छपरा मेडिकल कॉलेज में शुरू हुई अत्याधुनिक सबडर्मल गर्भनिरोधक इम्पलांट की सुविधा

छपरा मेडिकल कॉलेज में शुरू हुई अत्याधुनिक सबडर्मल गर्भनिरोधक इम्पलांट की सुविधा
• तीन साल तक अनचाही गर्भावस्था से मिलेगा सुरक्षित समाधान
• प्रशिक्षित डॉक्टर की देखरेख में दो महिलाओं को लगाया गया इम्पलांट
• मां-बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य के लिए स्वास्थ्य विभाग की अभिनव पहल

श्रीनारद मीडिया, पंकज मिश्रा, अमनौर, सारण (बिहार):

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छपरा  जिले की महिलाओं को अब अनचाही गर्भावस्था से दीर्घकालिक राहत दिलाने के लिए एक नई और अत्याधुनिक सुविधा की शुरुआत की गई है। छपरा मेडिकल कॉलेज में शनिवार को सबडर्मल गर्भनिरोधक इम्पलांट सेवा की औपचारिक शुरुआत की गई। इस अवसर पर दो महिला लाभार्थियों को प्रशिक्षित महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. सुमन द्वारा इम्पलांट लगाया गया। इस पहल के तहत उन महिलाओं को लाभ मिलेगा जो दीर्घकालिक गर्भनिरोधक सुरक्षा चाहती हैं लेकिन प्रतिदिन दवा लेने या अन्य अस्थायी उपायों को अपनाने में असहजता महसूस करती हैं। यह सुविधा महिलाओं को तीन वर्षों तक गर्भधारण से बचाव का भरोसेमंद विकल्प प्रदान करती है।

महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा का नया विकल्प
गर्भनिरोधक इम्पलांट की शुरुआत के मौके पर छपरा मेडिकल कॉलेज की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. सुमन ने कहा, “यह सुविधा खासकर उन महिलाओं के लिए बेहद फायदेमंद है, जो बार-बार गर्भधारण की परेशानी से जूझ रही हैं या जिनके बीच में बच्चों के जन्म का अंतराल बहुत कम है। यह तकनीक सुरक्षित, प्रभावी और सुविधाजनक है। इससे मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य को लाभ मिलेगा।” उन्होंने बताया कि सबडर्मल इम्पलांट न केवल गर्भनिरोधन का प्रभावी साधन है, बल्कि इससे महिलाओं को लंबे समय तक मानसिक और शारीरिक रूप से राहत भी मिलती है। इससे जन्म के बीच का अंतर पर्याप्त होता है, जिससे बच्चों को बेहतर पोषण और देखभाल मिल पाती है। डॉ. सुमन ने महिलाओं से अपील करते हुए कहा कि वे इस तकनीक के प्रति जागरूक हों, प्रशिक्षित चिकित्सकों से परामर्श लें और सुरक्षित व स्वस्थ मातृत्व सुनिश्चित करने के लिए इस सुविधा का भरपूर लाभ उठाएं।

 

क्या है सबडर्मल इम्पलांट? जानें प्रक्रिया और लाभ
छपरा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीपी जयसवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि सबडर्मल इम्पलांट एक छोटी छड़ी के आकार की डिवाइस होती है, जिसे महिला की ऊपरी बांह की त्वचा के नीचे बड़ी ही सहज प्रक्रिया के माध्यम से लगाया जाता है। इस प्रक्रिया में न तो किसी प्रकार की सर्जरी की आवश्यकता होती है और न ही अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ती है। यह कुछ ही मिनटों में पूरा हो जाता है और महिला तुरंत अपनी सामान्य दिनचर्या में लौट सकती है। डॉक्टर की सलाह पर यह इम्पलांट कभी भी हटवाया जा सकता है। इसका कोई दीर्घकालिक दुष्प्रभाव नहीं होता और यह महिलाओं के लिए पूरी तरह सुरक्षित माना गया है।

महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य के लिए कारगर उपाय
जिला स्वास्थ्य समिति के डीसीएम ब्रजेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि बच्चों के बीच कम अंतराल, बार-बार गर्भधारण, पोषण की कमी और गर्भनिरोधक साधनों की जानकारी या उपलब्धता का अभाव – ये सभी कारण मां और नवजात शिशु दोनों के लिए स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं उत्पन्न करते हैं। ऐसे में सबडर्मल इम्पलांट एक प्रभावशाली समाधान बनकर सामने आया है। यह सुविधा उन ग्रामीण व शहरी महिलाओं के लिए विशेष रूप से लाभदायक होगी जो सरल, टिकाऊ और भरोसेमंद गर्भनिरोधक विकल्प की तलाश में हैं।

स्वास्थ्य विभाग की अभिनव पहल
स्वास्थ्य विभाग की इस पहल को महिला सशक्तिकरण और सुरक्षित मातृत्व की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। विभाग की योजना है कि आने वाले दिनों में इसे सदर अस्पताल और अन्य स्वास्थ्य केंद्रों पर भी लागू किया जाए, ताकि अधिक से अधिक महिलाएं इसका लाभ उठा सकें। इस मौके पर महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. सुमन, जिला स्वास्थ्य समिति के डीसीएम ब्रजेंद्र कुमार सिंह, पीएसआई इंडिया के जिला प्रतिनिधि राजीव कुमार, मुरलीधर, सदर प्रखंड के बीसीएम संजीव कुमार, मेडिकल कॉलेज की स्टाफ नर्स निष्ठा, अर्चना, काजल समेत अन्य मौजूद थे।

सबडर्मल इम्पलांट क्या है?
• पतली छड़ी के आकार की हार्मोनयुक्त डिवाइस
• त्वचा के नीचे, ऊपरी बांह में प्रत्यारोपित
• प्रक्रिया बेहद सरल, सुरक्षित और दर्दरहित
• प्रभावशीलता: तीन साल तक गर्भ से सुरक्षा
• हटवाना भी बेहद आसान और डॉक्टर की निगरानी में

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