विदेश भेजने वाले एजेंटों के खिलाफ पुलिस एक्शन मोड में है

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

अमेरिका से अवैध अप्रवासियों के जबरिया भारत भेजने के बाद डंकी रूट से लोगों को विदेशों में भेजने वाले एजेंट पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के निशाने पर हैं। यूपी के पीलीभीत में ही दो हफ्ते में 100 से अधिक एफआईआर दर्ज की गई है। 20 से ज्यादा एजेंटो को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। इन एजेंटों को आम तौर पर डंकी रूट संचालक भी कहा जाता है। पुलिस के अनुसार इन एजेंटों ने लोगों को विदेशी वीजा, नौकरी और शिक्षा के अवसर दिलाने के झूठे वादे करके ठगा है।

पुलिस अधीक्षक (एसपी) अविनाश पांडे ने कहा कि गिरफ्तार लोगों पर गंभीर धाराओं में केस दर्ज करके जेल भेजा गया है। इन एजेंटों पर धोखाधड़ी और बेईमानी, आपराधिक विश्वासघात, जालसाजी, जाली दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को असली के रूप में उपयोग करना और आपराधिक धमकी की धाराओं के तहत मुकदमे दर्ज किए गए हैं।

पुलिस की पूरी कार्रवाई अवैध आव्रजन के रैकेटों के बारे में बढ़ती जागरूकता और पीड़ितों की शिकायतों में बढ़ोतरी के बीच हुई है। इस रैकेट के अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन के साथ ही कथित रूप से खालिस्तान समर्थकों से भी संबंध की आशंका जताई जा रही है।

धोखाधड़ी और कथित आतंकी संबंधों का जाल

खालिस्तानी आतंकी नेटवर्क की जांच में अवैध आप्रवासन से कथित संबंधों का खुलासा होने के बाद कार्रवाई में तेजी आई है। 23 दिसंबर 2024 को खालिस्तान कमांडो फोर्स के सदस्यों के साथ एक मुठभेड़ के बाद अधिकारियों ने 10 लाख रुपये के इनामी बब्बर खालसा इंटरनेशनल ऑपरेटिव कुलबीर सिंह सिद्धू की कथित संलिप्तता का खुलासा किया।

पुलिस के मुताबिक सिद्धू लोगों को विदेश भेजने के लिए मार्कशीट और पासपोर्ट जैसे फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करके पूरनपुर इलाके में फर्जी आव्रजन अभियान चला रहा था। एसपी अविनाश पांडे ने बताया कि खालिस्तानी आतंकी नेटवर्क की जांच के दौरान जाली दस्तावेजों का उपयोग करके लोगों को विदेश भेजे जाने के मामले सामने आए हैं। इससे क्षेत्र में सक्रिय बड़े अवैध आव्रजन रैकेट का पर्दाफाश हुआ है।

24 फरवरी को पूरनपुर पुलिस स्टेशन में आयोजित एक जनसुनवाई पीलीभीत और पड़ोसी जिलों जैसे लखीमपुर खीरी और शाहजहाँपुर से 500 से अधिक शिकायतें इन एजेंटों के खिलाफ प्राप्त हुईं। पीड़ितों ने इन एजेंटों द्वारा धोखा दिए जाने, लाखों रुपये ठगने और नकली दस्तावेजों के कारण विदेश में कठिनाइयों का सामना करने की दर्दनाक घटनाओं के बारे में बताया। ऐसे ही एक पीड़ित गुरप्रीत सिंह ने ग्लोबल गेटवे इमिग्रेशन संचालक मलकीत सिंह और हिमांशु पांडे के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।

गुरप्रीत ने आरोप लगाया कि 2022 में यूके स्टडी वीजा के लिए ₹35 लाख का भुगतान करने के बाद उसे फर्जी दस्तावेजों पर वहां भेजा गया था। जब उनकी ट्यूशन फीस बकाया रह गई तो उन्हें मजदूर के रूप में काम करने के लिए मजबूर होना पड़ा। बाद में इन लोगों ने उसे बेहद खतरनाक डंकी रूट से अमेरिका भेज दिया।

