गर्भवती महिला कोरोनाकाल में घर से बाहर न निकलें : डॉ०माहे कायनात

 

गर्भवती महिला कोरोनाकाल में घर से बाहर न निकलें : डॉ०माहे कायनात

श्रीनारद मीडिया, मनीष कुमार, सीवान (बिहार):

 

कोरोना वायरस से आम जनजीवन प्रभावित है। जिसमें काफी महिला मरीज भी हैं। कोरोना काल में खास तौर पर गर्भावती महिलाओं को खास ध्यान देने की जरूरत है। चिकित्सकों के मुताबिक गर्भवती महिलाओं के लिए कोरोना ज्यादा खतरनाक है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को भोजन में हरा साग-सब्जी की मात्रा बढ़ाने के साथ भरपूर मात्रा में पानी लिया जाना चाहिए। इसके अलावा मौसमी फल, दही व छाछ जैसी खाद्य पदार्थ का सेवन भी काफी उपयोगी है। वही हसनपुरा सीएचसी में कार्यरत महिला चिकित्सक डॉ माहे कायनात ने कहा कि प्रेगनेंसी में महिलाओं की इम्यूनिटी पावर थोड़ी कमजोर होती है। ऐसे में कोरोना वायरस का मां और शिशु की सेहत पर असर करने की अधिक संभावना बनी रहती है। साथ ही उन्होंने कहा कि इस समय कोरोना वायरस की वजह से हर कोई डरा हुआ है। गर्भवती होने पर महिलाओं के इम्यून सिस्टम बीमारियों से लड़ने की क्षमता में कुछ बदलाव आते हैं। इस दौरान इम्यूनिटी पावर भी थोड़ी कमजोर हो जाती है, और उनमें सांस व अन्य बीमारियों से संबंधित इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है।

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.खाली पेट नही रहें, डॉक्टरी सलाह जरूरी

कोरोना एवं लू के मद्देनजर गर्भवती महिलाएं गर्मी के मौसम में घर से निकलने में परहेज करें। यदि घर से बाहर निकलना अनिवार्य हो तो खाली पेट घर से बाहर ना जाएं। लू से बचने के लिए बहुत अधिक देर तक खाली पेट बिल्कुल नहीं रहें। लू लगने की स्थिति में चिकित्सकीय परामर्श जरूरी है। प्राथमिक उपचार के तौर पर ओआरएस का घोल दिया जाना चाहिए ताकि उल्टी व दस्त की समस्या दूर रहे। विशेष परेशानी होने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाना चाहिए।

.ये है प्रेंग्नेंसी में कोरोना के लक्षण

अगर आप गर्भावस्था में कोरोना के संपर्क में आ गई हैं, तो आपको तेज बुखार और लगातार खांसी आने लगेगी। बाकी लोगों की तरह गर्भवती महिलाओं में भी कोरोना वायरस के एक जैसी ही लक्षण है। वे कहती है कि सेहतमंद वयस्कों की तुलना में गर्भवती महिलाओं को अधिक कोरोना वायरस प्रभावित करता है। जिससे खतरा अधिक बढ़ जाता है। ऐसा माना जाता है कि अधिकतर महिलाओं में जुकाम या फ्लू के केवल हल्के या सामान्य लक्षण दिखते है।

.किसी तरह की न बरतें लापरवाही, जांच जरूरी

महिला चिकित्सक डॉ माहे कायनात बताती है कि कोरोना वायरस से ग्रस्त गर्भवती महिलाएं या प्रसव के समय शिशु को भी कोरोना वायरस के लक्षण मिल सकता है। इसे वर्टिकल ट्रांसमिशन कहते है। हालांकि दो ऐसे मामले सामने आए है, जिनमे वायरस के शिशु में फैला है। इन दोनों ही मामले में ये पता नही चल पाया है कि वायरस जन्म से पहले फैला था या फिर जन्म के बाद। विशेषज्ञों का मानना है कि गर्भावस्था के दौरान शिशु के वायरस के सम्पर्क में आने की संभावना कम होती है।

 

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