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एनटीडी दिवस विशेष: कालाजार के लक्षणों को नजर अंदाज न करें, सरकारी अस्पताल में होता है नि:शुल्क इलाज: रीना - श्रीनारद मीडिया

एनटीडी दिवस विशेष: कालाजार के लक्षणों को नजर अंदाज न करें, सरकारी अस्पताल में होता है नि:शुल्क इलाज: रीना

एनटीडी दिवस विशेष: कालाजार के लक्षणों को नजर अंदाज न करें, सरकारी अस्पताल में होता है नि:शुल्क इलाज: रीना

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कालाजार के नए मरीजों की खोज के लिए प्रभावित गांवों में डोर-टू-डोर हो रहा है सर्वे:

एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलता है यह रोग : एमओआईसी

श्रीनारद मीडिया, सीवान,  (बिहार):


कालाजार एक ऐसी गंभीर बीमारी है। जिसका ससमय इलाज नहीं होने से मरीज की जान भी जा सकती है। यह आंत का लीशमैनियासिस धीरे- धीरे बढ़ाने वाला तथा अत्यधिक संक्रामक लंबे समय तक रहने वाला रोग है। क्योंकि यह एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जिसका ससमय इलाज नहीं होने से मरीज की जान भी जा सकती है। हालांकि, पूर्व की अपेक्षा लोगों में जागरूकता बढ़ने से कालाजार के मरीजों का ससमय इलाज होने लगा है। इस कारण से इस बीमारी से जल्द छुटकारा भी मिलने लगा है।
लेकिन अभी भी ग्रामीण इलाकों के निवासियों में थोड़ी सी जागरूकता की कमी है, जिसे दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग और सहयोगी संस्थान लगातार प्रयासरत हैं। ऐसी ही कहानी है जिले के बसंतपुर प्रखंड मुख्यालय के रहने वाले उमेश कुमार की पत्नी रीना देवी की। जिनमें पिछले साल दिसंबर में कालाजार के लक्षण पाए गए। लेकिन जानकारी के अभाव में शुरुआती दौर में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन बाद में सरकारी अस्पातल में इलाज कराने के बाद उन्होंने इस बीमारी को मात दे दी है।

 

लक्षण दिखते ही नजदीकी सरकारी अस्पताल में कराएं जांच: रीना देवी
रीना देवी ने बताया कि पिछले साल दिसंबर माह के शुरू होते ही उन्हें बुखार और कमजोरी होने लगी थी। जिसके बाद इसको सामान्य बीमारी समझते हुए ग्रामीण चिकित्सक से इलाज कराया गया, लेकिन तबियत में कोई सुधार नहीं हुआ। लगभग 10 दिनों बाद उन्होंने बड़े चिकित्सक से अपनी जांच कराई, तो इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल रेफर कर दिया गया। जहां चिकित्सकों के द्वारा जांच करने के बाद उनमें कालाजार की पुष्टि हुई। जांचोपरांत इलाज शुरू हो गया। इलाज के दौरान परिवार वालों के द्वारा देखभाल की गई और अब पूरी तरह से ठीक हो गई हूं। उन्होंने यह भी कहा कि पहले तो इस बीमारी के लक्षणों की जानकारी नहीं थी। जिस कारण इलाज में विलंब हुई। आपलोगो को भी इस तरह की समस्या से जूझना नही पड़े। इसके लिए आप सभी से अपील है कि कालाजार के लक्षणों को नजर अंदाज न करें। हालांकि लक्षण दिखते ही अपने नजदीकी सरकारी अस्पताल में जाकर जांच व इलाज कराएं।

कालाजार के नए मरीजों की खोज के लिए प्रभावित गांवों में डोर-टू-डोर हो रहा है सर्वे:
पीरामल के प्रखंड समन्वयक विजय शंकर सिंह ने बताया कि पूरे जिले में कालाजार के नए मरीजों की खोज के लिए प्रभावित गांवों में डोर-टू-डोर सर्वे किया जा रहा है। ताकि, कालाजार के संदिग्ध मरीजों की पहचान कर उनका इलाज शुरू किया जा सके। इसके लिए पहले ही आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है। जिसमें उन्हें कालाजार के लक्षणों की पहचान के साथ इलाज और बचाव की जानकारी दी गई है। साथ ही उन्हें यह भी कहा गया है कि प्रभावित गांवों में घर- घर जाकर स्थानीय ग्रामीणों को कालाजार के लक्षणों व उसकी पहचान के संबंध में जानकारी दे। ताकि लक्षणों की पहचान कर स्वयं जांच के लिए अस्पताल पहुंचे।

एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलता है यह रोग: एमओआईसी
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ कुमार रवि रंजन ने बताया कि कालाजार लिसमैनिया डोनोवाणी नामक परजीवी से होता है। जिसका प्रसार संक्रमित बालू मक्खी द्वारा होता है। यह परजीवी बाद में किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो परजीवी स्वस्थ व्यक्ति के अंदर प्रवेश कर जाता है। इस प्रकार यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलता है। इस बीमारी में दो सप्ताह से ज्यादा बुखार रहता है। जो मलेरिया या किसी भी एंटिबायोटिक दवा से ठीक नहीं होती है। इसके अलावा तिल्ली एवं जिगर का बढ़ जाना, रक्त की कमी, वजन में गिरावट एवं भूख ना लगना जैसे लक्षण होते हैं। जिसका जांच व उपचार पर उनका ब्लड जांच निःशुल्क होता है।

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