गुरप्रीत को उसके फर्जी दस्तावेजों के कारण अमेरिकी सेना ने हिरासत में लिया था और इस महीने की शुरुआत में भारत वापस भेज दिया था। जब उसने अपने पैसे वापस मांगे तो एजेंटों ने उसे जान से मारने की धमकी दी। गुरप्रीत सिंह तीन भाइयों में सबसे छोटे हैं। उनका एक भाई गुरजीत सिंह भारतीय सेना में हैं।

एक अन्य पीड़ित संतोष सिंह ने आरोप लगाया कि उन्होंने अपने बेटे को इंग्लैंड भेजने के लिए ज्यूपिटर आईईएलटीएस सेंटर संचालक मलकीत सिंह और कुलवंत सिंह को ₹11 लाख का भुगतान किया। एजेंटों ने वीजा आवेदन दाखिल करने के लिए फर्जी मार्कशीट का इस्तेमाल किया और बाद में पैसे वापस करने से इनकार कर दिया।

इसी तरह पिंडरा गांव के अनुज कुमार ने बताया कि उन्हें और उनके दोस्त रणवीर सिंह को मलेशिया में वर्क वीजा के नाम पर धोखा दिया गया। उनसे 6 लाख रुपये लिए गए। विदेश भेजे जाने के बाद उन्हें बेरोजगार छोड़ दिया गया। एक कमरे में बंद कर दिया गया और एजेंटों के सहयोगियों ने उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए थे।

जांच से पता चला कि यह एजेंट आईईएलटीएस (इंटरनेशनल इंग्लिश लैंग्वेज टेस्टिंग सिस्टम) कोचिंग सेंटर, फर्जी दस्तावेज निर्माण और विदेशों में अवैध प्रवेश के वादे करके लोगों को ठगते थे। शुरुआत में फ्रांस, पोलैंड और ऑस्ट्रिया जैसे यूरोपीय देशों की यात्रा करने के बाद कई पीड़ितों को अमेरिका या ब्रिटेन में बसाने का लालच दिया गया था।

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) विक्रम दहिया ने बताया कि कुछ आरोपी आईईएलटीएस कोचिंग सेंटर चला रहे थे और मार्कशीट और बैंक स्टेटमेंट सहित फर्जी दस्तावेज तैयार करने में शामिल थे। अन्य लोगों ने खतरनाक मार्गों से विदेशों में अवैध प्रवेश की सुविधा प्रदान की। पुलिस ने कथित तौर पर इन अवैध गतिविधियों से जुड़े बेहिसाब मनी लांड्रिंग का भी खुलासा किया है। इन लोगों के अब फाइनेंसियल हिसाब और संपत्ति का भी आंकलन किया जा रहा है।

पुलिस अधिकारियों के अनुसार अधिकांश शिकायतों में ऐसे पीड़ित शामिल होते हैं जिन्हें अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप के वीजा के लिए बड़ी रकम का भुगतान कराकर धोखा दिया गया है। आरोपी अक्सर सख्त आव्रजन नीतियों का हवाला देकर ग्राहकों को कनाडा भेजने से बचते थे और इसके बजाय उन्हें अतिरिक्त शुल्क के लिए अमेरिका या ब्रिटेन में स्थानांतरित होने के वादे के साथ यूरोपीय देशों को चुनने के लिए प्रोत्साहित करते थे। एएसपी दहिया ने एजेंटों के खिलाफ जागरूकता को बढ़ती एफआईआर का कारण माना है।

एफआईआर और गिरफ्तारियों के बाद भी पीलीभीत पुलिस रैकेट की जांच कर रही है। पैसों के लेन-देन का पता लगाने, अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन की पहचान करने और इस धंधे में शामिल ज्यादा से ज्यादा लोगों को शिकंजे में लेने का प्रयास हो रहा है।

 

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