संसार में चंद्रग्रहण के पहले और बाद में आए हैं कई भूकंप,क्यों?

संसार में चंद्रग्रहण के पहले और बाद में आए हैं कई भूकंप,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

अक्सर एक सवाल पूछा जाता है कि क्या चंद्रग्रहण के कारण प्राकृतिक आपदाएं आती हैं. इस सवाल का जवाब देने से पहले हम आपको बताते हैं कि इस साल का पहला चंद्रग्रहण 26 मई को लगने जा रहा है. यह दिन बैसाख पूर्णिमा और बुद्ध पूर्णिमा का दिन है और इस दिन पूर्ण चंद्रग्रहण माना जाता है. चंद्रग्रहण को खगोलीय घटना माना जाता है. दूसरी तरफ ज्योतिष शास्त्र में चंद्रग्रहण को खगोलीय घटना के अलावा भी बहुत कुछ माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन पर प्रभाव डालने और परिवर्तन करने वाला माना जाता है. अगर 26 मई को साल के पहले पूर्ण चंद्रग्रहण को देखें तो इसी दिन पश्चिम बंगाल और ओडिशा में चक्रवात यास दस्तक देने वाला है. चंद्रग्रहण और यास का कोई सीधा कनेक्शन तो नहीं लेकिन, कई प्राकृतिक घटनाएं खासकर भूकंप चंद्रग्रहण के आसपास हुई हैं.

चंद्रग्रहण के पहले और बाद में आए भूकंप

9 जनवरी 2001 — 26 जनवरी, भारत

16 मई 2003 — 1 मई, पूर्वी तुर्की

9 नवंबर 2003 — 17 नवंबर, अलास्का

28 अक्टूबर 2004 — 23 अक्टूबर, जापान

3 मार्च 2007 — 6 मार्च, सुमात्रा

28 अगस्त 2007 — 15 अगस्त, पेरू

21 फरवरी 2008 — 21 फरवरी, इंडोनेशिया

21 दिसंबर 2010 — 21 दिसंबर, जापान

31 जनवरी 2018 — 31 जनवरी, भारत-पाकिस्तान

26 मई को कुल 5 घंटे के लिए चंद्रग्रहण

वैज्ञानिकों और खगोल विज्ञानियों की मानें तो चंद्रग्रहण के 41 दिन बाद तक गुरुत्वाकर्षण घटने या बढ़ने के कारण भूकंप की आशंका बनी रहती है. भूकंप चंद्रग्रहण की तारीख के आगे-पीछे भी आती रहती हैं. हालांकि, इसके कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिले हैं. कई लोग इसे संयोग मानते हैं तो कई लोग इसे सच कहते भी दिख जाते हैं. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक चंद्रग्रहण 26 मई बुधवार को वृश्चिक राशि और अनुराधा नक्षत्र में लगेगा. चंद्रग्रहण भारतीय समयानुसार दोपहर बाद 2 बजकर 17 मिनट से शुरू होकर शाम 07 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगा. भारत में कुछ स्थानों से यह उपच्छाया चंद्र ग्रहण के रूप में दिखाई देगा. यह कुल 5 घंटे के लिए होगा.

पूर्वी मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर शनिवार को कम दबाव का क्षेत्र बना, जो प्रचंड चक्रवाती तूफान में तब्दील हो सकता है. 26 मई को यह पश्चिम बंगाल, ओड़िशा के उत्तरी क्षेत्र और बांग्लादेश के तटों की तरफ मुड़ सकता है. इस चक्रवात को ‘यश’ नाम दिया गया है. पश्चिम बंगाल सरकार ने चक्रवात यश के मद्देनजर सभी एहतियाती कदम उठाये हैं और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हालात का जायजा लेने के लिए खुद नियंत्रण कक्ष में मौजूद रहेंगी.

राज्य सचिवालय नबान्न में अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री बनर्जी ने कहा कि संवेदनशील क्षेत्रों के लिए राहत सामग्री रवाना कर दी गयी है और अधिकारियों को तटवर्ती तथा नदी क्षेत्रों के आसपास के लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने को कहा गया है. ममता बनर्जी ने ट्वीट किया, ‘मैंने संबंधित केंद्रीय और राज्य एजेंसियों, जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों के साथ बैठक में संभावित चक्रवात यश के मद्देनजर आपदा प्रबंधन की तैयारियों का जायजा लिया.’

