जाता है पर स्वयं के अहंकार से हार जाता है। नारद जी ने प्रभु को श्राप दिया मनुष्य रूप में जन्म लेने के लिए प्रबाही ने संत का श्राप भी प्रसाद के रूप में लिया ।

जब धरती पर अधर्म बढ़ा तो धरती माता गाय का रूप धरकर गई और सब देवताओं के साथ स्तुति करी और प्रभु ने स्वयं अवतरित होने का आश्वासन दिया । महाराज श्री ने बताया कि सनातन धर्म में ही भगवान स्वयं आए हैं बाकी किसी धर्म में नहीं । इस अवसर पर श्री रामजन्मोत्सव की कथा धूम धाम से पूरी हुई। मौके पर मठाधीश रजनीश्वर दास,बाल्मीकि कुमार अश्विनी, वीरेंद्र गिरि,तारकेश्वर शर्मा, संतोष मिश्र,मनोज सर, भारद्वाज कुशवाहा, बाबूलाल प्रसाद, पप्पू यादव ,गांधी जी सहित अन्य गणमान्य श्रद्धालु उपस्थित थे।

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