रेपिस्ट को फांसी नहीं उन्हें घुट-घुट कर मरने देना चाहिए, पढ़ें खबर

रेपिस्ट को फांसी नहीं उन्हें घुट-घुट कर मरने देना चाहिए, पढ़ें खबर

बच्ची से रेप केस में जज ने की टिप्पणी,

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्‍क:

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिला न्यायालय की विशेष कोर्ट की एक टिप्पणी की चर्चा पूरे प्रदेश में हो रही है. 7 साल की मासूम से कुकर्म के मामले में विशेष कोर्ट के अपर सत्र न्यायाधीश अविनाश के त्रिपाठी ने आरोपी को मृत्युदंड की सजा देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने आरोपी को आजीवन कारावास व अर्थदंड से दंडित किया है, लेकिन माना है कि उसका अपराध आजीवन कारावास के अधिक के दंड देने के कारित था. सख्त सजा के नियमों के बाद भी बच्चियों से रेप के मामले बढ़ने पर कोर्ट ने चिंता भी जताई है. मामला दुर्ग जिले के भिलाई से जुड़ा है.

प्रकरण के मुताबिक 30 जनवरी 2021 को भिलाई के वैशाली नगर थाना क्षेत्र में रहने वाला 22 वर्षीय रजत भट्टाचार्य ने 7 साल की बच्ची को अपनी हवस का शिकार बनाया. बच्ची से रेप के अलावा आरोपी ने उसके साथ अप्राकृतिक कृत्य भी किया. बच्ची की मां का देहांत हो गया है और उसके पिता नौकरी के चक्कर में सुबह 10 से रात 9 बजे तक घर से बाहर रहते हैं. आरोपी ने इसी का फायदा उठाया और शाम करीब 7 बजे जब बच्ची घर में अकेली थी तो उसके साथ रेप की वारदात को अंजाम दिया.

पीड़िता की एक छोटी बहन भी है. घटना की सूचना पर पीड़िता के पिता ने वैशाली नगर पुलिस थाने में एफआईआर करवाई, जिसके बाद आरोपी को गिरफ्तार किया गया. प्रकरण में 23 मार्च 2022 को स्पेशल कोर्ट ने फैसला दिया. आरोपी को अर्थदंड के साथ आजीवन सश्रम कारावास की सजा दी गई है. पीड़िता को साढ़े 6 लाख रुपये मुआवजा राशि देने का भी आदेश कोर्ट ने दिया है.

 
दुर्ग स्पेशल कोर्ट के अपर सत्र न्यायाधीश अविनाश के त्रिपाठी ने रेप केस में फैसले में अहम टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि ‘यदि आरोपी को मृत्युदंड दिया जाता है तो वह अपने कुकर्माें का प्रायश्चित नहीं कर पाएगा एंव अपने मानव जीवन से मुक्ति पा जाएगा तथा वह इस मानव योनी से मुक्त भी हो जाएगा. इसके विपरित यदि आरोपी को शेष प्राकृतकाल के लिए आजीवन कारावास का दंड दिया जाता है तो वह अपने कुकर्मों का जीवनकाल तक सोच-सोच के घुटन में मानसिक रूप से मृत्यु को प्राप्त करता रहेगा तथा उसी प्रायश्चित में घुटता रहेगा. चूंकि मृत्युदंड आरोपी की पश्चाताप की अवधारणा को समाप्त कर देता है. ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि दोषियों को मौत की सजा दी जानी चाहिए. वे जीवनभर पश्चाताप के पात्र हैं.

इस प्रकरण में सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है और वे समाज में दोबारा शामिल होने के लायक नहीं हैं. इस प्रकार प्रकरण की समस्त परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए एवं उभयपक्षों के तर्कों का गहराई से मनन करने के उपरांत आरोपी को मृत्युदंड न दिया जाकर शोष प्राकृत जीवनकाल के लिए आजीवन कारावास से एंव अर्थदंड से दंडित किया जाता है.’

यह भी पढ़े

हाईकोर्ट के वरीय अधिवक्ता अवधेश कुमार पाण्डेय ने एनडीए MLC प्रत्याशी मनोज सिंह के लिए मांगा वोट

गंगा नदी में एक मालवाहक जहाज  डूबा, जहाज पर करीब  16 ट्रकों में स्टोन (पत्थर) लोड था

खिड़की से देखो तो गंदे इशारे, बाहर निकलो तो कभी ग्राहक, कभी दलाल दबोचते हैं,क्यों?

Leave a Reply

error: Content is protected !!