एक इच्छा हजारों इच्छाओं को जन्म देती है ः ममता पाठक

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श्रीनारद मीडिया‚ सिधवलिया‚ गोपालगंज (बिहार)

एक इच्छा हजारों इच्छाओं को जन्म देती है।क्यों कि इच्छाएं अनन्त होती है।परन्तु इच्छाएं दुःख का कारण भी होती है। ये इच्छाएं कभी पूरी होती तो खुशी और नही पूरी हुई तो दुखी। बुढ़ापे में मनुष्य को सात्विक होकर भगवान का भजन करना चाहिए। उक्त बातें सिधवलिया स्टेशन के समीप आयोजित श्रीराम कथामहा यज्ञ में प्रवचन प्रवक्ता ममता पाठक में कही।

उन्होंने कहा कि अयोध्यावासियों की इच्छा थी कि महाराज दशरथ को सन्तान हो जाती। जब चार पुत्र हुए तो सबकी इच्छा थी कि इनका शुभ विवाह हो जाय।अब, उनकी चाह थी कि महाराज दशरथ बूढ़े हो चले,अयोध्या की गद्दी ज्येष्ठ पुत्र राम को दे दिया जाय। महाराज दशरथ ने दर्पण में अपना चेहरा देखा तो मुकुट टेढ़े, भौं टेढ़ी, बाल पक चले , गर्दन टेढ़ी हो चली।

उन्होंने भी श्री राम को गद्दी देने की बात दरबार मे रख दी। परन्तु देवी-देवताओं को नागवार लगा। मन्थरा के जिव्हा पर सरस्वती को बैठा दिया और कैकेयी भरत को राजगद्दी और भगवान राम को चौदह वर्ष का बनवास की ठान लगा दी। यह रघुकुल की बात थी, महाराज दशरथ ने कैकेयी के प्रण को मानना पड़ा।इस असहनशील दुख को उन्हें ही नहीं, पूरे अयोध्य्वासियों को सहना पड़ा।

श्रीराम बन की तरफ चल पड़े। उन्होंने कहा कि अयोध्य्वासियों संग महाराज दशरथ का पूरा परिवार श्री राम के वियोग में डूब गया। जबकि इच्छाएं धरी-की-धरी रह गईं।यही इच्छाएं दुख का कारण भी बन गया।प्रवचन के दौरान पेट्रोलियम व्यवसायी जितेंद्र प्रसाद और पूर्व विधायक सह भाजपा

प्रदेश उपाध्यक्ष मिथिलेश तिवारी ने कथावाचिका ममता पाठक को अंग वस्त्र देकर शुभारम्भ किया। मौके पर, सुनील यादव, शुभम अग्रवाल, रंजन ब्याहत, जितेंद्र सिंह, बुलेट,ईश्वर प्रसाद, सुरेंद्र साह, विजय कुँवर, हरेंद्र प्रसाद सहित हजारो महिला पुरुष श्रद्धालु उपस्थित थे।

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