प्रधान शिक्षक की नियुक्ति में डीपीइ को शामिल करने की मांग को लेकर कोर्ट जायेगा संघ

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श्रीनारद मीडिया, सीवान(बिहार):

 

परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष महेश कुमार प्रभात ने प्राथमिक विद्यालयों में प्रधान शिक्षक के 40506 पदों पर नियुक्ति हेतु बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा प्रकाशित विज्ञापन को भ्रमजाल बताते हुए कहा कि विज्ञानपन में ढेर सारे तथ्य अनसुलझे और अस्पष्ट हैं.उन्होंने कहा है कि प्रकाशित विज्ञापन में अभ्यर्थियों के लिए निर्धारित प्रशैक्षणिक योग्यता के अस्पष्ट होने के कारण शिक्षकों में ऊहापोह औरसंशय की स्थिति बनी हुई है।

उन्होंने कहा कि परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षा संघ के प्रदेश अध्यक्ष वंशीधर ब्रजवासी इसे लेकर शिक्षा विभाग के आला अफसरों के लगातार संपर्क में हैं।श्री ब्रजवासी ने शिक्षा मंत्री,शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव, प्राथमिक शिक्षा के निदेशक व बीपीएससी के सचिव आदि को आवेदन देकर इसमें सुधार करने की मांग की है।

साथ ही, उन्होंने बीपीएससी द्वारा राज्य के प्राथमिक विद्यालयों में प्रधान शिक्षक के पदों पर नियुक्ति हेतु जारी विज्ञापन के तहत निर्धारित प्रशैक्षणिक योग्यता में डीपीइ ( डिप्लोमा इन प्राइमरी एजुकेशन) प्रशिक्षण को सम्मिलित करते हुए संशोधित विज्ञापन जारी करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि मान्यता प्राप्त संस्था से डीएलएड/बीटी/बीएड/बीएएड/बीएससीएड/बीएलएड उत्तीर्ण का आदि उल्लेख किया गया है। लेकिन डीपीइ का उल्लेख नहीं है।

उन्होंने कहा है कि अभ्यर्थियों के लिए निर्धारित उक्त प्रशैक्षणिक योग्यताओं में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि शिक्षक प्रशिक्षण से संबंधित जिन डिप्लोमा या डिग्रियों का यहां उल्लेख किया गया है, उसके समकक्ष अन्य प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षक आवेदन कर सकेंगे या नहीं ? उन्होंने कहा है कि प्रकाशित विज्ञापन में उन्हीं शिक्षकों को प्रधान शिक्षक के पद के लिए योग्य माना गया है, जिनकी प्रशिक्षित के रूप में सेवा आठ वर्ष सेवा पूरी हो चुकी है।

यदि डीपीइ प्रशिक्षित इन शिक्षकों को इससे वंचित किया गया तो प्रशिक्षित के रुप में आठ वर्षों की सेवा पूरी करने वाले नाम मात्र के शिक्षक ही आवेदन कर पाएंगे। विदित हो कि डीइएलएड (डिप्लोमा इन इलेमेंट्री एजुकेशन) शिक्षक प्रशिक्षण सत्र 2013-15 में प्रारंभ किया गया। जिसमें सफल शिक्षकों की प्रशिक्षित के रूप में सेवा आठ वर्ष पूरी नहीं हो पायी है। वर्णित स्थिति में वर्ष 2010 के बाद नियुक्त डीइएलएड प्रशिक्षित शिक्षक भी प्रधान शिक्षक पद के लिए आवेदन नहीं कर पाएंगे। जबकि विज्ञापन में डीइएलएड प्रशिक्षित शिक्षकों को आवेदन के योग्य माना गया है।

डिप्लोमा इन इलेमेंट्री एजुकेशन और डिप्लोमा इन प्राइमरी एजुकेशन दोनों ही डिप्लोमा है।दोनों प्रशिक्षणों के नाम में केवल प्राइमरी व इलैमेंट्री शब्द का हेरफेर है जो कि दोनों ही समानार्थक शब्द हैं। उन्होंने कहा है कि वर्णित स्थिति में विज्ञापन के अंतर्गत उन सभी प्रशिक्षणों को मान्य किया जाना चाहिए, जिसके आधार पर संबंधित शिक्षक नियुक्त व कार्यरत हैं।

विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षणों का नाम लिखने की बजाए केवल मान्यता प्राप्त शिक्षक प्रशिक्षण ही लिखा जाना समुचित है। उन्होंने कहा है कि विज्ञापन में जितनी रिक्तियां निकाली गई हैं, उतने अभ्यर्थी भी नहीं मिल पाएंगे।उन्होंने प्रधान शिक्षक पद के अभ्यर्थियों के लिए निर्धारित प्रशैक्षणिक योग्यता में डीपीइ को शामिल करने और मान्यता प्राप्त सभी शिक्षक प्रशिक्षणों को सम्मिलित करने की मांग करते हुए संशोधित विज्ञापन जारी करने की मांग की है।  अन्यथा की स्थिति में संघ माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर करना संघ को विवश होगा और इसकी जिम्मेवारी राज्य सरकार की होगी।

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