चुनाव में भाजपा की जीत से अधिक वाराणसी में हार की चर्चा,क्यों?

चुनाव में भाजपा की जीत से अधिक वाराणसी में हार की चर्चा,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में काफी प्रयास के बाद भी भाजपा के एमएलसी पद के उम्‍मीदवार को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा है। वहीं भाजपा के लिए वाराणसी का चुनाव परिणाम सबसे बड़ी चुनौती भी लेकर सामने आई है। माना जा रहा है माफ‍िया बृजेश से पार्टी की दूरी का संकेत देते हुए ही सुदामा पटेल को पार्टी की ओर से उम्‍मीदवार बनाया गया था। लेकिन, पार्टी के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के बृजेश सिंह संग मिलीभगत से पार्टी की जमानत तक जब्‍त हो गई। इस बाबत पार्टी के उम्‍मीदवार ने चुनाव के पूर्व ही कई बार वरिष्‍ठों से शिकायत कर पार्टी के खिलाफ जाकर बृजेश सिंह की पत्‍नी अन्‍नपूर्णा के लिए काम करने का आरोप लगाया था।

पार्टी में शीर्ष स्‍तर पर शिकायत के बाद भी भाजपा को वाराणसी में बुरी तरह पराजय झेलना पड़ा है। जबकि, उत्‍तर प्रदेश में  36 में 33 सीटें जीत कर भाजपा ने जहां इतिहास रचा है वहीं तीन में से दो हारी हुई सीटें वाराणसी और आजमगढ़ होने से पूर्वांचल में भाजपा के लिए चिंता की खबरें हैं। दरअसल विधानसभा चुनाव में भाजपा के काफी मशक्‍कत के बाद भी पार्टी को सपा से टक्‍कर मिली और भाजपा को सपा के मुकाबले कम सीटें पूर्वांचल में नसीब हुई थीं।

अब पार्टी में एमएलसी चुनाव में प्रदेश भर में शानदार प्रदर्शन तो हुआ है लेकिन वाराणसी जहां भाजपा को सभी विधानसभा सीटों पर जीत मिली वहां पार्टी की एमएलसी चुनाव में जमानत जब्‍त हो गई और पार्टी प्रत्‍याशी सुदामा पटेल तीसरे स्‍थान पर रहे। जबकि भाजपा से बेहतर प्रदर्शन समाजवादी पार्टी का ही रहा।

जिले की आठ विधानसभा सीटों पर जीत हासिल करने वाली भाजपा के एमएलसी उम्‍मीदवार के लिए मंगलवार अमंगलकारी सिद्ध हुआ था। पीएम नरेन्‍द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में विधानसभा की सभी सीटें जीतने वाली पार्टी के उम्‍मीदवार की जमानत जब्‍त हो गई और वह जीते निर्दल उम्‍मीदवार अन्‍नपूर्णा सिंह और सपा के बाद तीसरे स्‍थान पर रहे। चुनाव परिणाम आने के पहले और बाद में भी पार्टी के उम्‍मीदवार ने पार्टी के पदाधिकारियों की निष्‍ठा को सवालों के घेरे में खड़ा करते हुए पार्टी के फैसले के ही खिलाफ कई कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के काम करने का आरोप लगा कर पार्टी के भीतर गुटबाजी पर सवाल उठाया है।

बृजेश सिंह ने इस बार चुनाव मैदान से हटते हुए अपनी पत्‍नी अन्नपूर्णा सिंह को चुनाव मैदान में उतारा था। जबकि पिछली बार भाजपा बृजेश के साथ थी। इस बार सरकार ने कपसेठी हाउस से इतर सुदामा पटेल पर दांव लगाया था। इसके बाद भी भाजपा से जुड़े बृजेश के करीबी लोगों ने चुनाव के दौरान निर्दल उम्‍मीदवार का साथ दिया।

चुनाव के पूर्व कई बार सुदामा पटेल ने इस प्रकरण को उठाकर पार्टी में भितरघात का आरोप लगाया है। अब कोटा से ज्यादा मत प्राप्त कर वाराणसी से विजयी घोषित हुई अन्‍नपूर्णा सिंह की जीत के बाद से भाजपा में सियासी आरोपों का दौर शुरू हो गया। सबसे बड़ा आरोप भाजपा के ही उम्‍मीदवार ने अपने ही पार्टी के लोगों पर लगाया है। पार्टी में परिणामों को लेकर काफी मंथन का दौर चल रहा है कि आखिर पार्टी में वह कौन चेहरे हैं जो पार्टी के फैसले के खिजाफ विरोधी के लिए काम कर रहे हैं।

चुनाव परिणाम आने के बाद भाजपा प्रत्याशी डा. सुदामा पटेल काफी निराश नजर आए और आरोप लगाया कि ‘जब भाजपा के लोग ही निर्दल प्रत्याशी के एजेंट बने हों तो भाजपा की जीत भला कैसे होती?’ वाराणसी स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र से विधान परिषद सदस्य चुनाव की सीट पर कपसेठी हाउस पांचवीं बार कब्जा जमाने में सफल रहा है।

निर्दल प्रत्याशी के रूप में अन्नपूर्णा सिंह ने इस सीट पर दूसरी बार भारी बहुमत से जीत हासिल कीं। इस तरह 24 साल से यह सीट एक ही परिवार में है। अन्नपूर्णा को कुल 4234 वोट मिले। वहीं प्रतिद्वंद्वी सपा के उमेश यादव को 345 वोट मिले। भाजपा पूरी तरह धड़ाम रही, उनके प्रत्याशी डा. सुदामा पटेल को सिर्फ 170 वोट हासिल हुए और उनकी जमानत तक जब्‍त हो गई।

भाजपा की हार चर्चा में : उत्‍तर प्रदेश भर में 36 सीटों के मुकाबले 33 सीटों पर भले ही भाजपा की प्रचंड जीत हो लेकिन भाजपा की वाराणसी में हार पार्टी के भीतर ही नहीं विरोधियों के बीच भी चर्चा में आ गई है। भाजपा की ओर से पार्टी उम्‍मीदवार ने जहां पार्टी के भीतर की विरोधियों का सपोर्ट करने का आरोप लगाया गया है वहीं पार्टी की जमानत तक जब्‍त होने के बाद से ही इंटरनेट मीडिया में भाजपा की हार को लेकर तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं। वहीं दूसरी ओर पार्टी के उम्‍मीदवार का बयान भी खूब ट्रोल हो रहा है।

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