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रेप और तेजाब पीड़िताओं को नहीं मिल रहा मुआवजा, 15 दिनों में देना होता है 1 लाख

रेप और तेजाब पीड़िताओं को नहीं मिल रहा मुआवजा, 15 दिनों में देना होता है 1 लाख

श्रीनारद मीडिया,रोहित मिश्रा,स्टेट डेस्क

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हिंसा से पीड़ितों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए दिया जाने वाला मुआवजा एक महीने से बाधित है। इसके कारण रेप, तेजाब और पॉक्सो से संबंधित पीड़िताओं को मुआवजा नहीं मिल पा रहा है। मिली जानकारी के अनुसार फंड की कमी की वजह से पीड़िताओं को मुआवजा नहीं मिल पा रहा है। बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार की ओर से एक करोड़ रुपये फंड की मांग की गई है। सिर्फ बेगूसराय में 20 लाख रुपये मुआवजा के तौर दिया जाना है। फंड नहीं रहने के कारण पीड़ितों को भटकना पड़ रहा है। इस साल का बजट 10 करोड़ रुपये का है। इसमें छह करोड़ रुपये ही मिले हैं।नालंदा की तेजाब पीड़िता युवती को अब तक मुआवजा की राशि नहीं मिली है। इसके कारण पीड़िता के परिजन अपना पैसा खर्च कर इलाज कराने को मजबूर हो रहे हैं। जानकारी के अनुसार, सिविल सर्जन की ओर से थाने को इंज्युरी रिपोर्ट नहीं दी गयी है, जबकि घटना के 15 दिनों के अंदर एक लाख रुपये का तात्कालिक मुआवजा देने का प्रावधान है। बता दें कि बाजार जाने के क्रम में 18 अगस्त को युवती पर पड़ोस के एक युवक ने तेजाब फेंक दिया था। युवती के शरीर का 30 प्रतिशत हिस्सा जल चुका है। आंखों की रोशनी पर भी असर पड़ा है।
राज्य में नाबालिगों के साथ रेप के मामले सबसे अधिक बढ़े हैं। यही कारण है कि इस साल अब तक 151 पॉक्सो के मामलों में मुआवजा दिया गया है। पॉक्सो के बाद मात्र बालिग के साथ रेप के 12 मामलों में मुआवजा दिया गया है, जबकि हत्या और उत्पीड़न जैसे मामलों में मुआवजा लेने की संख्या सबसे अधिक कम हुए हैं।

ऐसे मिलता है मुआवजा
हिंसा से पीड़ित को परिस्थिति से उबारकर समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजा देने की घोषणा की है। तेजाब पीड़ितों को पुनर्वासित करने के लिए राज्य सरकार ने आजीवन पेंशन देने की घोषणा की है। यही नहीं जख्म के प्रतिशत के अनुसार पीड़ितों को मुआवजा देने का प्रावधान है। किसी भी क्षेत्र में एसिड अटैक की घटना होने पर जिला विधिक प्राधिकार के पीएलवी यानी पारा लीगल वोलेंट्री पीड़ितों के घर जाकर आवेदन लेते हैं। जिला अपराध क्षति प्रति बोर्ड के सामने पीड़ित की रिपोर्ट रखी जाती है। इस बोर्ड में जिला जज, डीएम, एसएसपी और सिविल सर्जन की अनुशंसा के अनुसार बिहार राज्य विधिक प्राधिकार की ओर से फंड की उपलब्धता रहने पर एक-दो दिन में एक लाख रुपये की तत्काल मुआवजा दे दिया जाता है। इसके अलावा जख्म के प्रतिशत के हिसाब से मुआवजे की राशि भी बढ़ायी जाती है।

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