दशरथ जी के चारों पुत्रो के नाम लेने से मनुष्य की जिन्दगी पार लग जाती है ः ममता पाठक
श्रीनारद मीडिया‚ सिधवलिया‚ गोपालगंज (बिहार)
दशरथ जी के चारों पुत्रो के नाम लेने से मनुष्य की जिन्दगी पार लग जाती है। उनके नामों से ही मनुष्य की चारों अवस्थाएँ एक आदर्श पुरुष के रूप में गुजर जाती हैं। उक्त बातें सिधवलिया रेलवे स्टेशन के समीप आयोजित श्री राम कथा महयज्ञ में चौथे दिन प्रवक्ता ममता पाठक ने कही। उन्होंने ने कहा कि चौथे पन में राजा दशरथ के चार पुत्र हुए ।
चारों का मुखमण्डल और हस्तरेखा को देखकर गुरु वशिष्ठ ने ज्येष्ठ पुत्र का नाम राम रखा। राम का नाम लेने से ही मनुष्य को सुख और आराम की प्राप्ति होती है। उसी प्रकार गुरु वशिष्ठ ने दूसरे पुत्र काम भरत रखा। क्योंकि भरत नाम रखने से मनुष्य जिंदगी भर अन्न धन , संपति की प्राप्ति होती। है और भरण पोषण की संतुष्टि हो जाती है।
उन्होंने लक्ष्मण और शत्रुघ्न के नामकरण की चर्चा करते हुए कहा कि गुरु वशिष्ठ ने तीसरे का नाम शत्रुघ्न रखा। क्योंकि शत्रुघ्न का नाम लेने से। मनुष्य के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं एवं शत्रुओं का नाश हो जाता है। उन्होंने चौथे का नामकरण लक्ष्मण किया। क्योंकि लक्ष्मण का नाम लेने से मनुष्य का अपना लक्ष्य प्राप्त कर सन्तुष्ट हो जाता है और मन वांछित फल की प्राप्ति होती है।
प्रवचन के दौरान प्रवक्ता ममता पाठक ने सम्मान और अति सम्मान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पुत्रेष्टि यज्ञ से निकले हब को राजा दशरथ ने दो रानियों को ही आधा आधा भाग दिया। इसलिए कौशल्या और कैकेयी को सम्मान मिला। परन्तु अपने आधे-आधे हब से दो भाग कर एक- एक भाग रानी सुमित्रा को दिया।
जिसके कारण सुमित्रा को अति सम्मान मिला और उन्हें दो पुत्रों यथा, लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म हुआ।चौथे दिन की कथा का। शुभारंभ मुखिया संघ के अध्यक्ष मुन्ना कूँवर ने अंग वस्त्र देकर किया। मौके पर रंजन व्याहुत, सन्तोष कुमार पंच, राजीव सर, मुखिया सुभाष यादव,सुमन श्रीवास्तव, गुड्डू सिंह,मुखिया,विनय प्रसाद, मुखिया,दशरथ राम, रामनाथ राम सहित हजारों श्रोता श्रद्धालु उपस्थित थे ।
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