स्वामी जी वैश्विक स्तर पर भारतीय संस्कृति आ आध्यात्मिक धारा के स्थापित कइनी ।

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

नमन युगपुरुष के|

राष्ट्रीय युवा दिवस 12 जनवरी

कवनो देश के जकड़ल सामाजिक ताना बाना के खिलाफ ओह देश के युवा उर्जा ही खड़ा होला । स्वामी विवेकानंद भारत के स्थिर तालाब में एगो कंकड़ फेंकनी । लहर उठल। लहर से छिटकल पानी के बूंद रुढ़ हो चुकल लोगन के तंद्रा तुरलस । चेतना के ज्वार उमड़ल । राष्ट्रीयता के बिया अँकुरल । देश से मिलल आत्मविश्वास लेके स्वामी जी वैश्विक स्तर पर भारतीय संस्कृति आ आध्यात्मिक धारा के स्थापित कइनी ।

जब अंग्रेजन के अत्याचार से माँ भारती कराहत रहली ,अपने संतानन के एक दुसरा के गला काटत देखे के अलावा उनका सामने कवनो चारा ना रहे , उँच नीच के भावना में बह चुकल अपना कुनबा के सरिहारे के कवनो उपाय ना सुझत रहे, अइसने अन्हरिया में सुरुज के प्रखर ज्योत बनके उदय भइल स्वामी विवेकानंद के

अपना समाज के गंदगी पर चोट करत स्वामी जी भारत के पुरातन संस्कृति आ वेदांत दर्शन के भोग में डूबल पश्चिमी संस्कृति के सामने रखनी । शिकागो सम्मेलन के बाद भारतीय संस्कृति के उपहास करेवाला लोगन के आँख से सारा पर्दा उतर गइल रहे । पश्चिमी जगत चले लागल एगो योगी के पीछे पीछे भारतीय संस्कृति के जाने खातिर….

धर्म के व्यापक रुप के विवेचना करत उँहा के गरज के कहले रहनी ‌-

“हमनी के हाल कुँआ के बेंग लेखा बा जवन अपना अपना ईनार के ब्रह्मांड बुझेले सन । अपना घर के दरवाजा आ खिड़की खोल के एक हाथ से बाहर के बयार के लोके के चाहीं आ एक हाथ से घर के बयार के मजबुती से पकड़े के चाहीं ।
अइसन कइला से घर के हवा में प्रवेश क चुकल बदबू के समझे में आ ओकरा से निजात पावे में सहायता मिली ।”

आज के दौर में वैश्विक स्तर पर उँहा के विचार कहीं अधिक प्रासंगिक दिख रहल बा।

आखर परिवार के ओर से सभे के युवा दिवस के बधाई आ शुभकामना ।

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