सीवान में स्कूल परिसर पर पुलिस का अतिक्रमण,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

अभी तक आपने सुना होगा कि अतिक्रमण करने पर पुलिस कार्रवाई करती है लेकिन सिवान के नौतन में मामला उल्टा है। पुलिस ने सरकारी स्कूल परिसर पर अतिक्रमण कर रखा है। अतिक्रमण की वजह से स्कूल के बच्चे परेशान हैं।

प्रखंड मुख्यालय स्थित राजकीय मध्य विद्यालय परिसर में पुलिस ने जब्त वाहनों को खड़ा कर रखा है। जिससे स्कूल के बच्चों को परिसर में खेलने-कूदने और अन्य गतिविधियों में परेशानी होती है। स्कूल के बच्चों ने बताया कि परिसर में खड़ी गाड़ियों के कारण हम खेल-कूद नहीं पाते हैं। वाहन के कारण स्कूल परिसर में कोई भी एक्टिविटी नहीं हो पाती है। बच्चों का कहना है कि इन वाहनों को हटवाया जाए। पढ़ाई के साथ खेलकूद भी हमारे विकास के लिए आवश्यक है।

स्कूल प्रभारी विनय कुमार ने बताया कि स्कूल परिसर में पुलिस के जब्त वाहन खड़ी होने से परेशानी होती है। इस समस्या से विभाग को अवगत कराया जा चुका है लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई। गाड़ियों की वजह से बच्चों और टीचर को परेशानी होती है। स्कूल में कोई भी कार्यक्रम भी आयोजित नहीं किया जा सकता है।

पुलिस बोली-स्कूल में गाड़ी रखना हमारी मजबूरी

मामले को लेकर थानाध्यक्ष अरविंद कुमार ने बताया कि थाना के पास जमीन का अभाव है, इसलिए जब्त वाहनों को स्कूल परिसर में रखना मजबूरी है। बलवां में थाने का भवन बन रहा है। वहां भवन बनते ही सभी जब्त वाहन को उक्त थाना परिसर में रखा जाएगा।

बता दें कि 2016 से 22 तक विभिन्न मामले में 500 से अधिक वाहन जब्त किए गए हैं, जिसे वाहन मालिक की ओर से नहीं छुड़ाने के कारण गाड़ियों को स्कूल परिसर में रखा गया है। इस कारण बच्चों को परेशानी होती है।

बुनियादी सुविधाओं की कमी झेल रहे थानों के लिए इन गाड़ियों को रखना किसी आफत से कम नहीं है। पुलिस सूत्रों के अनुसार विभिन्न मामलों में औसतन साल में पचास-साठ गाड़ियां जब्त होती हैं। बड़ी घटनाओं में प्रयुक्त वाहनों के अलावा न्यायालय में लंबित गाड़ियां थाना परिसरों में ही पड़ी रह जाती है।

बाद में इसके दावेदार भी नहीं आते है। जिसके चलते जब्त वाहन थाने में ही सड़कर बर्बाद हो जाते हैं। फिलहाल, अनुमंडल क्षेत्र में कोई भी ऐसा थाना नहीं है जहां सैकडों की संख्या में जब्त गाड़ियां जंग नहीं खा रही है। नतीजतन अनुमंडल क्षेत्र के सभी थाना कबाड़खाना दिख रहा है।

थाना परिसरों में जब्त गाड़ियों का निष्पादन न्यायालय के आदेश पर ही हो सकता है। नीलामी की प्रक्रिया जब्त वाहनों से संबंधित मामले में अंतिम तौर पर निष्पादित होने के बाद ही होती है। तब तक जब्त वाहनों को थाना परिसरों में ही रखना जरूरी होता है.

थाना के मालखाना में सालों पुराने वाहन एवं अन्य सामान को रखना बोझ बना हुआ रहता है। मालखाना प्रभारी के लिए सभी सामान को सुरक्षित रखना चुनौती रहता है। इस कारण कई बार देखा जाता है कि मालखाना का प्रभार लेने में पुलिस अधिकारी हिचकते हैं और मालखाना प्रभार लंबित रहता है।

इसका मूल कारण वर्षों पुराने सभी वाहन एवं सामान का सत्यापन कर प्रभार लेना मुश्किल रहता है। कई ऐसे सामान भी रहते हैं जो बर्बाद हो चुके रहते हैं और उसका कुछ ही अंश बचा रहता है। ऐसे में अपने बचाव के लिए मालखाना प्रभार लेने से बचते हैं। वहीं वर्षों पूर्व जब्त वाहनों की नीलामी होने से मालखाना का बोझ कम होगा।

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