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किसी का भी दमन नहीं होना चाहिए-आरएएस प्रमुख मोहन भागवत - श्रीनारद मीडिया

किसी का भी दमन नहीं होना चाहिए-आरएएस प्रमुख मोहन भागवत

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि मतभेदों का सम्मान किया जाना चाहिए और सौहा‌र्द्र एवं सद्भाव से रहने के लिए सामंजस्य बेहद महत्वपूर्ण है। किसी का भी दमन नहीं होना चाहिए और सभी को आगे बढ़ने का अवसर मिलना चाहिए।
दरअसल, रविवार को महाराष्ट्र के ठाणे जिले के भिवंडी शहर में एक कालेज में गणतंत्र दिवस समारोह में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस का उत्सव मनाने के साथ-साथ यह अवसर राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को याद करने का भी है।

एकजुटता से जीना चाहिए: भागवत

अपने संबोधन में भागवत ने कहा कि विविधता के कारण भारत के बाहर संघर्ष हो रहे हैं। हम विविधता को जीवन का स्वाभाविक हिस्सा मानते हैं। आपकी अपनी विशेषताएं हो सकती हैं, लेकिन आपको एक-दूसरे के प्रति अच्छा व्यवहार करना चाहिए। यदि आप जीना चाहते हैं तो आपको एकजुटता से जीना चाहिए। यदि आपका परिवार दुखी है तो आप खुश नहीं रह सकते। इसी तरह, यदि कोई शहर संकट का सामना कर रहा है तो परिवार खुश नहीं रह सकता।

राष्ट्र के विकास के लिए समानता जरूरी

आरएसएस प्रमुख ने व्यक्ति और राष्ट्र के विकास के लिए समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को व्यक्तित्व के सम्मान और दमन से मुक्ति के साथ आगे बढ़ने का अवसर मिलना चाहिए।

किसी का नहीं होना चाहिए दमन

भागवत ने कहा कि हम चाहते हैं कि व्यक्ति आगे बढ़े और इसके लिए हमें स्वतंत्रता और समानता की आवश्यकता है। किसी का भी दमन नहीं होना चाहिए। सभी को अवसर मिलना चाहिए और बंधुत्व के साथ लोग आगे बढ़ेंगे और समाज में अपनी सफलता का प्रसार करेंगे। उन्होंने कहा कि विविधता के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि मतभेदों का सम्मान किया जाना चाहिए और सौहा‌र्द्र से रहने की कुंजी सामंजस्य है ।

युवाओं से की ये अपील

उन्होंने युवा पीढ़ी से उपलब्धियां हासिल करने और अपनी सफलता का उपयोग देश की बेहतरी के लिए करने की अपील की। उन्होंने कहा कि संघ समाज में सभी अच्छे कामों का समर्थन करता है। हम किसी व्यक्ति की पृष्ठभूमि या रंग नहीं देखते हैं, बल्कि केवल अच्छे कामों का समर्थन करते हैं।
उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास और राष्ट्रीय रक्षा जैसे क्षेत्रों में भारत की प्रगति समर्पित व्यक्तियों के प्रयासों का परिणाम है। हालांकि, अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। भारत को अपने सपनों का देश बनाना हम सबकी जिम्मेदारी है।

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