राष्ट्रीय महिला आयोग जनजातीय महिलाओं को करेगा जागरूक,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

मणिपुर में महिलाओं के साथ हुए दुर्व्यवहार को लेकर पूरे देश में गुस्सा है। मानसून सत्र के पहले और दूसरे दिन सदन में भी विपक्ष ने खूब हंगामा किया गया। इस बीच, राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने बताया कि इस साल महिलाओं को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है, जिस जागरूकता और अनुसंधान कार्यक्रम का थीम जनजातीय महिलाओं के आधार पर रखा गया है।

‘महिलाओं की विमुक्त जनजातियों’ रखी गई थीम

राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा, “विमुक्त जनजातियों में महिलाएं पिछड़ गई हैं, इसलिए, हमने इस वर्ष के जागरूकता और अनुसंधान कार्यक्रमों के लिए ‘महिलाओं की विमुक्त जनजातियों’ का एक सामान्य थीम रखा है। यह उस श्रृंखला का पहला कार्यक्रम था, मैंने मणिपुर का दौरा किया और दोनों जनजातियों के महिला संघों और पीड़ितों से मुलाकात की और अब मैं सरकार को रिपोर्ट सौंपूंगी।”

अधिकारियों से नहीं मिली प्रतिक्रिया

इस मामले को लेकर कुछ दिन पहले रेखा शर्मा ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। रेखा शर्मा ने बताया कि उन्होंने मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाओं को लेकर पिछले तीन महीनों में तीन बार अधिकारियों से संपर्क किया, लेकिन उनसे कोई जवाब नहीं मिला। सूत्रों ने बताया कि पिछले 3 महीनों में NCW को प्राप्त शिकायतें महिलाओं के खिलाफ अपराध और हिंसा से संबंधित थीं, जिनमें दुष्कर्म और महिलाओं के घरों को आग के हवाले करना भी शामिल है।

  • महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध:
    • NCW ने सूचित किया कि पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में वर्ष 2021 के पहले आठ महीनों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की शिकायतों में 46% की वृद्धि हुई थी।
    • महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों में घरेलू हिंसाविवाहित महिलाओं का उत्पीड़न या दहेज उत्पीड़न, कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़नबलात्कार तथा बलात्कार का प्रयास और साइबर अपराध शामिल हैं।
    • भारत में महिलाओं की स्थिति पर गठित समिति (CSWI) ने लगभग पाँच दशक पहले शिकायतों के निवारण की सुविधा एवं महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक विकास में तीव्रता लाने हेतु निगरानी कार्यों को पूरा करने के लिये ‘राष्ट्रीय महिला आयोग’ की स्थापना की सिफारिश की थी।
    • महिलाओं के लिये राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (1988-2000) सहित अन्य सभी समितियों और आयोगों ने महिलाओं के लिये एक शीर्ष निकाय के गठन की सिफारिश की।
    • राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990 के तहत राष्ट्रीय महिला आयोग की स्थापना जनवरी 1992 में एक वैधानिक निकाय के रूप में की गई थी।
    • आयोग का गठन 31 जनवरी 1992 को ‘जयंती पटनायक’ की अध्यक्षता में किया गया था।
      • आयोग में एक अध्यक्ष, एक सदस्य सचिव और पांच अन्य सदस्य होते हैं। NCW के अध्यक्ष को केंद्र सरकार द्वारा नामित किया जाता है।
  • जनादेश और कार्य:
    • इसका प्राथमिक उद्देश्य उपयुक्त नीति निर्माण और विधायी उपायों के माध्यम से महिलाओं को उनके उचित अधिकारों को सुरक्षित करने में सक्षम बनाना और जीवन के सभी क्षेत्रों में समानता एवं समान भागीदारी हासिल करने में सक्षम बनाने की दिशा में प्रयास करना है।
    • इसके कार्यों में शामिल हैं:
      • महिलाओं के लिये संवैधानिक और कानूनी सुरक्षा उपायों की समीक्षा करना।
      • उपचारात्मक विधायी उपायों की सिफारिश करना।
      • शिकायतों के निवारण को सुगम बनाना।
      • महिलाओं को प्रभावित करने वाले सभी नीतिगत मामलों पर सरकार को सलाह देना।
    • इसने बड़ी संख्या में शिकायतें प्राप्त की हैं और त्वरित न्याय प्रदान करने के लिये कई मामलों में स्वत: संज्ञान लिया है।
    • इसने बाल विवाह, प्रायोजित कानूनी जागरूकता कार्यक्रमों, पारिवारिक महिला लोक अदालतों के मुद्दे को उठाया और कानूनों की समीक्षा की, जैसे:
      • दहेज निषेध अधिनियम, 1961
      • गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम 1994
      • भारतीय दंड संहिता 1860
  • संवैधानिक सुरक्षा उपाय:
    • मौलिक अधिकार:
      • यह सभी भारतीयों को समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14), लिंग के आधार पर राज्य द्वारा किसी भी प्रकार के भेदभाव से स्वतंत्रता (अनुच्छेद 15[1]) और महिलाओं के पक्ष में राज्य द्वारा किये जाने वाले विशेष प्रावधानों (अनुच्छेद 15[3]) की गारंटी देता है।
    • मौलिक कर्त्तव्य:
      • अनुच्छेद 51(A) के तहत महिलाओं की गरिमा को ध्यान में रखते हुए उनसे संबंधित अपमानजनक प्रथाओं को प्रतिबंधित किया गया है।
  • विधायी ढांँचा:
    •  घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, 2005 
    • दहेज निषेध अधिनियम, 1961
    • कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013
    • बाल यौन अपराध संरक्षण (POCSO), 2012
  • महिलाओं से संबंधित योजनाएँ:
    • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना।
    • वन स्टॉप सेंटर योजना।
    • उज्ज्वला योजना
    • स्वाधार गृह (कठिन परिस्थितियों में महिलाओं के लिए एक योजना)।
    • नारी शक्ति पुरस्कार।
    • महिला पुलिस स्वयंसेवक।
    • महिला शक्ति केंद्र (MSK)।
    • निर्भया।
  • NCW अधिनियम में संशोधन: वर्तमान भारत में महिलाओं की भूमिका में लगातार वृद्धि हो रही है तथा राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की भूमिका का विस्तार समय की आवश्यकता है।
    • इस संदर्भ में राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990 को अधिक कठोर और प्रभावी बनाने के लिये इसमें संशोधन किया जाना चाहिये।
    • इसके अलावा राज्य आयोगों को भी अपने दायरे का विस्तार करना चाहिये।
  • विवाह की न्यूनतम आयु को बढ़ाना: बेटियों की शादी की उम्र को बढ़ाकर 21 वर्ष करने का प्रयास किया जा रहा है ताकि कम उम्र में शादी बेटियों की शिक्षा व कॅरियर में बाधा न बने।
  • महिलाओं के खिलाफ हिंसा को संबोधित करना: महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा समानता, विकास, शांति के साथ-साथ महिलाओं और लड़कियों के मानवाधिकारों की पूर्ति में एक बाधा बनी हुई है।
    • कुल मिलाकर सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) का वादा-’किसी को पीछे नहीं छोड़ना’, महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को समाप्त किये बिना पूरा नहीं किया जा सकता है।
  • समग्र प्रयास: महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों का समाधान केवल कानून के तहत अदालतों में ही नहीं किया जा सकता है बल्कि इसके लिये एक समग्र दृष्टिकोण और पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को बदलना आवश्यक है।
    • इसके लिये कानून निर्माताओं, पुलिस अधिकारियों, फोरेंसिक विभाग, अभियोजकों, न्यायपालिका, चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग, गैर-सरकारी संगठनों, पुनर्वास केंद्रों सहित सभी हितधारकों को एक साथ मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है।
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