फिल्म धुरन्धर की समीक्षा से उपजे प्रश्न

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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कहानी कुछ यूँ है कि पाकिस्तान के कराँची में एक था रहमान बलूच! पक्का कसाई था ससुर, दस किलो वाले बटखरा से दुश्मन का सर कूँच देता था। जितने गलत धंधे हो सकते हैं, सब करता था। हथियार सप्लाई, जाली नोट, मर्डर सर्डर… अब ऐसा आदमी तो राजनीति के लिए परफेक्ट है न दोस्त? भारत हो या पाकिस्तान, मामला सेम सेम ही चलता है गुरु…आगे बढिये।

ब्लूचिस्तानी रहमान बलूच को अपना नेता मानते हैं, लेकिन वह केवल पैसे को ही अपना मानता है। धंधे के लिए वह उन लोगों के साथ भी खड़ा हो जाता है जो दशकों से ब्लूचिस्तानियों को मार रहे हैं। अरे भाई! कराची का नेता बनना है उसे, इतनी धोखाधड़ी तो करनी पड़ेगी न… उधर एक और नेता है, जमील जमाली। घोर चापलूस, महा पलटूराम। देख कर लगता है कि अपने घुंघरू सेठ का बैचमेट है… छोड़िये।

कहानी में पाकिस्तान के कुछ और बड़े नाम हैं। सब एक दूसरे के शत्रु हैं, लेकिन भारत को समाप्त करने के नाम पर झट से एक हो जाते हैं। उधर से सब मिल कर ही कसाब आदि को भेजते हैं, और होटल ताज अटैक पर जश्न मनाते हैं। वे इंडियन टीवी चैनल पर चल रहे न्यूज को देख कर फोन से आतंकियों को बताते हैं कि किस ओर से कमांडो आ रहे हैं। वैसे यह कहानी नहीं है दोस्त! यह सच है। उस दिन भारतीय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जाने अनजाने आतंकियों की मदद ही कर रही थी।

खैर…पर भाई साहेब! उसी गैंग में चुपके से ढुकेला है अपना एक आदमी, जो है तो जसकीरत सिंह रंगी, लेकिन बना हुआ है हमजा अली मजारी… अब वह बजायेगा सबकी बैंड, लेगा बदला, खत्म करेगा सबको… एकदम मित्थुन चक्रबर्ती इस्टाइल में…

वैसे एक बात और है। भारतीय सिनेमा के लेखकों की कल्पनाशीलता यहीं तक है कि किसी बड़े नेता, ब्यवसाई या उद्योगपति की बेटी है तो उसे मोहब्बत किसी नौकर, गुलाम टाइप लड़के से ही होगी। मोहब्बत के मामले में पिछले पचास सालों से सिनेमा यहीं टिका हुआ है। रहमान बलूच की बॉडीगाडी कर रहे हमारे हीरो की एक तिरछी नजर से ही सांसद जमाली साहब की बेटी इतनी दीवानी हो जाती है कि उसे अपने बाप के खिलाफ सुबूत तक देने लगती है।

वह भी तब, जब उसे लगता है कि पापा बड़े अच्छे इंसान हैं। मतलब सिनेमा वाले लोग पढ़ी लिखी लड़कियों को निहायत ही बुद्धिजीवी समझते हैं… जा रे लेखक…पर भाई साहब! विनोद खन्ना का बेटा हो या सुनील दत्त का बेटा, अभिनय में सबने कमाल किया है। रनबीर सिंह चुकी हीरो हैं, तो वे कमाल करेंगे ही।

बाकी सबसे बड़ा कमाल किया है निर्देशक आदित्य धर ने। 2025 में कोई निर्देशक पाकिस्तान और जासूसी से जुड़ी फिल्म बनाये और उसमें एक भी अश्लील दृश्य न डाले तो कमाल ही है। कम से कम इस फिल्म में तो हीरोइन सारा अर्जुन का भाग्य अच्छा रहा है, आगे तो…
अंत में एक बात सुनिये। एक जगह रहमान डकैत( अक्षय खन्ना) की बीबी उसे थप्पड़ मारती है तो वह उसे प्यार से गले लगा लेता है।

दूसरी जगह हमजा अली मजारी( रनबीर सिंह) की बीबी उसे थप्पड़ मारती है तो वह उसे गले लगा देता है। मैं उन पुरुषों के बारे में सोच रहा हूँ जो अपनी देवियों से साथ फिल्म देखने जाते हैं…

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