Lohri Celebration 2023: धूमधाम से मनाई जा रही लोहड़ी

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

आज देश भर में उत्साह के साथ लोहड़ी का त्योहार मनाया जा रहा है। विशेष रूप से उत्तर भारत के राज्यों में मौजूद पंजाबी लोग इस त्योहार को पारंपरिक हर्षोल्लास और धूमधाम से मना रहे हैं। इस मौके पर देश के अलग-अलग राज्यों से लोहड़ी को धूमधाम से मनाते हुए लोगों की तस्वीरें और वीडियो सामने आ रहे हैं।

पंजाब के चंडीगढ़ में लोगों ने हर्षोल्लास के साथ नाचते हुए लोहड़ी का जश्न मनायावहीं,अमृतसर से भी वीडियो सामने आए, जहां लोग खुशियों से गीत गाकर, ढोल-नगाड़े बजाकर लोहड़ी का जश्न मना रहे हैं।दिल्ली के रंजीत नगर स्थित शिव चौंक पर लोगों ने हर्षोल्लास से लोहड़ी मनाया।उत्तर प्रदेश के कानपुर में लोग बड़े उत्साह के साथ लोहड़ी मना रहे हैं।मध्य प्रदेश के भोपाल में भी लोगों ने नाचते-गाते उत्साह के साथ लोहड़ी का जश्न मनाया।

अमृतसर के एक कॉलेज में शुक्रवार को लोहड़ी के मौके पर छात्रों ने अलाव के पास पंजाब का लोकनृत्य गिद्दा पेश किया। इस दौरान छात्र-छात्राएं पारंपरिक पंजाबी परिधान में नाचते-गाते नजर आए।

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प्रयागराज के नैनी गुरुनानक नगर में सिख समुदाय के लोगों ने लोहड़ी का पर्व मनाय।

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हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू ने शिमला में लोगों के साथ लोहड़ी उत्सव मनाया।

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इस त्योहार के दौरान नई फसल को अग्नि देव को समर्पित करते हैं। ऐसी मान्यता है कि लोहड़ी के पर्व के माध्यम से नई फसल का भोग सभी देवताओं तक पहुंच जाता है।

बता दें कि लोहड़ी की आग में तिल, गुड़, गेहूं की बालियां, रेवड़ी डालकर फसल की अच्छी उपज के लिए सूर्य और अग्नि को धन्यवाद दिया जाता है। साथ ही इस दिन गुड़, तिल और मूंगफली से बनी चीजों का सेवन करना शुभ माना जाता है।

लोहड़ी के अवसर पर बनाए जाने वाले खास पकवान

इस त्योहार में तरह-तरह के पकवान बनते हैं। खाकसकर, गुड़ और तिल से बने व्यंजन, जैसे- गुड़ की खिर, तिल की टिक्की, मूंगफली की चक्की, दाल चावल की खिचड़ी, मक्के की रोटी और साग बनाए जाते हैं।

लोहड़ी पर्व का महत्व

लोहड़ी का पर्व फसलों से जुड़ा हुआ है. इसलिए किसान के लिए लोहड़ी को सबसे महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है. किसानों के लिए लोहड़ी नववर्ष होता है. इसके साथ ही लोहड़ी पर्व से कई पौराणिक कहानियां भी जुड़ी हुई हैं. इसमें दुल्ला भट्टी की कहानी को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. लोहड़ी पर्व में पवित्र अग्नि जलाई जाती है और इसके चारों ओर सभी लोग इकट्ठा होते हैं.

अग्नि की पूजा की जाती है और इसमें पॉपकॉर्न, तिल, मूंगफली, रेवड़ी आदि जैसी सामग्रियां डालते हैं. मान्यता है कि नवविवाहित दंपति और नवजात की पहली लोहड़ी बहुत खास होती है.

लोहड़ी पर्व की पौराणिक कहानी

लोहड़ी का पर्व से जुड़ी दुल्ला भट्टी की पौराणिक कहानी के अनुसार, मुगल काल में अकबर के शासन के समय दुल्ला भट्टी नाम का एक युवक पंजाब में रहता था. दुल्ला भट्टी ने पंजाब की लड़कियों की उस समय रक्षा कि, जब लड़कियों को अमीर सौदागरों को बेचा जा रहा था.

दुल्ला भट्टी ने वहां पहुंचकर लड़िकयों को अमीर सौदागरों के चंगुल से छुड़वाया और उनकी शादी हिन्दू लड़कों से करवाई थी. तब से दुल्ला भट्टी को नायक की उपाधि से सम्मानित किया जाने लगा और हर साल हर लोहड़ी पर दुल्ला भाटी से जुड़ी यह कहानी सुनाई जाती है.

