उच्च शिक्षा संस्थानों में बढ़ रहा है छात्रों का नामांकन,क्यों?

उच्च शिक्षा संस्थानों में बढ़ रहा है छात्रों का नामांकन,क्यों?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

हमारे देश के उच्च शिक्षा संस्थानों में लगभग 4,32,68,181 छात्रों का नामांकन है. उच्च शिक्षा में अधिकाधिक नामांकन, विशेष रूप से महिलाओं, अल्पसंख्यक वर्ग, एससी, एसटी और ओबीसी के छात्रों का नामांकन कराने के प्रयासों के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं. यूजीसी के अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण 2021-22 के अनुसार, 2014-15 की तुलना में छात्राओं के नामांकन में 32% की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. वहीं एससी, एसटी और ओबीसी छात्रों के नामांकन में 65.2% की बड़ी बढ़ोतरी हुई है.

अल्पसंख्यक वर्गों से आने वाले छात्रों की संख्या 38% बढ़ी है. इन वर्गों की छात्राओं की संख्या भी 42.3% बढ़ी है. बीते एक दशक में छात्रवृत्ति देने, छात्रावास और पढ़ाई में लचीलापन आदि जैसी कोशिशों के साथ-साथ नामांकन करने के लिए जागरूकता पर भी ध्यान दिया गया है. नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पाठ्यक्रमों में सुगमता और ग्रेड/क्रेडिट के स्थानांतरण जैसी व्यवस्थाओं से आगामी वर्षों में नामांकन में और बढ़ोतरी की आशा है.

नामांकन में वृद्धि केवल संख्या का मामला नहीं है, बल्कि इससे यह भी इंगित होता है कि उच्च शिक्षा उत्तरोत्तर समावेशी होती जा रही है. अधिक छात्रों का उच्च शिक्षा प्राप्त करने का अर्थ यह भी है कि परिवारों की आर्थिक स्थिति बेहतर हो रही है और वे अपने बच्चों की शिक्षा पर अधिक ध्यान दे रहे हैं. यह स्थापित तथ्य है कि शैक्षणिक विषमता आर्थिक और सामाजिक विषमता का प्रमुख कारक है.

शैक्षणिक क्षमता व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र की क्षमता का भी बड़ा आधार है. आर्थिक परेशानियों के कारण बड़ी संख्या में छात्र उच्च शिक्षा से वंचित रह जाते हैं और वे सामान्य रोजगार में लग जाते हैं. छात्रवृत्तियों और आसान ऋण जैसे उपायों से इस समस्या का बहुत हद तक समाधान किया जा सकता है. यह संतोषजनक है कि ऐसे उपाय हो रहे हैं. पीएचडी में नामांकन में 2014-15 की तुलना में 2021-22 में 81.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई.

इस पाठ्यक्रम में महिलाओं के नामांकन में तो 107 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने उचित ही रेखांकित किया है कि शोध में बढ़ती रुचि, विशेषकर महिलाओं में, से भारतीय शिक्षा और अन्वेषण के भविष्य के लिए बड़ी आशा मिलती है. विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और मेडिकल शिक्षा में लैंगिक खाई को पाटना अभी भी प्राथमिकता है.

विज्ञान में महिलाओं के नामांकन में 35.1 प्रतिशत की बढ़त हुई है, पर अन्य क्षेत्रों में अभी और प्रयासों की आवश्यकता है. सुविधाओं और संसाधनों में वृद्धि तो हो रही है, नामांकन भी बढ़ रहा है, पर देश के कई विश्वविद्यालयों, विशेषकर महाविद्यालयों, में पढ़ाई के स्तर को बढ़ाने के साथ-साथ समय पर पाठ्यक्रम पूरा करने पर ध्यान देने की आवश्यकता है.

Leave a Reply

error: Content is protected !!