प्रत्येक कदम पर पारदर्शिता बरती जाती है- मुख्य चुनाव आयुक्त
7 दिन में माफी, गलत सूचना और कंधे पर बंदूक…
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बिहार की मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के बाद हटाए गए नामों की सूची जिला मजिस्ट्रेटों की वेबसाइटों पर डाल दी गई है। चुनाव वाले राज्य बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ़्ते चुनाव आयोग (ईसी) को निर्देश दिया था कि वह मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख नामों का ब्योरा पब्लिश करे।
हर कदम पर पारदर्शिता बरती जाती है: मुख्य चुनाव आयुक्त
मुख्य चुनाव आयुक्त ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि भारत में संसद और विधानसभा चुनावों की व्यवस्था एक बहु-स्तरीय और विकेंद्रीकृत ढांचे पर आधारित है, जैसा कि कानून में तय है। मतदाता सूची तैयार करने का जिम्मा इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर्स (ईआरओ) और बूथ लेवल ऑफिसर्स (बीएलओ) पर होता है। ये अधिकारी एसडीएम स्तर के होते हैं और मतदाता सूची की सटीकता के लिए जिम्मेदार हैं।
ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित होने के बाद इसकी डिजिटल और फिजिकल कॉपियां सभी राजनीतिक दलों के साथ साझा की जाती हैं और इसे चुनाव आयोग की वेबसाइट पर भी डाला जाता है ताकि कोई भी इसे देख सके। इस प्रक्रिया में कोई छिपाव नहीं है और हर कदम पर पारदर्शिता बरती जाती है।
दावों और आपत्तियों का मिलेगा मौका
ज्ञानेश कुमार ने बताया कि बिहार में ड्राफ्ट मतदाता सूची 1 अगस्त को प्रकाशित की गई थी और यह 1 सितंबर तक दावे और आपत्तियों के लिए उपलब्ध रहेगी। इस दौरान कोई भी व्यक्ति या राजनीतिक दल पात्र नागरिकों को शामिल करने या अपात्र लोगों को हटाने की मांग कर सकता है। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि अंतिम मतदाता सूची में कोई गलती न रहे।
उन्होंने यह भी कहा कि कुछ दल इस विशेष गहन संशोधन को लेकर गलत जानकारी फैला रहे हैं, जो चिंता की बात है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने जोर देकर कहा कि यह प्रक्रिया पूरी तरह कानूनी और पारदर्शी है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और सही जानकारी के लिए आधिकारिक स्रोतों पर भरोसा करें।
7 दिन में माफी, गलत सूचना और कंधे पर बंदूक…
लोकसभा में विपक्षा के नेता राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ के आरोप और विपक्षी दलों की ओर से बिहार एसआईआर पर मचाए राजनीतिक बवाल पर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि मतदाता सूची पुनरीक्षण का उद्देश्य मतदाता सूची में सभी कमियों को दूर करना है और यह गंभीर चिंता का विषय है कि कुछ दल इसके बारे में गलत सूचना फैला रहे हैं और चुनाव आयोग के कंधे से निशाना साध रहे हैं।
ज्ञानेश कुमार की बातें
- सीईसी ने डबल वोटिंग और ‘वोट चोरी’ के आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया और कहा कि सभी हितधारक पारदर्शी तरीके से विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को सफल बनाने के लिए काम कर रहे हैं। राहुल गांधी के आरोपों पर उन्होंने कहा कि या तो वो 7 दिन में हलफनामा दायर किया जाए नहीं तो देश से माफी मांगे।
- विपक्ष की ओर से बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण के समय पर सवाल उठाए जाने पर कुमार ने कहा कि यह एक मिथक है कि एसआईआर जल्दबाजी में किया गया है और उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रत्येक चुनाव से पहले मतदाता सूची को सही करना चुनाव आयोग का कानूनी कर्तव्य है।
- उन्होंने कहा, “यह गंभीर चिंता का विषय है कि कुछ दल और उनके नेता बिहार में एसआईआर पर गलत सूचना फैला रहे हैं। कुछ राजनीतिक दल चुनाव आयोग के कंधे पर बंदूक रखकर निशाना साध रहे हैं। चुनाव आयोग सभी राजनीतिक दलों से बिहार में मसौदा मतदाता सूची पर दावे और आपत्तियां दर्ज करने का आग्रह करता है। अभी 15 दिन बाकी हैं।”
- उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग के दरवाजे सभी के लिए खुले हैं और बूथ स्तर के अधिकारी और एजेंट पारदर्शी तरीके से मिलकर काम कर रहे हैं।” कुमार ने कहा कि चुनाव आयोग राजनीतिक दलों के बीच भेदभाव नहीं कर सकता। सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों दल चुनाव आयोग के सामने समान हैं।
- उन्होंने कहा, “अगर चुनाव याचिकाएं 45 दिनों के भीतर दायर नहीं की जातीं, लेकिन वोट चोरी के आरोप लगाए जाते हैं तो यह भारतीय संविधान का अपमान है।” कुमार ने जोर देकर कहा कि न तो चुनाव आयोग और न ही मतदाता डबल वोटिंग और “वोट चोरी” के “निराधार आरोपों” से डरते हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग कुछ लोगों की ओर से की जा रही राजनीति की परवाह किए बिना सभी वर्गों के मतदाताओं के साथ दृढ़ रहेगा।
‘चुनाव आयोग नहीं करता भेदभाव’
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि फिर चुनाव आयोग समान राजनीतिक दलों के बीच भेदभाव कैसे कर सकता है? चुनाव आयोग के लिए सभी समान हैं। चाहे कोई भी किसी भी राजनीतिक दल से संबंधित हो, चुनाव आयोग अपने संवैधानिक कर्तव्य से पीछे नहीं हटेगा।”
‘चुनाव आयोग के कंधे पर रखकर चला रहे बंदूक’
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, “कुछ मतदाताओं ने दोहरे मतदान का आरोप लगाया। जब सबूत मांगा गया तो कोई जवाब नहीं दिया गया। ऐसे झूठे आरोपों से न तो चुनाव आयोग और न ही कोई मतदाता डरता है। जब चुनाव आयोग के कंधे पर बंदूक रखकर भारत के मतदाताओं को निशाना बनाकर राजनीति की जा रही है।”
उन्होंने कहा कि आज चुनाव आयोग सभी को यह स्पष्ट करना चाहता है कि चुनाव आयोग निडर होकर बिना किसी भेदभाव के गरीब, अमीर, बुजुर्ग, महिला, युवा सहित सभी वर्गों और सभी धर्मों के मतदाताओं के साथ चट्टान की तरह खड़ा था, खड़ा है और खड़ा रहेगा।