देश के कई हिस्सो में आज लोहड़ी का पर्व मनाया जा रहा है. हालांकि कई लोग इस पर्व को कल मनाएंगे. जानकारी के मुताबिक लोहड़ी पर्व मनाने का शुभ मुहूर्त कल का है. 14 जनवरी की रात भगवान सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे, इस घटना की वजह से हर साल मनाया जाने वाले लोहड़ी पर्व इस बार कल भी मनाया जाएगा. बात करें शुभ मुहूर्त की तो इस बार लोहड़ी पर्व मनाने का शुभ मुहूर्त 14 जनवरी रात 8 बजकर 57 मिनट है.

लोहड़ी के त्यौहार क्यों मनाया जाता है, इतिहास 

पुराणों के आधार पर इसे सती के त्याग के रूप में प्रतिवर्ष याद करके मनाया जाता हैं. कथानुसार जब प्रजापति दक्ष ने अपनी पुत्री सती के पति महादेव शिव का तिरस्कार किया था और अपने जामाता को यज्ञ में शामिल ना करने से उनकी पुत्री ने अपनी आपको को अग्नि में समर्पित कर दिया था. उसी दिन को एक पश्चाताप के रूप में प्रति वर्ष लोहड़ी पर मनाया जाता हैं और इसी कारण घर की विवाहित बेटी को इस दिन तोहफे दिये जाते हैं और भोजन पर आमंत्रित कर उसका मान सम्मान किया जाता हैं. इसी ख़ुशी में श्रृंगार का सामान सभी विवाहित महिलाओ को बाँटा जाता हैं.

हड़ी के पीछे एक एतिहासिक कथा भी हैं जिसे दुल्ला भट्टी के नाम से जाना जाता हैं. यह कथा अकबर के शासनकाल की हैं उन दिनों दुल्ला भट्टी पंजाब प्रान्त का सरदार था, इसे पंजाब का नायक कहा जाता था. उन दिनों संदलबार नामक एक जगह थी, जो अब पाकिस्तान का हिस्सा हैं. वहाँ लड़कियों की बाजारी होती थी. तब दुल्ला भट्टी ने इस का विरोध किया और लड़कियों को सम्मानपूर्वक इस दुष्कर्म से बचाया और उनकी शादी करवाकर उन्हें सम्मानित जीवन दिया. इस विजय के दिन को लोहड़ी के गीतों में गाया जाता हैं और दुल्ला भट्टी को याद किया जाता हैं.

इन्ही पौराणिक एवम एतिहासिक कारणों के चलते पंजाब प्रान्त में लोहड़ी का उत्सव उल्लास के साथ मनाया जाता हैं.

लोहड़ी की विशेषता

  • लोहड़ी का त्यौहार सिख समूह का पावन त्यौहार है और इसे सर्दियों के मौसम में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।
  • पंजाब प्रांत को छोड़कर भारत के अन्य राज्यों समेत विदेशों में भी सिख समुदाय इस त्यौहार को बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं।
  • लोहड़ी का पर्व श्रद्धालुओं के अंदर नई ऊर्जा का विकास करता है और साथ ही में खुशियों की भावना का भी संचार होता है अर्थात यह त्यौहार प्रमुख त्योहारों में से एक है।
  • इस पावन त्यौहार के दिन देश के विभिन्न राज्यों में अवकाश का प्रावधान है और इस दिन को लोग यादगार बनाते हैं।
  • इस पर्व के दिन लोग मक्के की रोटी और सरसों का साग बनाकर खाते हैं और यही इस त्यौहार का पारंपरिक व्यंजन है।
  • अलाव जलाकर चारों तरफ लोग बैठते हैं और फिर गजक, मूंगफली, रेवड़ी आदि खाकर इस त्यौहार का आनंद उठाते हैं।
  • इस पावन पर्व का नाम लोई के नाम से पड़ा है और यह नाम महान संत कबीर दास की पत्नी जी का था
  • यह त्यौहार नए साल की शुरुआत में और सर्दियों के अंत में मनाया जाता है।
  • इस त्यौहार के जरिए सिख समुदाय नए साल का स्वागत करते हैं और पंजाब में इसी कारण इसे और भी उत्साह पूर्ण तरीके से मनाया जाता है।
  • किसान भाई बहनों के लिए बियर पावन पर्वत अत्यधिक शुभ होता है और इस पर्व के बीत जाने के बाद नई फसलों का कटाई का काम शुरू किया जाता है।
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