उधर, क्षेत्रीय मौसम विज्ञान विभाग के निदेशक जीके दास ने कहा कि 26 मई की शाम तक यह तूफान दोनों राज्यों और पड़ोसी देशों के तटों को पार कर सकता है. उन्होंने कहा कि इस दौरान पश्चिम बंगाल, ओड़िशा के उत्तरी हिस्सों और बांग्लादेश के तट पर 26 मई की दोपहर हवा की गति 90 से 100 किलोमीटर प्रति घंटा रह सकती है.

अलीपुर मौसम विभाग के अधिकारी संजीव बंद्योपाध्याय ने बताया कि शनिवार को ईस्ट सेंट्रल बे ऑफ बंगाल और आस-पास में निम्न दबाव बन गया, जो उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर अग्रसर हो रहा है और घनीभूत होकर 24 मई को चक्रवात में बदल सकता है. आगे भी उत्तर–पश्चिम दिशा में होकर यह और घनीभूत होगा और 26 मई की सुबह तटों से टकरायेगा.

क्या होगा चक्रवात का असर

मौसम विभाग के अनुसार, चक्रवात के कारण कहीं हल्की तो कहीं भारी से अति भारी बारिश हो सकती है. पश्चिम बंगाल के तटवर्ती जिलों में 25 मई से ही बारिश चालू हो जायेगी और बाद में बारिश और तेज होगी. वहीं, दक्षिण बंगाल के जिलों में 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा 24 मई की शाम से चल सकती है. 25 मई की शाम तक हवा की रफ्तार 50 से 60 किलोमीटर प्रति घंटा हो जायेगी, जो 26 तारीख की दोपहर तक और बढ़ेगी. इस दौरान 70 से 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चल सकती है.

बंगाल सरकार बढ़ायेगी शेल्टरों की संख्या

कोरोना के कारण राज्य सरकार शेल्टरों की संख्या डबल करने की योजना बना रही है, ताकि शेल्टरों में भीड़ कम की जा सके. ऐसे जिले जहां यश का प्रभाव अधिक पड़ने की संभावना है, वहां कोरोना के मामले भी काफी अधिक संख्या में हैं. इन जिलों में कोलकाता, दक्षिण 24 परगना, उत्तर 24 परगना और पूर्व मेदिनीपुर जिला शामिल हैं. इन जिलों के अधिकारियों को अलर्ट पर रखा गया है. उधर, 23 मई तक मछुआरों को वापस लौटने के लिए कहा गया है. उन्हें 23 मई के बाद अगली सूचना तक समुद्र में न जाने को कहा गया है.

हो सकती है अम्फान जैसी तीव्रता

मौसम विभाग के सूत्रों ने बताया कि ये चक्रवात अम्फन जैसी तीव्रता वाला हो सकता है. हालांकि जिस गति के साथ तूफान आगे बढ़ रहा है, उसे देखते हुए इसकी तीव्रता कुछ कम हो सकती है.

केंद्र ने इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर को सक्रिय करने को कहा

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण की ओर से राज्य के मुख्य सचिव को चिट्ठी भेजी गयी है, जिसमें सभी तरह के कमांड सिस्टम और इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर को सक्रिय रखने के लिए कहा गया है. इसके अलावा नॉडल ऑफिसरों को नियुक्त कर उनकी जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजने के लिए भी कहा गया है.

वहीं, चक्रवात से निबटने के लिए हर तरह की तैयारी करने के लिए राज्य से कहा गया है. नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (एनडीआरएफ) ने अपनी टीमों को पश्चिम बंगाल में पोजिशन करना चालू कर दिया है. कुछ टीमें चक्रवाती तूफान ताउते के लिए बचाव, राहत और पुनरुद्धार कार्य में तैनात थीं, उन्हें भी वापस बुलाया जा रहा है.

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