फिल्म एक दूजे के लिए 1981 की हिंदी रोमांटिक त्रासदी सिनेमा रही,कैसे?

फिल्म एक दूजे के लिए 1981 की हिंदी रोमांटिक त्रासदी सिनेमा रही,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

1980 का दौर एक ऐसा दौर था जब वीसीआर के प्रचलन ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्रीज़ की कमर तोड़ रखी थी किसी नई फिल्म की रिलीज़ के साथ ही उसकी वीडियो कैसेट भी बाजार में आ जाती थी सिर्फ बड़ी स्टारकास्ट और बड़े बजट की फिल्मे ही अपनी इज़्ज़त बचा पा रही थी जैसे मनोज कुमार की ‘क्रांति’ साल 1981 की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर थी ,अमिताभ बच्चन की ‘लावारिस’ और ‘नसीब’ ,जीतेंद्र की एक्शन फिल्म ‘मेरी आवाज सुनो’ उस साल कमाई के लिहाज से सफल फिल्में रहीं ये सारी एक्शन फिल्मे थी ……..लेकिन

1981 में के. बालाचंदर जब अपनी फिल्म ‘एक दूजे के लिए’ के लिए लेकर आये तो उसे वितरक ही नहीं मिले नुकसान होने के जोखिम से बचने के लिए किसी भी वितरक ने इसे नहीं ख़रीदा इसलिए के.बालाचंदर को खुद ही अपनी फिल्म को ड्रिस्टीब्यूट करना पड़ा …….’एक दूजे के लिए’ के बालाचंदर की तेलुगु फिल्म ‘Maro Charitra’ का रीमेक थी उसके हीरो भी कमल हसन ही थे ‘एक दूजे के लिए’ मे साउथ के कमल हसन ,माधवी और उत्तर प्रदेश के बरेली की रहने वाली रति अग्निहोत्री ने हिंदी फिल्मो में कदम रखा ….

फिल्म से खुद के.बालाचंदर को भी ज्यादा उम्मीदे नहीं थी इसलिए इसके लिमिटेड प्रिंट रिलीज़ किये गए लेकिन एक हफ्ते के बाद जब फिल्म को माउथ पब्लिसिटी मिली तो ज्यादा प्रिंट बनाये गए फिल्म के रिलीज़ के कुछ दिनों की सुस्ती के बाद हिंदी भाषी दर्शको ने इसे हाथो हाथ लिया 10 लाख में बनी फिल्म ने उस वक्त 10 करोड़ से ज्यादा बॉक्स ऑफिस कलेक्शन किया इस फ़िल्म ने कामयाबी का ऐसा झंडा गाड़ा कि लोग हैरान रह गए…

फिल्म ‘एक दूजे के लिए’ ने हिंदी सिनेमा को कई नए चेहरे दिए इसके लीड कलाकार कमल हासन, रति अग्निहोत्री और माधवी तीनों साउथ की फिल्मों के जाने पहचाने चेहरे थे और तीनों की ये पहली हिंदी फिल्म थी इसी फिल्म से नेपाल के अभिनेता सुनील थापा ने भी अपना करियर शुरू किया …..लेकिन फिल्म से जिस एक और शख्स ने सबसे धमाकेदार एंट्री हिंदी सिनेमा में मारी, वो रहे इसके गायक एस.पी बालासुब्रमण्यम ……..

एस.पी बालासुब्रमण्यम एक गायक तो थे वो एक अच्छे डबिंग आर्टिस्ट भी थे उन्होंने उन्होंने तमिल में बनने वाली कमल हसन की सभी फिल्मो की डबिंग भी की है लेकिन यहाँ सवाल हिंदी का था ………हिंदी संगीत के लिए लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने कमान संभाली हुई थी लेकिन उनका के.बाला चन्दर से एक बात को लेकर मतभेद था उनका मानना था की साउथ के एस.पी बालासुब्रमण्यम गायक के तौर पर हिंदी भाषी दर्शको की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरेंगे क्योंकि उनके उच्चारण में दक्षिण भारतीय एसेंट था जबकि के.बाला चन्दर का तर्क था की जब फिल्म का नायक ही दक्षिण भारतीय है तो वो शुद्ध हिंदी में गाने कैसे गा पायेगा ? निर्देशक के बालाचंदर के भरोसा जताने के बाद लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल मान गए….

