जोखिम लेने की मेरी क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हुआ है – पीएम मोदी

जोखिम लेने की मेरी क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हुआ है – पीएम मोदी

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि वह कभी भी ‘कम्फर्ट जोन’ (आरामदायक स्थिति) में नहीं रहे हैं और जोखिम उठाने की उनकी क्षमता का अभी तक पूरा उपयोग नहीं किया गया है। जेरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामथ के साथ एक पॉडकास्ट में संवाद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वही लोग जीवन में असफल होते हैं जिन्हें कम्फर्ट जोन में रहने की आदत हो जाती है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरी किस्मत रही है कि मैंने अपनी जिंदगी कभी कम्फर्ट जोन में नहीं बिताई, कभी नहीं। चूंकि मैं कम्फर्ट जोन से बाहर था, मुझे पता था कि मुझे क्या करना है। शायद मैं आराम के लिए नहीं बना हूं …।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने जिस तरह की जिंदगी जी, छोटी-छोटी चीजें भी मुझे संतुष्टि देती हैं।’’ मोदी ने आगे कहा कि लोग जीवन में तभी असफल होते हैं जब उन्हें ‘कम्फर्ट जोन’ की आदत हो जाती है।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर एक बड़ा उद्योगपति भी जोखिम नहीं लेता है और कम्फर्ट जोन से बाहर नहीं आता है तो वह भी प्रगति नहीं करेगा…वहीं खत्म हो जाएगा। इसलिए उसे बाहर आना होगा। कोई व्यक्ति जो किसी भी क्षेत्र में प्रगति करना चाहता है, उसे कम्फर्ट जोन की आदत नहीं डालनी चाहिए, जोखिम लेने की मानसिकता एक प्रेरक शक्ति है।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या समय के साथ जोखिम उठाने की उनकी क्षमता बढ़ी है, प्रधानमंत्री ने कहा कि जोखिम उठाने की उनकी क्षमता का अभी तक पूरा उपयोग नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘… मेरी जोखिम लेने की क्षमता कई गुना अधिक है। इसके पीछे एक कारण है क्योंकि मैं अपनी चिंता नहीं करता। जो अपने बारे में नहीं सोचता है उसके पास अनगिनत जोखिम लेने की क्षमता होती है, मेरा मामला भी ऐसा ही है।’’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार किसी पॉडकास्ट में हिस्सा लिया है। जीरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामत ने पॉडकास्ट में उनसे बातचीत की। इस बातचीत में पीएम मोदी ने बताया कि उन्होंने अभी तक अपन जोखिम उठाने की क्षमता का पूरा इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने बताया कि उनके पास रिस्क लेने की क्षमता बहुत अधिक है। इसी के साथ उन्होंने उन्होंने एक किस्सा सुनाया। यह किस्सा उस समय का है जब पीएम मोदी आरएसएस में काम करते थे और गाड़ी चलाना सीख रहे थे। ढलान देखकर उन्होंने गाड़ी का इंजन बंद कर दिया, क्योंकि उन्हें लगा कि ढलान में गाड़ी खुद ही नीचे चली जाएगी और इंजन बंद करने से पेट्रोल की बचट होगी।

पीएम मोदी ने कहा, “मुझे ज्ञान नहीं था, गाड़ी असंतुलित होने लगी और तेजी से नीचे की जाने लगी। मैं ब्रेक लगाने लगा, लेकिन गाड़ी का इंजन बंद था। मेरे बगल वालों को भी मालूम नहीं चला कि मैंने क्या किया।” उन्होंने आगे बताया कि अनुभवों से सिखने का मौका मिलता है। अनुभवों से ही जिंदगी सवरती है।

पीएम मोदी ने किसी कंफर्ट जोन में नहीं बिताई जिंदगी
पीएम मोदी ने बताया कि उन्होंने कभी किसी कंफर्ट जोन में जिंदगी नहीं बिताई। हमेशा कंफर्ट जोन के बाहर ही रहे, इसलिए उन्हें मालूम है कि कहां कैसे जिंदगी गुजारनी है। उन्होंने खुद को कंफर्ट जोन के लिए अनफिट बताया। पीएम मोदी ने कहा, “अगर एक उद्योगपति भी कंफर्ट जोन से बाहर नहीं आता है तो उसका कंफर्ट जोन का लेवल अलग होगा। एक समय के बाद वह खत्म हो जाएगा उसको अपने कंफर्ट जोन से बाहर आना ही पड़ेगा। जो जीवन के किसी भी क्षेत्र में प्रगति करना चाहता है, उसे कंफर्ट जोन का आदी नहीं बनना चाहिए। रिस्क लेने कि उसकी मनोभूमिका हनेशा उसकी ड्राइविंग फोर्स होती है।”

जब पीएम मोदी से यह सवाल किया गया कि उनके जीवन रिस्क लेने की क्षमता समय के साथ बढ़ रही है? इसका जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कहा, “मुझे लगता है कि मेरी अभी तक रिस्क लेने की क्षमता का भरपूर इस्तेमाल नहीं हो पाया है। बहुत कम हुआ है। रिस्क लेने की क्षमता बहुत अधिक है इसका कारण है। मुझे परवाह ही नहीं है। मैंने अपने लिए सोचा ही नहीं। जो अपने बारे में नहीं सोचा, उसके लिए रिस्क लेने की क्षमता बेहिसाब होती है।”

 

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