‘सनातन के सदैव परम पुजारी भारत के ब्राह्मण’
आलेख धनंजय मिश्र
श्रीनारद मीडिया :

यह उपरोक्त ‘शीर्षक’ कथित भारत में ‘सनातन की सच्चाई’ है! यद्यपि भारत में अब जब पुनः ‘हिन्दुत्व’ अपने महाजागरण के सहारे ‘एकजुट-संगठित’ हो रहा है..! तब कुछ छंदम् सनातनी-आवरणधारी विधर्मी अपनी शरारतपूर्ण सुविज्ञता और स्वजातीता का पुरजोर बखान करके केवल ‘ब्राह्मणों’ को ही मिथ्या एवं थोथीपूर्ण अपने कुतर्कों से अपमानजनक ‘बहुभ्रम’ फैलाने में मशगूल हैं..!
जबकि कोई भी सज्जन भारत की ऐतिहासिक पौराणिक सनातनी परंपरा, संस्कृति आदि का सुअध्ययन करके सहजतापूर्ण समझ सकता है कि ‘सनातन’ को सदैव ‘अक्षुण्य-विद्यमान’ रखने हेतु हीं ‘मुगल एवं ब्रिटिश काल’ तक केवल लाखों ‘ब्राह्मणों’ ने अपना बलिदान दिया है..! मुगल आक्रांताओं से अपनी ‘प्राण-रक्षा’ के निहितार्थ घनघोर बीहड़-जंगलों और पहाड़ों की गुफाओं में छूपकर और सनातनी विधानानुसार पूजा-पाठ, हवन आदि करके सदा सनातन के लिए अपनी विशिष्ट रचनात्मक सुलेखन को निरंतर विकसित करने का सद्कार्य सिर्फ ‘सनातन’ को अक्षुण्ण रखने के निहितार्थ-हितार्थ ही महान ब्राह्मण मनीषियों एवं ऋषियों ने किया..!
यद्यपि आज भी बहुतेरे ब्राह्मण सज्जनगण- सनातनी परंपरानुसार पूजा-पाठ,महायज्ञ-हवन,आर्चनाएं आदि ‘सनातन’ को सदैव विकसित एवं विद्यमान करने के लिए ही करते रहे हैं..! वस्तुत: यह बात भी यथार्थपूर्ण है कि कोई सद्कर्म भी भूखे रहकर और अपने परिवार को भूखों मरने पर छोड़कर नहीं करेगा! क्योंकि,जब भूखमरी के कारण वह और उसका परिवार ही समाप्त हो जाएगा!
तब आखिर और अंततः ‘सनातन का अलख’ जगाएगा कौन..? यह सदैव ‘यक्ष-सा प्रश्न’ है..? किन्तु, कुछेक ‘स्व-सुविज्ञ सनातन-विधर्मीगण’ अपनी ऐतिहासिक ‘सत्य-तथ्यों’ को साजिशतन-कुटिलतापूर्ण विस्मृत करके कथित बिना कोई प्रतिभा के केवल चमचागिरी की बदौलत ‘मुगलिया और ब्रिटिश सल्तनत’ के बहुकथित-बहुचर्चित खासमखास प्यारे प्यादे बने अपने पुरखों की विस्मयपूर्ण करतूतों को इतनी सहजता से क्यों भूलाने का अपना मिथ्या पूर्ण नाटकबाजी सर्वसमाज के समक्ष प्रकटीकृत करते हैं..? यह तमाम बातें भी अब सनातनी सुसभ्य सर्वसमाज जान और पहचान रहा है..!
दरअसल, सच तो यह है कि ‘मुगल एवं ब्रिटिश कालीन’ दौर में महज ‘स्व-अतिहितार्थ’ सिर्फ अपनी प्यादागिरी के लिए विख्यात और भारत के साथ कथित ‘गद्दारीपूर्ण’ कारनामें करने वाले बहुतेरे षड़यंत्रकारियों को भूलाकर सिर्फ और सिर्फ प्राचीन एवं महती महान सच्चे सनातनी पुजारी ब्राह्मणों के विरूद्ध सदैव अपनी बातों और लेखनी से अपमानजनक टिप्पणियां करके सर्वसमाज के सर्वसज्जनों को भी ‘बहुभ्रमित’ करने का कुचक्रपूर्ण निरर्थक अत्यधिक कुचेष्टा जो जन भी करने में अपनी नकारात्मक सोच को विकसित कर रहे हैं..! वस्तुत: कथित उन्हें तो अब भारत के सच्चे सनातनी बहुसंख्यक सर्वसमाज के सज्जनगण ‘महामूर्ख ही ‘मान एवं समझ’ रहे हैं..!
लेखक : धनंजय मिश्रा, सीवान के वरिष्ठ पत्रकार एवं अधिवक्ता है।
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