गया में ट्रूनेट मशीन की मदद से टीबी मरीजों को किया जायेगा चिन्हित

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जिला के पांच स्वास्थ्य संस्थानों में स्थापित किया गया ट्रूनेट मशीन

श्रीनारद मीडिया, गया, (बिहार):

‘टीबी हारेगा देश जीतेगा’ अभियान के तहत जिला में अब टीबी के लक्षण वाले मरीजों का पता लगाना पहले से आसाना होगा. इसके लिए कोविड जांच के लिए इस्तेमाल होने वाले ट्रूनेट मशीन का उपयोग किया जायेगा. जिला में ट्रूनेट मशीन से पांच जगहों पर टीबी के संभावित रोगियों की जांच का काम प्रारंभ किया गया है. इनमें नारायण मगध मेडिकल कॉलेज सहित जय प्रकाश नारायण सदर अस्पताल सहित शेरघाटी व टिकारी अनुमंडलीय अस्पताल तथा वजीरगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं. जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ पंकज ने इस बाबत जानकारी दी. उन्होंने बताया इस अत्याधुनिक डिजिटल मशीन की मदद से एक साथ 4 लोगों के बलगम सैंपल की जांच संभव है.

टीबी मरीजों को चिन्हित करने में होगी आसानी:
ट्रूनेट मशीनों की मदद से मरीजों की पहचान करना आसान होगा और रोगियों को ससमय आवश्यक इलाज प्रदान किये जा सकेगा. स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस दिशा में तेजी से काम किया गया है. इस संबंध में पूर्व में ही स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय द्वारा एक आदेश भी जारी किया गया था. मशीन की मदद से कोविड व सामान्य टीबी सहित रिफाम्पिसिन रेजिस्टेंट टीबी की भी हो सकेगी. मशीन से यह भी जानकारी मिल सकेगी कि टीबी मरीजों के इलाज के लिए दी जाने वाली दवा उन्हें सही तरीके से सूट कर रही है अथवा नहीं. ट्रूनेट मशीन की मदद से जांच की रिपोर्ट कम समय में मिल जाती है. ट्रूनेट मशीन से रोगियों की जांच के लिए लैब टेक्नीशियन व संबंधित कर्मचारियों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है. ट्रूनेट मशीन की मदद से एमडीआर रोगियों की जांच आसान हो सकेगी जो कि सामान्य टीबी के मुकाबले अधिक जोखिम भरा होता है.

सांस से जुड़ी गंभीर बीमारी है ट्यूबरक्लोसिस:
सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक कोविड 19 और ट्यूबरक्लोसिस श्वसन तंत्र से जुड़े अति गंभीर रोग हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड 19 और टीबी संक्रमण से बचाव संबंधी जानकारी देते हुए बताया है कि टीबी मरीजों के लिए कोविड संक्रमण अति गंभीर है. अधिक उम्र, डायबिटीज और क्रोनिक आॅब्स्ट्रक्टिव प्लमोनरी डिजीज ये सभी गंभीर रूप से कोविड और टीबी के होने की संभावना को बढ़ाते हैं. दोनों रोगों का संक्रमण संक्रमित के खांसने, छींकने व बोलने आदि के कारण होती है. संक्रमित के मुंह से निकली बूंदों में मौजूद वायरस व बैक्ट्रीरिया सांस के माध्यम से स्वस्थ्य व्यक्ति तक पहुंचते हैं.

इन लोगों को टीबी का खतरा अधिक:
• एचआईवी संक्रमण के शिकार
• छोटे बच्चे व किशोर किशोरियां
• इंजेक्शन से नशा करने वाले लोग
• कुपोषित व कमजोर इम्युन वाला व्यक्ति
• बुजुर्ग व गंभीर बीमारी से ग्रसित
• अधिक उम्र वाले लोग
• टीबी का सही इलाज नहीं कराने वाले

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