आखिर के बाला चन्दर का तर्क तर्क सही साबित हुआ फिल्म एक दूजे के लिए के गाने ‘तेरे मेरे बीच में कैसा है ये बंधन अनजाना’ के लिए एस पी बालासुब्रमण्यम को सर्वश्रेष्ठ गायक का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला और हिंदी फिल्म इंडस्ट्रीज़ में एक नए गायक का उदय हुआ …

गोवा की पृष्ठ्भूमि पर पर बनी फिल्म ‘एक दूजे के लिए ‘ दो प्रेमियों वासु (कमल हसन ) और सपना (रति अग्निहोत्री ) की दुःखद प्रेम कहानी पर आधारित है दोनों अलग अलग समुदायों से आते है इसलिए उनके परिवारों में गहरे मतभेद है दोनों की शादी नामुमकिन है फिल्म के अंत में लाइब्रेरियन (सुनील थापा) द्वारा सपना के साथ बलात्कार किया जाता है और उसे मरने के लिए छोड़ दिया जाता है सपना के भाई रजा मुराद के कहने पर किराये के गुंडे वासु को चाकुओं से गोद देते है आखिरकार दोनों प्रेमी एक पहाड़ी से कूदकर जान दे देते है………

इस कलाइमेक्स पर विवाद भी हुआ क्योंकि कई युवा प्रेमी जोड़ो ने इसे आदर्श मानते हुए आत्महत्या कर ली …..के.बाला चन्दर राजकपूर को अपना आदर्श मानते थे उन्होंने फिल्म तैयार होने एक बाद सबसे पहले राजकपूर को ही दिखाई थी राजकपूर ने भी फिल्म के दुःखद अंत को बदलने के सलाह दी थी …..कई सामाजिक संस्थाओं में फिल्म के कलाइमेक्स पर आपत्ति जताई ताकि युवा प्रेमियों की बढ़ती सुसाइड केस पर लगाम लग सके इन घटनाओं के बाद फिल्म से जुड़े लोगों पर काफी दबाव भी आया था कि वे इसका क्लाइमेक्स ठीक करें या फिर युवाओं में जागरूकता फैलाएं ……के.बाला चन्दर ने फिल्म का कलाइमेक्स बदला भी लेकिन फिल्म की मूल आत्मा जाती रही आखिरकार लेकिन जनता की भारी मांग पर के.बाला चन्दर ने पहले वाले कलाइमेक्स पर ही अडिग रहने का फैसला किया …

कमल हासन उन दिनों के बालाचंदर के साथ निर्देशन भी सीखा करते थे कोरियोग्राफी भी वह अपनी फिल्मों की कर लेते थे फिल्म ‘एक दूजे के लिए’ में एक सीन है जहां कमल हासन लट्टू नचाकर रति अग्निहोत्री की नाभि के पास उनके पेट पर छोड़ देते हैं ये सीन कमल हासन ने खुद रचा था…. उस दिन गोवा में गजब की गर्मी थी तापमान करीब 40 डिग्री के करीब था और रति ने तपती बालू पर लेटकर पेट पर नाच रहे लट्टू वाला शॉट दिया था फिल्म के एक दृश्य में सपना (रति अग्निहोत्री) की माँ (शोभा खोटे ) उसके प्रेमी वासु (कमल हसन ) की फोटो को आग में जला देती है लेकिन सपना उस फोटो की राख को चाय में घोलकर पी जाती है एक फोटोजेनिक पेपर्स में कई तरह के रसायन होते है पहले तो फोटो को डेवलप करने के लिए घातक केमिकल्स से धोया भी जाता था इसके बावजूद भी अभिनेत्री रति अग्निहोत्री ने यह सीन किया वो भी एक नहीं दो टेक में यानि उन्हें वो राख वाली चाय दो बार पीनी पड़ी ….”सोलह बरस की बाली उम्र को सलाम ” गाने को परदे पर गाने वाली वाली रति अग्निहोत्री की उम्र वाकई उस वक्त 16 वर्ष ही थी …

फिल्म एक दूजे के लिए “सुपर हिट” रही थी इसे आलोचनात्मक प्रशंसा भी मिली और यह 13 फिल्मफेयर पुरस्कार नामांकन में से अंत में 3 जीतने में सफल रही पूरे भारत की जमाने की जवानी आनंद बक्षी इन गानों पर तब लट्टू हो गई थी फिल्म में एक मजेदार गाना है ”मेरे जीवन साथी ” इसमें सिर्फ हिंदी फिल्मो में नाम आते है फिल्म में उस दौर का कोई सर्वश्रेष्ठ कैटेगरी का अवार्ड नहीं बचा था

जो इस फिल्म से जुड़े व्यक्ति को न मिला हो सपना और वासु भारत के युवा प्रेमियों की धड़कन बन गए….”एक दूजे के लिए ” फिल्म की गिनती आज भी हिंदी की मोस्ट रोमांटिक फिल्मो में की जाती है और लक्ष्मी कान्त प्यारे लाल के संगीत का जादू आज भी महसूस किया जा सकता है लोग आज भी जब गोवा जाते है तो फिल्म में दिखाई गई चर्च ,खंडहरों ,और जिस पहाड़ी से कूद कर वासु और सपना सुसाइड करते है उसे देखने जाते है और फिल्म .”एक दूजे के लिए ‘की चर्चा करते है।

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